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DILBAG.J.KHAN { دلباغ.جے.خان }
میں غربت کے اندھیروں کو مٹا کر لوٹ آیا ہوں۔ میں ظلم کی گردن مروڑ کر لوٹا آیا ہوں۔ وہ میرکاسا خریدنا چاہتا تھا۔ سلمان اس کے تاج کی قیمت لگا کر لوٹ آیا ہوں۔ مصنف :- حضرت مفتی سلمان ازہری صاحب ©DILBAG.J.KHAN { دلباغ.جے.خان } #Prayers mr safikhan Bhopal Zainab Khan khan perfect Gufran khan Kasim Ansari
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read moreNikita Garg
इस तरह से कोई msg आए ओर कुछ देर बाद या तुरंत पैसे वापस मांगे तो वापस मत करना froud scam चल रहा है ©Nikita Garg be aware from scam Sethi Ji puja udeshi Nikhat khan Sana naaz advocate SURAJ PAL SINGH gudiya
be aware from scam Sethi Ji puja udeshi Nikhat khan Sana naaz advocate SURAJ PAL SINGH gudiya
read moreAdv Nirmal yadav
White बिखरे सब अंदर से हैं, और सवार खुदको बाहर से रहे हैं..,! ©Nirmal yadav Advocate #Advocate
रोहित यदुवंशी 'प्रबल'
White मोहन एक छोटे से गाँव में रहने वाला सरल और मेहनती लड़का था। उसने अपनी शिक्षा गाँव के स्कूल से पूरी की और हमेशा से अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखा। पढ़ाई में तेज होने के बावजूद, उसे नौकरी पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा क्योंकि उसके पास शहर के कॉलेज की डिग्री नहीं थी। लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने इंटरनेट के जरिए खुद से पढ़ाई की और नई-नई स्किल्स सीखी। एक दिन मोहन को एक बड़ी कंपनी से इंटरव्यू के लिए बुलावा आया। यह उसके जीवन का सबसे बड़ा मौका था। शहर की बड़ी कंपनी में नौकरी करना उसके लिए एक सपना था, लेकिन साथ ही उसके मन में डर भी था। उसने कभी इतने बड़े इंटरव्यू का सामना नहीं किया था। फिर भी, उसने अपने डर को पीछे छोड़ते हुए तैयारी की और आत्मविश्वास के साथ शहर की ओर रवाना हो गया। इंटरव्यू वाले दिन मोहन जल्दी उठा, अच्छे कपड़े पहने, और समय से पहले ही कंपनी के ऑफिस पहुंच गया। अंदर दाखिल होते ही उसने देखा कि वहाँ बहुत सारे लोग थे, जो सभी अच्छे कॉलेजों से पढ़े हुए थे और उनमें से कई के पास पहले से ही अच्छी नौकरी थी। मोहन का आत्मविश्वास थोड़ा डगमगाया, लेकिन उसने खुद से कहा, "मुझे सिर्फ अपने आपको साबित करना है।" इंटरव्यू शुरू हुआ। पहले सवाल में ही मोहन से उसकी शिक्षा के बारे में पूछा गया। उसने ईमानदारी से जवाब दिया कि उसने गाँव के स्कूल से पढ़ाई की है, लेकिन साथ ही यह भी बताया कि उसने खुद से कितनी मेहनत की है और कौन-कौन सी स्किल्स सीखी हैं। उसके जवाब ने इंटरव्यू पैनल को प्रभावित किया, क्योंकि मोहन ने यह साबित कर दिया कि वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। इसके बाद तकनीकी सवालों की बारी आई। मोहन ने धैर्य और आत्मविश्वास के साथ सभी सवालों का उत्तर दिया। उसकी सादगी, ईमानदारी और मेहनत ने इंटरव्यू पैनल का दिल जीत लिया। अंत में पैनल के एक सदस्य ने उससे पूछा, "मोहन, इतने बड़े-बड़े उम्मीदवारों के बीच तुम्हें क्या लगता है कि हम तुम्हें क्यों चुनें?" मोहन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "शायद मेरी पढ़ाई उतनी बड़ी जगह से न हुई हो, लेकिन मेरी मेहनत और सीखने की इच्छा किसी से कम नहीं। मैं इस कंपनी में अपनी जगह बना सकता हूँ क्योंकि मैं चुनौतियों से भागता नहीं, बल्कि उन्हें स्वीकार करता हूँ।" इंटरव्यू खत्म होने के बाद मोहन को कुछ दिन इंतजार करना पड़ा। और फिर एक दिन फोन आया कि उसे नौकरी मिल गई है। यह उसके जीवन का सबसे बड़ा पल था। उसने साबित कर दिया कि अगर मेहनत और लगन हो, तो दुनिया की कोई भी मुश्किल उसे रोक नहीं सकती। मोहन की यह कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में चुनौतियाँ कितनी भी बड़ी क्यों न हों, आत्मविश्वास और मेहनत से उन्हें जीता जा सकता है। ©रोहित यदुवंशी 'प्रबल' #sad_quotes #वायरल Anupriya gudiya Aftab Khan Bhardwaj Only Budana advocate SURAJ PAL SINGH
#sad_quotes #वायरल Anupriya gudiya Aftab Khan Bhardwaj Only Budana advocate SURAJ PAL SINGH
read moreSanjoy Khuman
White "A Life story of Abdul Kalam Azad" Abdul Kalam Azad, a prominent Indian freedom fighter, scholar, and educator, was born on November 11, 1888, in Mecca, Saudi Arabia, as Muhammad Abdul Kalam Ghulam Muhiyuddin. His family moved to India when he was young, and he grew up in Kolkata (then Calcutta). Azad was deeply influenced by the nationalist movement in India from an early age. He joined the Indian independence struggle and became a prominent member of the Indian National Congress. His dedication to the cause of Indian independence was evident through his writings and speeches, which inspired many. Azad was also a key figure in the Khilafat Movement, which sought to protect the Ottoman Caliphate and was closely associated with Mahatma Gandhi's non-cooperation movement. Azad's contribution to India's educational landscape was significant. He was a strong advocate for education and played a crucial role in shaping India's educational policies after independence. As the first Minister of Education in independent India, he laid the foundation for the establishment of numerous institutions of higher learning, including the Indian Institutes of Technology (IITs) and the University Grants Commission (UGC). In 1958, Azad was awarded the Bharat Ratna, India's highest civilian honor, in recognition of his contributions to the nation. He continued to be a respected voice in Indian politics and education until his death on February 22, 1958. Abdul Kalam Azad's legacy is remembered for his unwavering commitment to India's independence, his role in fostering education, and his efforts to promote national unity and progress. ©Sanjoy Khuman #A life story of Abdul Kalam Azad
#a life story of Abdul Kalam Azad
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