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ABK Delhi wala
ऐेैक लड़की कैसे सब के लिए बौझ बन जाती है ( ऐैक उदास लड़की की कहानी) मीना अपने माता पिता की बहुत लाडली थी। तीन बडे भाईयों की बहन थी। कोई भी चीज मांगने पर उसी वक्त सामने हाजिर हो जाती। पूरे घर में रौब था उसका। पूरे परिवार ओर नौकरों पर राजकुमारी की तरह हुक्म चलाती थी मीना स्कूल में भी पूरा रौब था उसका। बडे घर की लाडली जो थी वह। ऐसे ही उसने कालेज में दाखिला लिया। उसके ठाठबाट, बडी गाड़ी में आना जाना, हर दिन नया फैशन देखकर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था। थोड़े ही दिनों में उसके बहुत से दोस्त बन गए। पूरे कालेज में उसकी अपनी ही एक पहचान थी। इन दिनों उसके घर एक रिश्ता आया। खानदानी लोग थे ओर पापा की पुरानी जान-पहचान थी उनके साथ। मीना के साथ कोई जबरदस्ती नहीं थी| पर मीना ने फिर भी हां कर दी, कयोंकि वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी। वह जानती थी कि वह लोग उसका अच्छा ही सोचेंगे। लडके का नाम सूरज था। सूरज काफी पढा लिखा ओर समझदार लडका था। ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे। ससुराल में मीना की जगह वैसी ही थी जैसी कि मायके में। कोई भी काम मीना की सलाह के बिना नहीं होता था। सबकी लाडली बहू बन गयी थी वह। फिर उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ। समर मीना को जान से प्यारा था। पोता पाकर ससुराल वाले तो फूले नहीं समाते थे। मीना कभी कभी सोचती कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी है। उसका हर अपना उसे कितना प्यार करता है। चाहे जीवन में कैसा भी समय आये मेरे अपने हमेशा मेरे साथ हैं, मैं कभी अकेली नहीं हो सकती। कितनी खुशकिस्मत हूँ मैं। पर शायद मीना की खुशियों को उसकी अपनी ही नजर लग गई थी। एक दिन वह मायके जाने की जिद्द कर बैठी। सूरज को बहुत काम था।लेकिन वह फिर भी उसे ले गया। रास्ते में उनकी गाड़ी दूसरी गाड़ी से टकरा गई। मीना, सूरज ओर समर बहुत बुरी तरह से जख्मी हो गए। काफी दिनों के इलाज के बाद समर ओर सूरज तो ठीक हो गए लेकिन मीना पूरी तरह ठीक ना हो सकी। सर पर चोट लगने के कारण वह अपनी आंखों की रौशनी खो बैठी। अब मीना की किस्मत जैसे उलटे पांव चलने लगी। मायके वाले कुछ दिनों तक उसे मिलने आते रहे फिर कभी कभार फोन ही करके पुछ लेते कि अब कैसी हो। धीरे धीरे ये सिलसिला भी कम हो गया। ससुराल वालों की सहानुभूति भी कम होने लगी। घर में किसी को पास बैठने के लिए कहती तो जवाब मिलता बहुत काम है अब तुम भी हाथ नहीं बंटा सकती। सूरज भी चिडचिडा हो गया था। बस समर ही था उसके साथ जिसके साथ हंसते खेलते उसका वक्त गुजरता। एक दिन मीना के हाथ से कुछ सामान गिर गया जिसकी वजह से समर को हलकी सी चोट लग गई। मीना के सास ससुर ने सूरज को उससे अलग कर दिया कि कहीं उसके ना देखने की वजह से बच्चे का कोई नुकसान ना हो जाये। मीना अंदर से टूट चुकी थी। एक दिन उसने सबके सामने मायके जाने की इच्छा रखी तो सूरज उसे तुरंत मायके छोड़ आया। जैसे कि वह भी यही चाहता था। लेकिन समर को उसके साथ नहीं भेजा गया। मीना कभी समर से दूर नहीं रही थी, पर अपनी कमी के कारण उसने ज्यादा बहस नहीं की। मीना को लगा कि वह तीन चार दिन वहां रहेगी तो थोड़ा हवा पानी बदल जायेगा कयोंकि वह कितने दिनों से कहीं भी बाहर नहीं गयी थी। घर वाले भी इतने दिनों बाद उसे देखकर कितने खुश होंगे। मीना के घर पहुंचने पर सब लोग बहुत खुश हुए। खाने में सब कुछ मीना की पसंद का ही बना था। उसने अपने मम्मी पापा ओर भाई भाभियों से दिल खोल कर बातें की। उनके छोटे छोटे बच्चे भी बूआ के साथ घुलमिल गए थे। रात को सोने के वक्त जब वह कपडे बदलने लगी तो उसे पता चला कि उसका बैग तो बहुत भरा हुआ था। वह सब समझ गई। वह बहुत उदास हो गई। कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा, फिर जैसे सब बदलने लगा। सबका व्यवहार बदल रहा था। वह लोग जैसे थक चूके थे उससे। सब लोग घूमा फिरा कर पुछने लगे कि सूरज कब आ रहा है उसे ले जाने। वह बहाना बना देती। जबकि वह जानती थी कि उस घर मे अब उसके लिए कोई जगह नहीं। मीना से चलते वक्त कुछ ना कुछ नुक्सान हो जाता। थोड़ी बहुत टोकाटाकी उसे सूनाई देती। वह टाल देती। एक दिन उसके हाथ से लगकर एक कीमती फूलदान टूट गया। छोटी भाभी ने बहुत हंगामा मचाया। मीना के माता पिता रोज रोज के झमेलों से तंग आ गए थे। उन्होंने सूरज को खुद से फोन कर दिया। सूरज मीना को अपने घर ले गया। मीना को अपने परिवार वालों से ये उम्मीद ना थी जिस मीना के कहे बिना घर मे एक पत्ता भी नहीं हिलता था, उस घर के लिए वह अब बोझ बन चुकी थी। सूरज के साथ ससुराल आते वक्त वह बहुत खुश थी। क्योंकि वह अपने घर जा रही थी अपने जिगर के टूकडे अपने बेटे समर के पास। पर यह खुशी भी कुछ पल की ही थी। सारा बन्दोबस्त पहले ही किया हुआ था। मीना को सीधे ऊपर वाले कमरे में पहुंचा दिया गया। समर से दूर रहने की सख्त चेतावनी दी गई। एक कामवाली हैमा को उसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। जो उसके खाने पहनने जैसी जरूरतों का ध्यान रखती। मीना ज्यादातर चुप ही रहती। कभी-कभी कामवाली हैमा से थोडि बात चीत कर लेती। उसके जरिये समर का पता चल जाता। सबकी लाडली बेटी ओर बहू सबके लिए लाडली से बोझ बन चुकी थी। ©ABK Delhi wala Kahani # Hindi kahani
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read moreMeghwans Saab
मां......…..... मां की कहानी एक मां अपने बच्चों के लिए भगवान से भी लड़ सकती हैं परन्तु आपने बच्चों से नहीं लड सकती मगर बच्चे बड़े होते ही उसी मां को घर से निकाल देते हैं फिर भी वही मां अपने बच्चों को बुरा नहीं बतातीं क्योंकि मां को पता होता हैं की वह भटक गया है बस यही आशा लिए मां चुप रहती है की एक दिन वो वापिस जरूर आयेगा ! प्राथना है कि किसी के लिए भी आपने माता पिता के साथ ऐसा ना करें, ©Meghwans Saab #MothersDay #hindi kahani #hindi kahani
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read moreSangeeta Singh
कैसे कहे किसी से किस आग में जल रहे है, जिधर नज़र फिराऊ वहा लोग बदल रहे है, किसी से उम्मीद नही सफ़र में अब कोई भी, हम खुद ही गिरकर खुद ही सम्हाल रहे है... ©Sangeeta Singh #nojoto #kahani #hindi #shayri #me
Meri Soch 4
मुझे पागल बना जाती तो अच्छा होता, मुझे जिंदा दफना जाती तो अच्छा होता ! यार कैसे जियेंगी यू घुट-घुट के हम , मुझे एक घुट पिला जाती तो अच्छा होता !! ©Meri Soch 4 #doghut #nojoto #kahani #Hindi #sayti #SAD
Shubham Shah
फुर्सत मिले कभी तो, आके बैठना उस खाली कुर्सी पे जो तुम उस दिन मेरी कहानी सुनते सुनते अचानक ही उस कुर्सी से उठ के चली गई थी, और उस अंधेरे कमरे में मुझे अकेला छोड़ गई थी। और सुनना उस अधूरी कहानी को जो तुम्हारे जाने के बाद से बस वहीं रुकी है। तुम्हारा जाना उस दिन बहुत खला था मुझे, इस बात की शिकायत मैने कभी तुमसे नहीं की, कोशिश किया था बहुत बार की शिकायत करू तुमसे और बताऊं कि तुमने वो बहुत ग़लत करा था उस दिन, फिर ख्याल आया अटक तो बार बार मै रहा था फिर ग़लत तुम कैसे हुई? और फिर इस सवाल का जवाब मिलने तक तुमपे इल्ज़ाम लगाने की टसक को ही टाल दिया था। वैसे उस दिन तुमने ही तो ज़िद की थी ना कहानी सुनने की और मैने कहा था तुमसे की मुझे अभी कोई कहानी सुनानी नहीं आती फिर भी तुम्हारे कहने पे मैंने कोशिश तो की थी, लेकिन जब बीच में मै अटका था तब तुम परेशान सी होकर वहां से उठ कर चली गई थी। शायद तुम्हें नहीं पता हो लेकिन उस दिन वो कहानी मै वहीं तुम्हारे सामने ही बैठ के बुन रहा था इसलिए बार बार अटक रहा था। उस कमरे में उसी खाली कुर्सी पर बैठ कर उस कहानी को पूरा करने वाले किरदार तो बहुत आयें लेकिन नजाने वो कहानी कभी पूरी हो ही नहीं पाई, शायद उस कहानी को भी तुम्हारा ही इंतज़ार हैं, की एक दिन तुम आओगी और उस कहानी का अन्त बता कर उस कहानी को पूरी करोगी। #story #kahani #hindi #love #pyar
Rohit kumar
11थोड़ी खामोशी रखो और रिश्तों को कहने दो ना बांधों ना बँधो, निश्छल स्वरूप में बस बहने दो! प्यार है सच्चा, तो भरोशा भी पक्का ही रखो बढ़ने दो उम्र को, दिल को हमेशा बच्चा ही रखो! थोड़ी सी नोक झोंक तो रिश्तों में जरुरी है बहुत प्यार का रंग गहरा और शिकवों का हल्का ही रखो! जो रूठ जाये कोई, तो मना लो करके प्यार की बातें रिश्तों में परवा जरुरी है बहुत, इस बात का हमेशा एहसास रखो! प्यार में अक्सर, आप से तुम, तुम से तू होना लाज़मी है बहुत खूबसूरत रहेगा रिश्ता हमेशा बस एक दूसरे के बिचारों का, दिल से सम्मान रखो! ©Surabali Yes #walkingalone #kawita #kahani #hindi #hindi_quotes #hindi_quotes #hindi_shayari #hindi_kavita
Rohit kumar
3साथ कुछ पल ही सही, निभाने तो आ… दिल लगाने न सही, दुखाने तो आ। सुना है दर्द ने तुझसे, राहत माँगी है… हँसाने न सही, रुलाने तो आ ! तुझे मोहब्बत हो गई है, किसी और से मेरे मोहल्ले में.. दिल मुझसे न सही, उसी से लगाने तो आ ! मिज़ाज बदल के बातें, मुझसे करती हो क्यों… मुझसे जी भर गया है, ये बताने तो आ ! कब तलक झूठी मोहब्बत को, पनाह देती रहोगी… घर की छोड़ मेरे, अपना बसाने तो आ ! तुझे न मुझसे, न मेरी मोहब्बत से, सुकूं मिलता है.. खुशी किसमें है तेरी, ये बताने तो आ!! ©Surabali Yes #kaweeta #kahani #Hindi #hindi_poetry #hindi_shayari #hindi_kavita #hindi_breakup_shayari #hindi_nojoto