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Stories related to नारीत्व का अभिशाप निबंध

मोहित भौरिया

नारीत्व

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मर्यादा में बंधे रिश्तो का लिहाज रखती हूं।
कुछ ह्रदय को छुने वाली रिवाज रखती हूं।।
मुश्किल है समझ पाना मुझे।
क्योंकि ,
मैं जीने का अलग अंदाज रखती हूं।। नारीत्व

sky

नारीत्व #peace

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बिखरती हूं मैं हर रोज टूट कर..
 कोई सहज सकता है तो हाथ बढ़ाओ.. कांच लिए इन उंगलियों से मुसाफिर..
फिर से छूकर चूर- चूर ना बनाओ .. नारीत्व

#peace

nageshwar Singh

नारीत्व दर्शन,,,

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मेरे लिए वस्तु नही है तु 
मेरे लिए एक तोहफा है
विरह भरा जीवन में 
ईश्वर ने तुम्हें मेरे लिए भेजा है
💝🌹💝 नारीत्व दर्शन,,,

somnath gawade

शालेय जीवनात
"मी मुख्यमंत्री झालो तर"..
हा निबंध नसता तर
आज हा सत्तासंघर्ष
उद्भवलाच नसता. #निबंध

YOGESH SINGH

निबंध

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Deepanjali Patel (DAMS)

घर की चार दिवारी, पैरों की जंजीर 🔗बनकर, 
औरत 🙎को कब तक रोक पायेगी.....
अरे! ये तो वो शक्ति 🐾है जो 
गर्भ में पल रहे नर 👨को, और ईट-पत्थर से बने घर🏡को
अपने ममत्व के आंचल में नया जीवन दे सकती हैं..... 
 #twentysixthquote 
#नारीत्व 
#ममता_की_मूरत_को_समर्पित

Arora PR

अभिशाप

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Parasram Arora

अभिशाप....

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अन्याय अत्याचार  और  दास्तव तों पिछली पीडिया देख चुकी  हैँ
अब तों आतंक  व्यभिचार  और भृष्टाचार नई  पीड़ी के लिये  अभीशाप बन कर  पसर रहा हैँ

©Parasram Arora अभिशाप....

HP

अभिशाप

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जो सुखी रहना चाहता है, प्रसन्न रहना चाहता है, सन्तुष्ट रहना चाहता है, उसे सशक्त बनना चाहिये। अशक्त व्यक्ति पर सुख की प्रतिक्रिया भी विपरीत ही होती है। जो अशक्त है, निर्जीव है, रोगी है, उसके सम्मुख यदि हर्ष का वातावरण उपस्थित होता है और दूसरे अन्य लोग हँसे व प्रसन्न होते हैं तो उसे दुःख ही होता है। इसलिये शिष्टाचार के अंतर्गत यह एक नैतिक नियम है कि निःशक्त रोगी आदि व्यक्तियों के सम्मुख हँसना न चाहिये। कितना भयंकर अभिशाप है कि अशक्त व्यक्ति स्वयं तो नहीं ही हँस-बोल सकता, दूसरों को भी प्रसन्न नहीं होने देता। अभिशाप

HP

अभिशाप

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खुद के दुःख को उत्तेजित करने के कारण किसी के रोने-धोने में भी बुरा मानता है। निःसन्देह, ऐसे दुःख-प्रवण व्यक्तियों का जीवन एक भयंकर अभिशाप बन जाता है। अभिशाप
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