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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} कामयाब लोग अपनी खूबसूरत, व अलग सोच से अपने जीवन में बदलाव लाते हैं, उसी बदलाव के कारण दुनिया में बहुत कुछ बदल देते हैं, और नाकामयाब लोग अपनी सोच से जीवन में बदलाव लाने से हमेशा डरते हैं, और अपनी नाकामयाबी पर दुसरो पर दोष डाल देंते है।। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine #love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} कामयाब लोग अपनी खूबसूरत, व अलग सोच से अपने जीवन में बदलाव लाते हैं, उसी बदलाव के कारण दुनिया में बहु
#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} कामयाब लोग अपनी खूबसूरत, व अलग सोच से अपने जीवन में बदलाव लाते हैं, उसी बदलाव के कारण दुनिया में बहु
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
#ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_ शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है । तुम्हारे लिए चाँद लाने की हसरत है ।।२ हटाकर मैं काँटे तेरे रास्ते के डगर साफ़ सुथरी दिखाने की हसरत है ।।३ करो खूब बेटी सदा नाम जग में । यही कीर्ति तुमको दिलाने की हसरत है ४ महादेव लाए घड़ी वह सुहानी । कि डोली तुम्हारी सजाने की हसरत है ५ कली बाग की तुम हमारी हो पहली । तुम्हें देख कर मुस्कुराने की हसरत है ।। ६ खुशी से मनाए प्रखर दिन तुम्हारा । खुशी आज पूरी जताने की हसरत है ७ १४/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों
#ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
#क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सकून की दरकार नहीं क्या वो बेटी सिर्फ डॉक्टर है एक इंसान नहीं अनजान चेहरे पर मुस्कान लाने वालों ने आज ये पूछा है क्यों हमारी हिफाजत का देश में कोई इंतजाम नहीं क्या सांसे बचाने वालो की सांसों का कोई हिसाब नही ! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Chhuan #क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सकून की
Poet Kuldeep Singh Ruhela
#क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सकून की दरकार नहीं क्या वो बेटी सिर्फ डॉक्टर है एक इंसान नहीं अनजान चेहरे पर मुस्कान लाने वालों ने आज ये पूछा है क्यों हमारी हिफाजत का देश में कोई इंतजाम नहीं क्या सांसे बचाने वालो की सांसों का कोई हिसाब नही ! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Sad_shayri #क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सकू
#Sad_shayri #क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सकू
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#क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सकून की दरकार नहीं क्या वो बेटी सिर्फ डॉक्टर है एक इंसान नहीं अनजान चेहरे पर मुस्कान लाने वालों ने आज ये पूछा है क्यों हमारी हिफाजत का देश में कोई इंतजाम नहीं क्या सांसे बचाने वालो की सांसों का कोई हिसाब नही ! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #sad_shayari #क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सक
#sad_shayari #क्या सांसे बचाने वालों की सांसों का कोई हिसाब नहीं सड़को पे आज है डॉक्टर पर उसको क्यों इंसाफ नहीं क्या हमारी सांसों को सक
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