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राजेंद्रभोसले
कीर्तननाचे रंगी नट नाचे पण सध्या...... पोपटपंची अध्यात्म रुजू लागले तेव्हा बेकारांची ,पोटभरूनची संख्या वाढली या राजवटीत अभंगाचे अनेक अर्थ लावू लागले गोष्टीरुप व्याख्यानास काही कीर्तन समजू लागले गायनाच्या चढ्या ताना मारणारे सरस ठरले गळ्यात माळा अंगावर विविध नक्षी काढणारे , दाढ्या वाढवून केस वाढणारे भुरटे पाहिले अध्यात्माच्या बाता मारणारे संख्या वाढतच आहे त्यात आई बाबा विषय घेऊन घोकंपट्टी नकलाकार यांनी कहरच केला डोळ्यात मगरमच्छ चे पाणी आणणारे , व्यावसायिक ही अनुभवले परदेशातील भावनिक गोष्ठी सांगून लोकांना शहाणपणाचे सुतलाक डोस पाजनरें, नाटकी कलाकार ही पाहिले विनोदाच्या ग्रामीण भाषेचा तडका पुस्तकपंडितांचे वाभाडे काढताना पाहिले राजकीय पुढाऱ्यांचे भाट ही अनुभवले टीव्ही वर तर जाहिराती पहिल्या माना डोकावून रडणारे भाडेकरू रसिक ही पाहिले कीर्तन चांग कीर्तन चांग
कीर्तन चांग कीर्तन चांग
read moreShiv Narayan Saxena
#NojotoRamleela रावण सहित सबको हतप्रभ और दिलों में दहशत भरकर श्रीराम को हनुमानजी ने माता सीता का हाल और संदेश सुनाया. सबकी सलाह पर श्रीराम दल-बल सहित समुद्र तट पर पहुंचे. इन घटनाओं के दूरगामी परिणामों को देख मंदोदरी और विभीषण ने सीती को लौटाकर समझौते का सुझाव दिया. रावण न माना और विभीषण को लंका से निकाल दिया. विभीषण ने श्रीराम की शरण ले ली. अब सबने समुद्र पार करने की बात कही. श्रीराम ने मर्यादा को महत्व देकर समुद्र से मार्ग देने का अनुरोध किया. रावण के डर से तीन दिन बीतने पर भी समुद्र ने मार्ग न छोड़ा तो श्रीराम ने क्रोध का प्रदर्शन कर अग्निबाण का संधान किया. इसपर समुद्र अपने जीव-जंतुओं का हवाला देकर क्षमा मांगने लगा. कोई मार्ग न देखकर समुद्र ने बताया कि आपके दल में नल-नील नामक वानरों के फेंके जानेवाले पत्थर डूबेंगे नहीं. इस प्रकार पुल बनाकर आप सेना सहित समुद्र पार कर सकते हैं. अब श्रीराम के निर्देश पर पुल निर्माण शुरू हुआ. किन्तु, नई समस्या यह आ गई कि नल-नील द्वारा छोड़े पत्थर डूब तो नहीं रहे थे लेकिन इकट्ठे बंधकर पुल नहीं बना पा रहे थे. इस समस्या के समाधान के लिये हनुमानजी ने अपूर्व योजना की. उन्होंने नल-नील से कहा कि तुम केवल वे पत्थर ही समुद्र में छोड़ोगे जिनपर मैं श्रीराम लिख दूँगा. अब वानर पत्थर लाते, हनुमानजी एक पर ' 'राम' का *रा* और दूसरे पर राम का *म* अक्षर लिखते. इस प्रकार *रा+म* के संयोग से तैरते हुये पत्थर अब परस्पर जुड़ते जाते थे. श्रीराम के नाम का गौरव बढ़ानेवाली हनुमानजी की इस लीला केबाद बड़े उत्साह से पुल बनने लगा. इसी अवस्था में भक्त श्रद्धा से कह उठता है कि- *दुनिया चले न श्रीराम के बिना,* *रामजी चलें न हनुमान के बिना.* 🙏🙋♀️ जै श्रीराम! 🙏🙋♂️ 🙏🙋♀️ जै हनुमान!🙏🙋♂️ ©Shiv Narayan Saxena श्रीराम सेतु निर्माण. श्रीराम सेतु निर्माण. #NojotoRamleela
श्रीराम सेतु निर्माण. श्रीराम सेतु निर्माण. Ramleela
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