Find the Latest Status about firaq shayari in hindi from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, firaq shayari in hindi.
Shivangi Srivastava
Vo toot gye shaakh se Jin patton ne dam tod diya tha...... Unki majboori thi girkar bikharna, Aur log samajhte rahe Ki vo zameen chumne ki FIRAQ me the....... Log jo samajhna chahte the, Vo samajhte rahe...... Har bebasi me FIRAQ dhundhte rahe.......... Vo beh gye aankh se Jin ashqon ne gam odh liya tha...... Unki majboori thi lagataar barasna, Aur log samajhte rahe Ki vo aagosh me jhumne ki FIRAQ me the........ Log jo samajhna chahte the, Vo samajhte rahe...... Har bebasi me FIRAQ dhundhte rahe.......... Vo ho gaye raakh se Jin lamhon ne yaadon se naata jod liya tha..... Unki majboori thi aag me jalna, Aur log samajhte rahe Ki vo rosh ke chadar tale sab bhulne ki FIRAQ me the....... Log jo samajhna chahte the, Vo samajhte rahe...... Har bebasi me FIRAQ dhundhte rahe.......... #firaq
Raj
रात गहरी थी बहोत,मुफ्लिसि लंबी बड़ी... मैं चलता गया, थके पाँव इक फजर की फिराक में। ©Raj Singh Rana #firaq
Sayed Mohsin
ब-ज़ाहिर एक ही शब है फ़िराक़-ए-यार मगर कोई गुज़ारने बैठे तो उम्र सारी लगे #फ़राज़ #firaq
ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ
मैं जानता था मुझको भुलाओगे एक दिन.. उल्फत के आशियां को जलाओगे एक दिन.. मैं आंखों में बरसात बचा कर के रखा था.. मैं जानता था आग लगाओगे एक दिन..! ©Khan Sahab shayari in hindi sad shayari in hindi
shayari in hindi sad shayari in hindi
read moreZ Rahman
White रात भर चांद को छेड़ा है यही कह कहकर और ! सूरज के भरोसे पे चमकने वाले ©Z Rahman shayari in hindi hindi shayari
shayari in hindi hindi shayari
read moreUpendra K
आंगन में लिये चांद के टुकड़े को खड़ी हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी रह-रह के हवा में जो लोका देती है गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हंसी नहला के छलके-छलके निर्मल जल से उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके किस प्यार से देखता है बच्चा मुंह को जब घुटनियों में लेके है पिन्हाती कपड़े दीवाली की शाम घर पुते और सजे चीनी के खिलौने जगमगाते लावे वो रूपवती मुखड़े पै इक नर्म दमक बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए आंगन में ठुनक रहा है ज़िदयाया है बालक तो हई चांद पै ललचाया है दर्पण उसे दे के कह रही है मां देख आईने में चांद उतर आया है रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे भाई के है बांधती चमकती राखी - फ़िराक गोरखपुरी firaq gorakhpuri
firaq gorakhpuri
read more