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Pooja Udeshi
मर्डर ======== किसी को मारना अगर आसान है तो किसी को दुबारा जिन्दा करना मुश्किल, जीवन भगवान की देन है किसी का जीवन नस्ट ना करो guys आप को कोई अधिकार नहीं किसी को मारने का ख़त्म करने का, गुस्से पर काबू रखो, बाद मे जेल जाने फांसी खाने का पछतावा मत करना कानून के हाथ आप तक पहुंच ही जाऐगे आप के गले मे फांसी का फंदा पहनाने और कसने, तो जुल्म ना करो ना सहो, इंसान को केवल अपनी जाति की ही नहीं सब की रक्षा करनी चाहिए पुन्य कमाओ फ़िर ही संसार से पूरी उम्र जी के जाओ और दूसरो को भी जीने दो किसी का मर्डर ना करो! ©POOJA UDESHI मर्डर #crimestory
मर्डर #crimestory
read moreJyotshna 24
हर इंसान तब एक क्रिमिनल होता है । जब वह अपने वक्त का मर्डर कर रहा होता है । "ज्योत्सना २४" #मर्डर#नोजोटो
Prashant Mishra
एक झटके में अलग होंगे तो फिर जुड़ जाएंगे बेवफ़ाई सिम्त(तरफ)जाकर रास्ते मुड़ जाएंगे मारना है इश्क़ को तो क़िस्त में करिये कतल गुफ़्तगू कम कीजिये खुद फ़ासले बढ़ जाएंगे --प्रशान्त मिश्रा "मर्डर of इश्क़"
"मर्डर of इश्क़"
read moreAakriti Rai
मृत्यु एक दर्जा है जिसे देने का हक सिर्फ ईश्वर का है उनका हीं बनाया ये संसार है और अपने कर्मों से बनाया भाग्य है उनके पास से आए हैं उन्हीं के देख रेख में जीते हैं और उन्हीं के पास जाना है हम और आप सिर्फ मदद करने के हक़दार हैं ना कर सके तो भी ना कोई ऐतराज़ है पर हमें ना किसी का अपमान करने का हक है ना जान लेने का अधिकार है हां ये शरीर ज़रूर माँ पापा की देन है पर जान डालना science के भी परे है ना मनुष्य के ना जानवर के अपने बच्चे के भी जीवन पर हमारा ना अधिकार है ©Your Inner Voice #मर्डर #nojoto2021 #life #crimestory
#मर्डर #nojoto2021 #Life #crimestory
read morePooja Mehra poetry
#OpenPoetry एक सच्ची मर्डर स्टोरी -प्रद्युम्न मर्डर केस कभी शक कि सुई घूमी स्कूल के सिस्टम पर, तो कभी घूमी स्कूल के ड्राइवर पर कभी दोष दिया उन टीचर्स को, तो कभी उंगली उठाई स्कूल के मालिक पर.... रहा सवाल हर इक के मन में, कि बच्चे सुरक्षित नहीं अब स्कूलों में? माँ की आँखें रही चीखती, क्या दोष था उसकी मासूमियत में? क्या भला हुआ उस ज़ालिम का, जिसने चिर दिया प्रद्युम्न को इक पल में? ग़ुस्से का उफान उठा था, हर इक माँ के सीने में कि कौन है ऐसा जंगली दानव, जिसने चीर दिया उसे इक पल में पर दोषी निकला इक ऐसा बच्चा, जिसका मन नहीं पढने में घर के झगड़ो में पिस बैठा,थी क्रोध सी ज्वाला सीने में..... क्या हमने कभी ऐसा सोचा कि, क्यों अपराध हुआ उस बालक से कुछ तो गलत हुआ था उसके साथ भी, जो यह कर बैठा अनजाने में उसकी ख़ामोशी को पढ़ना चाहिए था, है सवाल मेरा उन माँ बाप से कि बच्चे मुजरिम होते है, अपने ही जन्म से ? बच्चे तो मासूम है होते,क्यों बड़ा बना डाला उन्हें हमने, फर्ज़ हमारा भी बनता है कि झांके हम उनके अंतर्मन में, बच्चे तो गीली मिट्टी होते है जो रूप बनाओ बचपन में, फर्ज हमारा भी बनता है कि झांके हम उनके अंतर्मन में, आज भी ना जाने कितने बच्चे है जो ना कह पाते अपनो से, कि ना लड़ो मम्मी पापा यहीं गुजारिश है आपसे, मैं ना हस पाता हू में ना रो पता हू, आपको क्या मिलेगा इन झगड़ो से ? फर्ज़ हमारा भी बनता है कि,झांके हम इनके अंतर्मन में आइये हम भी यह प्रण ले कि झांकेंगे,इनके अंतर्मन में ताकि फिर से कोई ऐसा, बाल दोषी ना बने किसी भी घर में, किसी भी घर में..... pooja mehra ✍️ एक सच्ची मर्डर स्टोरी पद्युम्न मर्डर केस उस मासूम की याद में एक दुखद कविता.....
एक सच्ची मर्डर स्टोरी पद्युम्न मर्डर केस उस मासूम की याद में एक दुखद कविता.....
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