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Anjali Jain
इच्छाओं और आवश्यकताओं का संस्कार करें हम परिष्कार करें हम तभी मानव, मानव बना रह सकता है अन्यथा दानव बनने में देर नहीं लगती।।। #परिष्कार#26.08.20 #reading
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👉 Janmansh Ka Parishkar जनमानस का परिष्कार जिन्हें कुछ करना होता है वे घोर व्यस्तता के बीच भी अपने प्रिय प्रसंग के लिए कुछ कर गुजरने के लिए सहज ही अवसर प्राप्त कर लेते हैं। यहाँ तक कि दरिद्रता, रुग्णता, व्यस्तता से लेकर समस्याओं के जाल जंजाल तक के कुछ न कुछ करते रहने में बाधक नहीं बन सकते। ऐसे भावनाशीलों की कमी नहीं जो उलझनों और कठिनाइयों से निपटने की तरह ही अन्तरात्मा की, महाकाल की युग पुकार की-गरिमा स्वीकार करते हैं और उसे सर्वोपरि समस्या आवश्यकता मानते हैं। प्रयासों में प्रमुखता सदा उन्हें मिलती है जिन्हें अंतःकरण द्वारा महत्वपूर्ण माना जाता है। युग प्रकार यदि महत्वहीन समझी गई है तो सहज ही उसके लिए आजीवन फुरसत न मिलने की मनःस्थिति और परिस्थिति बनी रहेगी। श्रद्धा उमंगी भी तो हजार उपाय ऐसे निकल जावेंगे जिनके आधार पर निर्वाह की समस्याओं को हल करते रहने के साथ-साथ ही प्रस्तुत युग धर्म के आहृ के लिए भी इतना कुछ किया जा सकता है जिससे आत्म संतोष और लोक श्रद्धा को अभीष्ट मात्रा उपलब्धि होती रहे। युग विकृतियों का एक ही कारण है जन मानस में आदर्शों के प्रति अनास्था का बढ़ जाना। इस सड़ी कीचड़ से ही असंख्यों कृमि कीटक उपजते हैं और समस्याओं तथा विभीषिकाओं के रूप में जन जन को संत्रस्त करते हैं। उज्ज्वल भविष्य की संरचना का एक ही उपाय है-जन मानस का परिष्कार। चिन्तन में उत्कृष्टता का समावेश किया जा सके, दृष्टिकोण में आदर्शवादिता को समावेश किया जा सके, दृष्टिकोण में आदर्शवादिता को स्थान मिल सके तो लोक प्रवाह में सृजनात्मक सत्प्रवृत्तियों का बाहुल्य दीखेगा। ऐसी दशा में युग संकट के कुहासे को दूर होते देर न लगेगी। समस्या दार्शनिक है। आर्थिक, राजनैतिक या सामाजिक नहीं। जन मानस को परिष्कृत किया जा सके तो प्रस्तुत विभीषिकाओं का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। उनसे लड़ने की लम्बी चौड़ी तैयारी करने की आवश्यकता ही न रहेगी। मनुष्य को ध्वंस के विरत करने के-सुजन में से लागू होने के लिए सहन किया जा सके तो बड़े पैमाने पर जो खर्चीली योजनाएं बन रहीं है। उनमें से एक भी आवश्यकता न पड़ेगी। जन के बूँद बूँद प्रयासों से इतना कुछ अनायास ही होने लगेगा जिस पर सैकड़ों पंच वर्षीय सृजन योजनाओं को निछावर किया जा सकेगा। इसके विपरीत जन सहयोग के अभाव में बड़ी से बड़ी खर्चीली योजनाएं अपंग बनकर रह जाती है। हमें पत्तों पर भटकने के स्थान पर जड़ सींचने का प्रयत्न करना चाहिए। जन मानस का परिष्कार ही सामयिक समस्याओं का एक मात्र हल है। उज्ज्वल भविष्य की संरचना का लक्ष्य इस एक ही राज मार्ग पर चलते हुए निश्चित रूप से पूर्ण हो सकता है। ज्ञान यज्ञ का युग अनुष्ठान इसी निमित्त चल रहा हैं। विचार क्रान्ति की लाल मशाल का प्रज्वलन इसी विश्वास के साथ हुआ है कि जन-जन के मन-मन में उत्कृष्टता की आस्थाओं का आलोक उत्पन्न किया जा सके। ✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य 📖 अखण्ड ज्योति- फरवरी १९७९ जनमानस का परिष्कार
जनमानस का परिष्कार
read morehimanshu
उदास थोड़ा खुद से हु नाराज थोड़ा तुझसे हु #नोजोटो #अप्प #हिंदी #पोएट्री
Anjali Jain
इच्छाओं और आवश्यकताओं का संस्कार करें हम परिष्कार करें हम तभी मानव, मानव बना रह सकता है अन्यथा दानव बनने में देर नहीं लगती।।। #परिष्कार#26.08.20 #reading
Murtaza Ali
अगर मन बहोत ही निर्मल महसूस हो रहा हो,चहुँ और से उल्लास एवं उत्साह महसूस हो रहा हो, सभी एक दूजे के साथ आपसी सौहार्द और प्रेम से रह रहे हो और ऐसा लग रहा हो कि जीवन मैं बहोत ज़्यादा मिठास घुल गयी है,तो ज़रा एक क्षण भी फ़िज़ूल किये बिना facebook खोलकर नज़र घुमा ले आपका शुगर लेवल नार्मल ही नहीं अपितु नीचे भी जा सकता है। ✍️✍️मुर्तज़ा #वर्चुअल वर्ल्ड
#वर्चुअल वर्ल्ड
read moreज्योति ਠਾਕੁਰ
बहुत प्यार से बुलाता था वो कभी मुझे अपनी दुनिया कह कर,😊😊 एक दुनिया 🌍बनायेगे हम अपनी अलग तुम्हे बहुत खुशियां देकर, तुम बस साथ दे देना मेरे साथ मे साथ रहकर👫 हम बाँट लेंगे हर गम हाथ मे हाथ लेकर,,💏🤝 #Your वर्ल्ड
#your वर्ल्ड
read moreLata Sharma सखी
रंगों भरी दुनिया का बस एक रंग हो तुम, चाहो तो दुनिया अपने रंग में रंग दो, या दुनिया के रंग रंग जाओ.. है मुहब्बत इसका अलहदा रंग, या मुहब्बत कर लो किसी से या मेरे इश्क़ में पड़ जाओ.. हूँ मैं रंग ए वफ़ा गहरा चढ़ती हूँ, या मुझे खुद में घोल लो, या मुझे सुनो तुम घुल जाओ.. ©Lata Sharma सखी #कलर #वर्ल्ड