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Divyanjli Verma
शीर्षक- चिडियों का गाना वो गाती है एक सुरीला गाना मुझे भी चुगने जाना है दाना सुबह उठ के चहचहाना मुझे अच्छा लगता है आसमान मे उड़ जाना वो कहती है मुझसे चू चू करके सारा फ़साना दूर कहीं जो उन्हें दिखता है बगीचा आती है बताने उस बगीचे का ठिकाना मेरा तो चिडियों से है याराना पुराना वो गाती है एक सुरीला गाना मुझे भी चुगने जाना है दाना ©Divyanjli Verma चिडियों का गाना
चिडियों का गाना
read moreRadheshyam
बांके बिहारी ने, मेरे मन को मुरारी ने जादू ये कैसा किया हैं, ये उस बनवारी ने अपनी वो मोहिनी, दिल पर छोड़ जाता हैं जिसकी तरफ मोहन, मुड़ कर देख जाता हैं जो कोई देखें उसे, दीवाना हो जाता हैं दुनिया से अंजाना, बेगाना हो जाता हैं क्या कोई जानता हैं, उस छलिया के मन को कभी मन रहता हैं, मन तराना हो जाता हैं सुध-बुध गवाएं हैं, मन रसिया को चाहें हैं देखीं, जब से देखीं वो अनुपम छवि, तब से मन मुस्काए हैं कृष्ण जीवन में आएं हैं, मन सांवरिया चाहें हैं बांके बिहारी ने, मेरे मन को मुरारी ने जादू ये कैसा किया हैं, ये उस बनवारी ने....... ©Radhika #NojotoHindi #बांके बिहारी का जादू
Hindi #बांके बिहारी का जादू
read morePushpendra Pankaj
समाज मे कुछ लोग आपको बुरा तो कुछ आपको सही भी कहते हैं, यह सब पर लागू होता है । अतः मात्र स्वयं को ही दोषी नहीं मान । समाज की संरचना ही ऐसी है । पुष्पेन्द्र पंकज ©Pushpendra Pankaj विचार बिंदु
विचार बिंदु
read moreParasram Arora
शब्दों से जुडी है कविता जैसे. नींद से जुड़ा है ख्वाब जैसे साँसे जुडी है जिंदगी से जैसे वैसे ही मैं जुड़ा हूँ तुमसे और तुम मुझसे इस जुड़ाव बिंदु पर कोई तो है जो जोड़े रखता है हमेँ एक दूसरे से कदाचित वो प्रेम का सम्पुट हो या फिर हमारे विश्वासों का उल्लास या फिर रात्रि के अभिसार का कोई प्रणय गीत जो हमारे अस्तित्व क़ो बरकरार ऱखने के लिए और एक दूसरे से जोड़े ऱखने के लिए. तत्पर हो ©Parasram Arora जुड़ाव बिंदु
जुड़ाव बिंदु
read moreअरविंद राव
दो जिस्म ओर वो बिस्तर फिर भी हैं फ़ासले यूँ हमबिस्तर होना है जोड़ मात्र एक होता अगर संयोंग ये जिस्मों का मिलना तो जुड़ती रूह ना होते बोझिल और धुंधले से ये सम्बंधो के फ़ासले बहुत कुछ है अब क्षितिज की बिंदुरेखा सा इक तेरे मेरे दरमियाँ।। ©Arbind #क्षितिज बिंदु
#क्षितिज बिंदु
read morePushpendra Pankaj
विचार बिंदु संबंध की डोर बहुत महीन होती है जिसके दोनों छोर विश्वास नामक पेंचों से कसे होते हैं ।किसी भी पेच के ढीले होने से डोरी का ढीली होना स्वाभाविक है । पुष्पेन्द्र " पंकज " ©Pushpendra Pankaj विचार बिंदु
विचार बिंदु
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