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Stories related to बज्र गिलोय

A. K Raj

लाल देह लाली लसैै, अरु धर लाल लंगूर | बज्र देंह दानव दलन, जय जय जय कपिसूर योगेन्द्र ठाकुर Prakash Kumar आशीष रॉय 🇮🇳 शशि "मंजुलाहृदय" Alice

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जय श्री राम लाल देह लाली लसैै, अरु धर लाल लंगूर |
बज्र देंह दानव दलन, जय जय जय कपिसूर योगेन्द्र ठाकुर  Prakash Kumar आशीष रॉय 🇮🇳 शशि "मंजुलाहृदय" Alice

N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey} माना जाता है कि खाली पेट गिलोय का रस पीने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि गिलोय का सुबह ख

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drsharmaofficial

Dedicating a #testimonial to seha jain #yqbaba #Hindi #diary #happyfriendshipday #Dosti #urdu #writer इस शहर या उस शहर की मिट्टी में भीतर त

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मैदानी क्यारियों से झाँकती 
नीम- गिलोय की सगंत ही 'दोस्ती' हैं"... Dedicating a #testimonial to seha jain
#yqbaba #hindi #diary #happyfriendshipday #dosti #urdu #writer
इस शहर या उस शहर की मिट्टी में 
भीतर त

Divyanshu Pathak

गिलोय जब नीम से आत्मसात हुई अमृत हो गई 💞💞 Thank you Vishnu Prasad, SANDEEP SEN, & Ashish Kumar Rai Writing ko yaad kiya🙏💞💞💞🤩🤩 #yqbaba

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वेद प्रमाण है
आयुष का
आयु का
प्रकृति के
हर पर्ण
झाड़ जड़
कंटक फल
बेरी आक 
धतूरा 
बनाया है 
औषधि 
जी सकें 
तीन सौ
बरस ।
  गिलोय जब नीम से आत्मसात हुई अमृत हो गई 💞💞

Thank you Vishnu Prasad, SANDEEP SEN,  &  Ashish Kumar Rai 
Writing ko yaad kiya🙏💞💞💞🤩🤩


#yqbaba

Parul Sharma

वह सिर्फ एक स्त्री नहीं दुर्गा है कंगन समझ के ना छू लेना उसके हाथों में तलवार है झुमके की झंकार त्यागी उसने वो मर्दानी क्रांति की ललकार है

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वह सिर्फ एक स्त्री नहीं दुर्गा है
कंगन समझ के ना छू लेना
उसके  हाथों  में तलवार है
झुमके की झंकार त्यागी उसने
वो मर्दानी क्रांति की ललकार है
लक्ष्मी वो नहीं सोलह श्रंगार की
वो झांसी की रानी की आवाज है
देश पर मर मिटी कितनी ही विरांगना
माँग का टीका नहीं वो भी देश का ताज है
बज्र सा बल है सूर्य सी दहकती आग है
रणभूमि में कूद पड़ी चंडी का अवतार है
पारुल शर्मा वह सिर्फ एक स्त्री नहीं दुर्गा है
कंगन समझ के ना छू लेना
उसके  हाथों  में तलवार है
झुमके की झंकार त्यागी उसने
वो मर्दानी क्रांति की ललकार है

Krish Vj

मुझे सर्दी नहीं लगती है साहब जिंदगी के गमों ने शरीर को बज्र सा बना दिया है हा, कभी-कभी शरीर काप सा जाता है पर जब आँखो के सामने फटे चितडो म

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मुझे सर्दी नहीं लगती है साहब
जिंदगी के गमों ने 
शरीर को बज्र सा बना दिया है
हा, कभी-कभी शरीर काप सा जाता है
पर जब आँखो के सामने 
फटे चितडो मे लिपटी बीवी 
और भुख से तडपते बच्चो 
का चेहरा आता है तो सर्दी 
कहाँ गायब हो जाती है 
पता ही नही लगता है!!
हाय!! कुछ ना करने की बेबस लाचारी, 
किश्मत अबला हमारी
गरीब और गरीब हो रहा
 अमीर और अमीर,
अब  यही जिन्दगानी हमारी


 मुझे सर्दी नहीं लगती है साहब
जिंदगी के गमों ने 
शरीर को बज्र सा बना दिया है
हा, कभी-कभी शरीर काप सा जाता है
पर जब आँखो के सामने 
फटे चितडो म

Zara Sogra

*Brahmi is Brain* *Arjuna is Heart* *Ashwagandha is Strength* *Shatavari is Stamina* *Guduchi ( गिलोय)is Immunity* *Mulethi is throat* *Gin

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*Brahmi is Brain* 
*Arjuna is Heart*
*Ashwagandha is Strength*
*Shatavari is Stamina*
*Guduchi ( गिलोय)is Immunity*
*Mulethi is throat*
*Ginger is digestion*
*Coconut oil is metabolism*
*Sweet Potatoes are Pancreas*
*Pumpkin is the GUT* 
*Carrots are Retina*
*Tulsi is Oxygen*
*Tomatoes are Prostate*
*Pomegranate is Red blood cells* 
*Water is Blood* 
*Grapes are Lungs*
*Papaya is Liver*
*Apples are breathing Respiration*
*Moringa is Muscles & joints*
*We are gifted daily 660 litres of oxygen equivalent to 15 lakhs of ventilator cost, from the day we are born*
*& yet we are searching about credibility of medicinal plants & their claims substantiation.*

*TRUST NATURE !!*🍀

*HAVE A HEALTHY & NATURAL DAY* 🙏

©Zara Sogra *Brahmi is Brain* 
*Arjuna is Heart*
*Ashwagandha is Strength*
*Shatavari is Stamina*
*Guduchi ( गिलोय)is Immunity*
*Mulethi is throat*
*Gin

कवि राहुल पाल 🔵

विदाई का पल (पिता के नजरिए से..) भाषा -हिंदी (अवधी) शब्दार्थ :- जवने दिना -जिस दिन विसराय - भुला देना,त्याग देना,छोड़ देना बजरवा -बज्र ,गमो

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Sagar vm Jangid

आओ हम व्रक्ष लगाए, प्रकर्ति का स्तम्भ लगाए। प्रकर्ति का प्रकोप ज्यादा है, शायद व्रक्ष कम है। आओ हम व्रक्ष लगाए, प्रकर्ति का स्तंभ लगाए।

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sagar vm jangid आओ हम व्रक्ष लगाए,
प्रकर्ति का स्तम्भ लगाए।

प्रकर्ति का प्रकोप ज्यादा है,
शायद व्रक्ष कम है।

आओ हम व्रक्ष लगाए, 
प्रकर्ति का स्तंभ लगाए।

Nisheeth pandey

फूलन देवी ..…........... कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज फिर उसे घुमाया नंगा था... बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था.... देखती रहीं

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फूलन देवी 
..…...........

कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं धूप ,न ही बादलों का बज्र गिरा था ....
जिश्म के लुटेरों ने नंगा खेल खेला था....
दर्शक बने लोग मगर किसी का आत्मा न जागा था ,...
हर उम्मीद सोया, इंसानियत नहीं जगा था....
मर गई आत्मा वही, एक लाश ने कसम खाया था....
बदले की भावना सिर चढ़ कर बोला था.…..
उस दिन फूलन में काली दुर्गा की शक्ति आई थी....
खुद को कर बुलन्द  बंदूक उठाई थी...
ठोक कर गोलियां दरिंदों को छटी का दूध याद दिलाया था....
नारी शक्ति को जागृत कर दिखाया था....
खुद के बदौलत फैसला सुनाया था .....
उस दिन फूलन इतिहास में अपना अध्याय लिखा था ....
उस दिन से फूलन का परचम लहराया था.....
ईज्जत के लुटेरों को औकाद बताने का दौर नया आया था......

©Nisheeth pandey फूलन देवी 
..…...........

कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं
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