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Asthajita kakoti

#Freedom a poem in Assamese

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অনুভৱ 


মন উৰণীয়া 
দেহা দুদিনীয়া 
তথাপিও মনত হেপাঁহ 
নপলাই
হাবাথুৰি খাই বিচাৰি
ফুৰো 
মোৰেই থাকক সকলো
মইয়েই হওঁ ৰজা বা ৰাণী ।
               
        
              by Asthajita kakoti #Freedom a poem in Assamese

Tauheed Shahbaz Anwar

love is about freedom #Freedom Love

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या तो वो फिजा हो जाए,या मैं परिंदा 
पाबंद हदों में इश्क यह मुमकिन नहीं।
 love is about freedom
#Freedom #Love

Suman Gupta

a short poem on #revenge#Thoughts#Freedom

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let your pen take revenge on behalf of you,
let it pour down those unshared thoughts from you.
let it purify the impurities of your soul,
let your pen flow contineously and heal the scraps of your heart.
spread those heap of inner feelings and thoughts,
be the judge of your own opinion.
your body may be slave but let your thoughts be free like a pigeon. a short poem on #revenge#thoughts#freedom

spoken english kelidevi

Freedom poem

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Anupam Mishra

#poem #Freedom

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फिर से उड़ने लगी हूँ उसी शिखर को छूने को
गिरकर जहाँ से कई बार उड़ना ही भूला दिया,
फिर से वही जूनून सा सवार हो गया है,
मुझे खुद से ही फिर से प्यार हो गया है;
डर नहीं किसी के तीर का जिससे जख्म गहरे हुये
डर नहीं भटकने या ऊँचाई से फिर गिर जाने का! #poem #freedom

Viswajit Pathak

A poem about mother love

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BAPUN

A poem about my Life...

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(:: ଅବାସ୍ତବ ଭାବନା ::)

ହସଭରା ମୁଖ ପଛେ
              ଶତ ଚିନ୍ତାର ସ୍ରୋତ,
ଅବାସ୍ତବ ଭାବନାରେ
              ମୋ ହୃଦ ମର୍ମାହତ।

ବିଜନ ସ୍ଥଳେ ନିର୍ବିକାର ରୂପେ
                         ଚିନ୍ତନେ ବ୍ୟଥିତ ଏ ମନ,
ଅସ୍ଥିର ବ୍ୟାକୁଳ ହୋଇଉଠେ ସେ
                        ଦେଖେ ନିତି ଦିବା ସ୍ଵପ୍ନ।

ସ୍ୱପ୍ନର ଗଭୀର ସାଗର ତରଙ୍ଗେ
                      ମୁଁ ଯେ କାତହୀନ ନାଉରୀ,
କୂଳ ନପାଇ ନାଆଟି ମୋର
                          ଢେଉମେଳେ ଯାଏ ଅପସରି।

କୁଟୁମ୍ବ ଚଳାଇ ଆଗକୁ ବଢ଼ଇ
                       ବଡ଼ ପୁଅର ଏତ ପଣ,
ନିଦ୍ରାହୀନ ହୋଇ ଦେଖେ କେତେ ସ୍ବପ୍ନ
                         ଏଇ ମୋ ଅସ୍ଥିର ମନ।

ସ୍ୱପ୍ନର ବାଟରେ ମୁଁ ଜଣେ ବାଟୋଇ
                              ମନେ ସଞ୍ଚି କେତେ ସ୍ବପ୍ନ,
ଅବାସ୍ତବ ଭାବନାକୁ ବାସ୍ତବେ ଦେଖିବି
                           ବ୍ୟାକୁଳ ହୁଅଇ ମନ।

ଆହେ ଜଗନ୍ନାଥ ଜଗତର ନାଥ
                        ପୂରଣ କରହେ ମୋର ଶୂନ୍ୟ ହାତ,
ସ୍ବପ୍ନ ସବୁ ମୋର ସାକାର କରହେ
                    ଏତିକି ମୋ ତବ ପାଦେ ଦଣ୍ଡବତ। 

                                                           :-ଦୀପ୍ତି ରଞ୍ଜନ ନାଏକ A poem about my Life...

Suchitra Kumari Sahu

A short poem about life

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 A short poem about  life

Rahul Yadav

व्यथित था ये मन मेरा
किस बात की दरकार थी
उम्मीद का परिंदा था पाला 
किस बात की फिर ललकार थी
इन धमनियों में जो तेज दौड़ा
उस लहू का शुक्रिया
जो मन की मन में ही दबाता 
उस शख्स की बस हार थी
व्यथित था ये मन मेरा
किस बात की दरकार थी
इन आँखों में जो चमकता है
वो ख्वाब है या मन की आग 
मैं हर तरफ से था अभागा
पर गहरी उसकी बातों की मार थी
तुम जो ठहरो और मंजिल तक चलो
सफर में अंतिम पग मेरे संग धरो
मैं फिर चीख सुना सकूं
अपने मन के सारे हाल
और उम्मीद का परिंदा भी 
जो ले वो आजादी की आस थी
व्यथित था ये मन मेरा
किस बात की दरकार थी #Freedom #poem #Shayari

Anit kumar kavi

#poem nojoto #Freedom

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आजाद परिंदा बनकर मैं, उड़ जाऊं नील गगन में, ना बांध सके मुझको कोई मोह-माया के बंधन में, #poem #nojoto #Freedom
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