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BRIJESH KUMAR
काश इस करवाचौथ कहता था चाँद जब बेपनाह मुह्होबत थी, दिल के आसमाँ से गिरा दिया जब से नफ़रत हुई... ब्रजेश कुमार करवा चौथ #करवा चौथ #nojoto #Nojotohindi
सुशील राय "शिवा"
हाथों में रच गई मेहंदी पांव में सज गई पायल चमक रही बिंदिया सजनी को इंतजार है अपने 'चांद' की नाम तो उसका है 'करवा' पर रस घोलता है 'मीठा' सिंदूर दमक रहा है माथे पर वो पहचान है उसका गर्व है मान है मर्यादा है उसकी अस्मिता का रक्षक भी है निगाहें जो उठे कातिल उसके लिए तलवार है तरकश की तीर है हरता वो हर पीर है दोस्त बनकर हंसाए माता-पिता की तरह डांटे बहन जैसे गलत-सही ऊंच-नीच समझाए वो हरदम रखे सलामत करता हूं मैं यही कामना समस्त माताओं-बहनों, दोस्तों को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामना।। ©सुशील राय "शिवा" करवा चौथ
करवा चौथ
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चाँद बदली से बाहर निकलने को बेताब है, करवा चौथ के दिन पिया तू ही मेरा आफत़ाब है । करवा चौथ
करवा चौथ
read moregovind bundelkhandi
नयी आस जगाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वह शादी में कौन सी साड़ी लाए थे वह कार में या घोड़ी पर चढ़कर आए थे कब उनसे टकराव हुआ कब क्या लेकर वह मुझे मनाने आए थे यह याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ याद आ गईं सासू मां सारा दिन संग्राम मचाया था वो और मैं चुपचाप शर्म की चादर ओढ़े बैठे थे मां ने जिद करके उनको बाहर से घर बुलवाया था भूले बिसरे लम्हों की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ यह बूटे वाली साड़ी रिक्कू जब पेट में था तब की है यह पर्पल साड़ी देवर ने दिलवाई थी ये गोटे वाला लहंगा महँगा है यह कहकर तुम टाल गए थे मैं बहू नहीं मैं बेटी थी पापा की पापा ने तुमसे डांट डांट मंगवाई थी सतरंगी रिश्तो की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ छूट्टन की शादी वाली साल तुम मुझसे रूठ गए थे गुस्से में जिज्जी के घर जाकर बैठ गए थे जिज्जी को जब पता चला तो उनके गुस्से के आगे तुम्हारे छक्के छूट गए थे हर संग जरूरी जीवन में यह एहसास कराता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वो तंगी वाले दिन हैं याद मुझे वो सुंदर सी सस्ती साड़ी तुम लाए थे मैं बिफर न जाऊं मैं रूठ न जाऊं देने से पहले तुम कई बार सकुचाए थे कई कई सालों के बाद मुझको तुमसे ये कहना है मैं मुरली तुम अधर हमारे मुझे संग तुम्हारे रहना है भूली बिसरी यादोंको नया रंग चढ़ाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ करवा चौथ
करवा चौथ
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नयी आस जगाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वह शादी में कौन सी साड़ी लाए थे वह कार में या घोड़ी पर चढ़कर आए थे कब उनसे टकराव हुआ कब क्या लेकर वह मुझे मनाने आए थे यह याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ याद आ गईं सासू मां सारा दिन संग्राम मचाया था वो और मैं चुपचाप शर्म की चादर ओढ़े बैठे थे मां ने जिद करके उनको बाहर से घर बुलवाया था भूले बिसरे लम्हों की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ यह बूटे वाली साड़ी रिक्कू जब पेट में था तब की है यह पर्पल साड़ी देवर ने दिलवाई थी ये गोटे वाला लहंगा महँगा है यह कहकर तुम टाल गए थे मैं बहू नहीं मैं बेटी थी पापा की पापा ने तुमसे डांट डांट मंगवाई थी सतरंगी रिश्तो की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ छूट्टन की शादी वाली साल तुम मुझसे रूठ गए थे गुस्से में जिज्जी के घर जाकर बैठ गए थे जिज्जी को जब पता चला तो उनके गुस्से के आगे तुम्हारे छक्के छूट गए थे हर संग जरूरी जीवन में यह एहसास कराता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वो तंगी वाले दिन हैं याद मुझे वो सुंदर सी सस्ती साड़ी तुम लाए थे मैं बिफर न जाऊं मैं रूठ न जाऊं देने से पहले तुम कई बार सकुचाए थे कई कई सालों के बाद मुझको तुमसे ये कहना है मैं मुरली तुम अधर हमारे मुझे संग तुम्हारे रहना है भूली बिसरी यादोंको नया रंग चढ़ाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ करवा चौथ
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