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Parasram Arora

नदी और उसका मीता पानी

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White वो नदी  समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ 
क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल 

समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए

©Parasram Arora नदी और उसका मीता पानी

Vinod Mishra

"कोई भी ऐसा धर्मावलंबी बताओ जो अपने धर्म की इतनी बेइज्जती करता हो जितना कि तुम अपने धर्म की करते हो." शर्म करो! चुल्लू भर पानी में डूब

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Sandhya Kumari

क्या सच में, सबकुछ एक दिन ठीक होगा?? #Poetry lovers

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Ravendra

नवरात्रि के पहले दिन से मंदिरों में शुरू हुई पूजा पाठ आरती

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s गोल्डी

शाम भी सुहागन होना चाहती हैं दिवाकर के इश्क में खोना चाहती हैं दिन भर वो भी जलता रहता जुदाई में फिर मौका देख मांग भर देता चुपके से तन्हा

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शाम भी सुहागन होना चाहती हैं 
दिवाकर के इश्क में खोना चाहती हैं
दिन भर वो भी जलता रहता जुदाई में 
फिर मौका देख मांग भर देता
 चुपके से तन्हाई में 
डूबते डूबते दे जाता है 
ऐसा खामोश प्यार
जिसका शाम , सुबह से ही 
करने लगती है इंतजार

©s गोल्डी शाम भी सुहागन होना चाहती हैं 
दिवाकर के इश्क में खोना चाहती हैं 
दिन भर वो भी जलता रहता जुदाई में 
फिर मौका देख मांग भर देता 
चुपके से तन्हा

s गोल्डी

ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं

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ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं
 
अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं

©s गोल्डी ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं 
अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं

Nirankar Trivedi

मन में भर कर जीना और मन भर कर जीने में बहुत फर्क है

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मन में भर कर जीना, 
और मन भर कर जीने में बहुत फर्क है

©Nirankar Trivedi मन में भर कर जीना और मन भर कर जीने में बहुत फर्क है

ranjit Kumar rathour

एक ग्लास पानी

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एक सम्मान उसे 
जिससे रिश्ता रहा हमारा 
सुबह के अभिवादन का 
चैत की दोपहरी मे 
एक ग्लास पानी पिलाने का 
चेहरे उदासी क़ो 
पहली नजर मे पढ़ लेने का 
चौक डस्टर या फिर 
जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का 
थे उनसे हमारे भी वादे 
सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का
हम उऋण नहीं हुए 
हो भी नहीं सकते कर्ज से 
लेकिन एक फर्ज तो बनता था 
सो रत्ती भर सही निभाया 
हां बस निभाया

©ranjit Kumar rathour एक ग्लास पानी

(Pari/R.N) Kushwaha

पानी ही पानी जमीन फटकार निकल गया

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मुसाफ़िर क़लम

बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी

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