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Purnima Kaushik

विचारों का अनुलोम अनुलोम विलोम कीजिए

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Sneh Prem Chand

अनुलोम विलोम #Hope

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काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा
अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस
लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं,
और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष,
अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।।

दिल की कलम से

©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम

#Hope

kishori jha

हिन्दी #gone विलोम sabad

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RV Chittrangad Mishra

प्रवृत्ति #Life

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RV 111
एक सूअर को कितना भी मेकप करा दो लेकिन वह अपना मुंह नाले मे धो ही देगी क्योंकि उसकी प्रवृत्ति ही यही है
ठीक उसी प्रकार कुछ लोगों की प्रवृत्ति उन्हें आगे बढ़ने से रोकती रहती है

©R.V. Chittrangad  9839983105 प्रवृत्ति
#Life

Kajalife....

काश कि जैसी नसीहतें इंसा दूसरों को देता है ....
उसका कत़रा भी वो खुद पर आजमां पाता ....!!
kajalife #मनुष्य #प्रवृत्ति

MOHAMMED AKRAM

मनुष्य की प्रवृत्ति

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'जो छोटी सोच वाले मनुष्य होते हैं, वो बुराई करते हैं, जबकि प्रभावशाली और बड़ी सोच वाले व्यति की प्रवृति तो माफ करने की होती है। "

©MOHAMMED AKRAM मनुष्य की प्रवृत्ति

Kajalife....

पत्तियॉ भी जब पेडो़ से अलग होती हैं तो 
रंग बदलकर ,
फिर तुम तो मनुष्य हो ।
-kajalife #मनुष्य #प्रवृत्ति
#Kajalife

DM SANAM

आसुरी प्रवृत्ति #Geetkaar

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Ek villain

# दान की प्रवृत्ति #jharokha

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मनुष्य का स्वामी ग्रह जीवन पानी के किसी बुलबुले की भांति अस्थाई है परमात्मा ने हमें यह जीवन प्रदान किया है वह कब इसे वापस ले लेगा कहना मुश्किल है मनुष्य की भलाई इसी में है कि इस जीवन को परमात्मा के हाथों में सौंप कर उसके ने देश में ही जीवन गुजर बसर करें परमात्मा के सिवाय इस सृष्टि में सब ईश्वर है निस्वार्थ से प्रेम करना ही मानवीय दुख का मूल कारण है मनुष्य इस तन को सहेजने सवारने में ही जीवन को बहुमूल्य समय नष्ट कर देते हैं परमात्मा से जरा भी प्रेम नहीं करता यह अज्ञानता भी मनुष्य को दुख के एक कारण है ईश्वर सत्य सनातन अंजाना निवासी सुखदाता है उससे प्रेम सुखदाई है परंतु मनुष्य अपने सुख की खातिर रात दिन धन संग्रह करता है भौतिक संपदा के अपरदन को ही जीवन का असली मकसद समझता है मनुष्य का एक कामना पूर्ण नहीं होती तब तक दूसरी इच्छा उसके समक्ष खड़ी हो जाती है इनकी पूर्ति में 1 बार लगा रहता है जो सुख शांति देने में है वह संग्रह करने में नहीं मनुष्य को संबंध था ईश्वर ने दुखियों की सहायता करने के लिए ही प्रदान किया है संग्रह दुख परेशानी की जड़ है एक करोड़पति सुखी नहीं होता लेकिन एक संत भगवान का भजन करके संग्रह के विजय निमंत्रण कैसे खुश रह सकता है बहुत ही के संग्रह में नित्य त्याग में असली सूखे सूखे होने का एक ही मार्ग है जिसके आपकी जो है आपके जरूरतमंदों में बांटने की नीति सीखे इस सृष्टि में सबित्र देने की प्रक्रिया सूर्य चंद्रमा मिक्स नदी झरना सभी देते हैं रहते हैं जीवन में गति और लय को बनाए रखने के लिए देने की भावना को जागृत करना सबसे ज्यादा जरूरी काम है लेना स्वार्थ है देना परम अर्थ देना दायित्व है लेना असुर तब लेना दुख की वृद्धि है औरत देना सुख का विस्तार संग्रह की परवर्ती का त्याग और ईश्वर से संबंधित जोड़ना ही जीवन का संरक्षण 10 सुख शांति का प्रमुख आधार है

©Ek villain # दान की प्रवृत्ति

#jharokha

Anjali Jain

गिद्ध प्रवृत्ति 09.02.21 #zindagikerang

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अमानवीय प्रवृत्ति पर अक़्सर,
 गिद्ध प्रकृति का आरोप लगाया जाता है
लेकिन गिद्ध भी प्राणी के मरने का
इंतजार करता है
फिर जो जीते-जी प्राणियों पर
अमानवीय अत्याचार करते हैं
उनके प्राणों को दांव पर लगाकर
अपना हित साधते हैं
वे क्या प्रगति करने में
गिद्ध को भी पीछे छोड़ चुके हैं!!

©अंजलि जैन गिद्ध प्रवृत्ति 09.02.21

#zindagikerang
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