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Stories related to पाहिली पंढरीची महिमा अभंग

IG @kavi_neetesh

*या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 🚩 🙇🏻 🚩* *नवरात्रि के पावन महापर्व के चतुर्थ दिवस की अन

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

वास्तविक आवाज शीर्षक शिव महापुराण (अथ प्रथमोऽध्यायः) विधा शौनक जी के साधन विषयक प्रश्न करनेपर सूत जी का उन्हें शिवमहापुराण की महिमा सुना

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक शिव महापुराण (अथ प्रथमोऽध्यायः) विधा श्लोक ६ शौनक जी के साधन विषयक प्रश्न करनेपर सूत जी का उन्हें शिवमहापुरा

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक शिव महापुराण (अथ प्रथमोऽध्यायः) विधा श्लोक ५ शौनक जी के साधन विषयक प्रश्न करनेपर सूत

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक शिव महापुराण (अथ प्रथमोऽध्यायः) श्लोक ४ विधा शौनक जी के साधन विषयक प्रश्न करनेपर सूत जी का उन्हें शिवमहापुरा

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक शिव महापुराण (अथ प्रथमोऽध्यायः) श्लोक ३ विधा शौनक जी के साधन विषयक प्रश्न करनेपर सूत जी

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक शिव महापुराण (अथ प्रथमोऽध्यायः) श्लोक २ विधा शौनक जी के साधन विषयक प्रश्न करनेपर सूत जी का उन्हें शिवमहापुराण

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक शिव महापुराण (अथ प्रथमोऽध्यायः) विधा शौनक जी के साधन विषयक प्रश्न करनेपर सूत जी का उन्हे

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Kesh Karan nishad

#राम नाम की महिमा ##

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

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मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म
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