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भाग्य श्री बैरागी
समाज ने उपजें हैं कई हजारों रोग, नारी अपमान करके भी बच जाते लोग। ना जांचा ना परखा कुछ भी,सोच ने नारी को बाँझ भी कह दिया, पुरुष के पुरुषत्व को ठेस न पहुँचे बस,हर दोष को औरत के सर मढ़ने का हक किसने दिया? समाज के लोग सोच जनित रोग के शिकार, अपनी इज़्ज़त भी नारी,वही बदनामी का आधार। बेटे बचा कर रख लिए,बहू ही पिसती रही, बाँझ कहलाने के बावजूद,पति की परेशानी छिपाती रही। 9 "सोच जनित रोग" #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #मेरी_बै_रा_गी_कलम
9 "सोच जनित रोग" #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #मेरी_बै_रा_गी_कलम
read moreEk villain
दुनिया में हर साल करीब 14 करोड़ तन प्लास्टिक समुद्र में पहुंचता है प्लास्टिक प्रदूषण से समुद्री जीवन का गहरा प्रभाव पड़ रहा है इसका असर मानव स्वास्थ्य पर भी दिख रहा है एक नेता मध्य मानव कुत्ते को सूक्ष्म प्लास्टिक कणों की उपस्थिति का पता चला पृथ्वी पर सबसे ऊंचे पहाड़ों से लेकर हमारे शरीर के महत्व आज तक कोई ऐसी जगह नहीं बची है जहां प्लास्टिक के प्रदूषण करण खन्ना पहुंचे हमारे खून में सूक्ष्म प्लास्टिक की उपस्थिति यह दर्शाती है कि हम कितने गंभीर प्लास्टिक प्रदूषण का सामना कर रहे हैं प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगाने के समय समय पर किए जाने वाले तमाम प्लास्टिक की खबर में कोई कमी नहीं आई है इसके लिए उदाहरण अपने दैनिक जीवन में देख सकते पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए प्लास्टिक कचरे को ठिकाने लगा एक बहुत बड़ी समस्या है जाते हैं दुनिया में उत्पादित होने वाले प्लास्टिक बनाया जाता है दुनिया की प्लास्टिक समस्या से निपटने में जापानी वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक कोष से मदद मिल सकती है उन्होंने 2016 प्लास्टिक खाने वाले एक अनोखी बैक्टीरिया जीवाणु की खोज की थी वैज्ञानिकों ने एक रीसाइकलिंग प्लांट के बाहर प्लास्टिक की बोतल एकत्रित करने के बाद उनकी जांच की उम्र में पाया कि बैठने की प्रजाति इन बोतलों को धीरे-धीरे चैट कर रही थी ©Ek villain #जीवाणु रोकेंगे प्लास्टिक प्रदूषण #ramadan
Heer
रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer #रोग
Krati Singh
उन्हें अपनी पत्नी के साथ बाज़ार में खिलखिलाने का लगा था रोग,,, हमपे नजर पड़ी ,,,तो बोले हट्ट... जाने कहाँ से आ जाते हैं लोग,,, #रोग
Deepika Rawat
ये जो दिल में "इश्क" नाम की चीज है ना, साला! बहुत बडी़ बीमारी है। इसे या तो लगाना ही नही चाहिए,या तो ऐसा लगाओ कि इसका नशा कभी उतरे ही ना। रोग...
रोग...
read moreगौरव गोरखपुरी
दूसरों की खुशियों में खुश नहीं कैसा ये रोग है। रोग का भी क्या खूब हो रहा उपयोग है! निंदा रसपान करेे कोई , कोई लगा रहा भोग है ! अजीब लोग हैं... झूट , कानों से कानों तक पहुंच रहा गजब का उद्योग है! जिस कान तक पहुंच गया वो सालों - साल निरोग है! मगर पहुंचा , हर कान तक , अलग अलग गजब का संजोग है! अजीब लोग है... मदद में साथ नहीं खड़ा कोई मगर निंदा में खूब हो रहा सहयोग है! बंटता जा रहा सभी में क्या ये मोहनभोग है!! इलाज इसका कुछ दिखता नहीं क्या ये प्रेम रोग है!!! अजीब लोग है...। रोग
रोग
read moreTubeLights
पाल ले एक रोग नादान जिंदगी के वास्ते, सिर्फ सेहत के सहारे उम्र कटा नहीं करती ।। ©TubeLights रोग
रोग
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