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Rakesh frnds4ever
White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!! सहना सहना आखिर कब तक!!??!! क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!! प्रताड़नाओं की मार के आगे दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!! कहना सुनना आखिर कब तक !?! रोना धोना आखिर कब तक!?! सहना सहना आखिर कब तक!?! जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!? प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!? कब तक आखिर कब तक मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!?? ©Rakesh frnds4ever #कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
read moreShashi Bhushan Mishra
ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
read moremehar
White तुम्हारी चुप और हमारा लहज़ा कभी मिलेंगे तो बात होगी। हमारी आंखे और तुम्हारा चेहरा कभी मिलेंगे तो बात होगी। ©mehar #बात होगी
#बात होगी
read moreParasram Arora
White इस दुनिया का हर देश और प्रत्येक आदमी आश्वत है कि जल्द आयेगी वो घडी ज़ब दूनिया मे एक क्रन्तिकारी परिवर्तन होता हुआ दिखेगा इस घड़ी की प्रतीक्षा हर युग मे की गई लेकिन कुछ भी बदलता हुआ हमें दिखा नही है आज तक ©Parasram Arora कब आएगी वो घड़ी
कब आएगी वो घड़ी
read moreGhumnam Gautam
चलो आँखों में भर लो पर मुझे सपना नहीं करना किसी भी और को मेरे सिवा अपना नहीं करना चाही है तुम से इतनी वफ़ा बस इतनी वफ़ा मेरी साँसों को आख़िर तक तेरी ही ख़ुश्बू महकाए नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए... कि जब तक साँस बाक़ी है मिलन की आस बाक़ी है समंदर सामने है पर ये सच है प्यास बाक़ी है हो जाएं चाहे दोनों जुदा, हम-दोनों जुदा यही मेरी दुआ होगी मुझे तू भूल हरसाए मगर ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए... शिक़ायत है मुझे तुमसे तुम्हीं से इश्क-ओ-उल्फ़त है मेरी हर साँस को दिलवर तुम्हारी ही ज़रूरत है बहते इन अश्क़ों की ये है सदा हाँ, ये है सदा भले पत्थर मिलें मुझको,मगर तू फूल ही पाए नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए.... मूल गीत― समीर ©Ghumnam Gautam #प्रतिगीत #ghumnamgautam #जान #याद #बरसात
#प्रतिगीत #ghumnamgautam #जान #याद #बरसात
read moreShashi Bhushan Mishra
कब तलक मेला चलेगा, फिर अकेलापन खलेगा, दिवस का अवसान होगा, सूर्य अस्ताचल ढ़लेगा, ख़त्म होंगे बाग से फल, वृक्ष भी कबतक फलेगा, बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, बर्फ पर्वत पर गलेगा, मोह में जिसके पड़े तुम, वही आकर फिर छलेगा, फूँक कर तुम छाछ पीना, तप्त हो यदि मुँह जलेगा, लाख करलो कोशिशें तुम, लिखा विधि का ना टलेगा, चूकना अवसर न 'गुंजन', हाथ फिर कबतक मलेगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #कब तलक मेला चलेगा#
#कब तलक मेला चलेगा#
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