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Company Kisku

सातवीं लव और रोमास

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,आसव रोपोड खतिर जनिक ओडोक रेन कू ऐगेरा, ई‌‌ञ गिञ दुलाड मिया मोने आलोम गेजेरा,

©Company Kisku सातवीं लव और रोमास

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रमज़ान_कोरा_काग़ज़_2022 सातवीं _रचना👉_परेशानियाँ #tarunasharma0004 #hindipoetry #trendingquotes #KKRपरेशानियाँ #collabwithकोराकाग़ज़ रमज

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परेशानियाँ
जब तक इंसान जीवन की परेशानियों 
को दिल से लगाता रहेगा,कभी सुकून 
से जी न पायेगा,जब तक परेशानियों 

से लड़ने की कोशिश न करेगा,तब तक 
उलझन में घिरा रहकर मायूस ही रहेगा, 

बदलेगा न भाग्य तब तक जब तक 
इंसान खुद को आत्म-विश्वासी न 
बनायेगा,रहेगा ग़र यूँ ही भाग्य भरोसे 

वक्त हाथ से निकलर अपनी राह बदल 
जायेगा, 

कैसा मायूस होना कैसा थक कर हार 
जाना,थाम ली जब ईश्वर ने उंगली 
तुम्हारी फिर परेशानियों से कैसा तुमको 
घबराना, रमज़ान_कोरा_काग़ज़_2022
सातवीं _रचना👉_परेशानियाँ 
#tarunasharma0004
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#trendingquotes 
#KKRपरेशानियाँ
#collabwithकोराकाग़ज़ #रमज

The Urban Rishi

मेरे स्टडी रूम की अलमारी में रखी, दाएं से सातवी डायरी, अब तुम्हारा नया पता है, तुम्हारा दिया वो फूल अब सुख चुका है, पर यादें बिल्कुल ताजी है

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मेरे स्टडी रूम की अलमारी में रखी,
दाएं से सातवी डायरी,
अब तुम्हारा नया पता है,
तुम्हारा दिया वो फूल अब सुख चुका है,
पर यादें बिल्कुल ताजी है,
जब भी तुमसे मिलने की चाह होती है,
मैं खोल लेता हूं वो सातवीं डायरी और खो जाता हूँ,
तुम्हारी यादों की तन्हाई में।

©The Urban Rishi मेरे स्टडी रूम की अलमारी में रखी,
दाएं से सातवी डायरी,
अब तुम्हारा नया पता है,
तुम्हारा दिया वो फूल अब सुख चुका है,
पर यादें बिल्कुल ताजी है

kuNdan kuNal

मुमताज शाहजहाँ की सातवीं बेगम थी , उसने अपनी बड़ी पत्नी की बेटी को भी बनाया था हवस का शिकार । अगर इसे प्यार कहते हैं तो रंडीबाजी किसे कहते ह

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 मुमताज शाहजहाँ की सातवीं बेगम थी , उसने अपनी बड़ी पत्नी की बेटी को भी बनाया था हवस का शिकार । अगर इसे प्यार कहते हैं तो रंडीबाजी किसे कहते ह

Ravendra

सातवीं मोहर्रम का जुलूस तिरंगे व अलम के साथ मातम करते हुएअकीदत मंदों नेनिकाला । बहराइच में हज़रत इमाम हुसैन रजिअल्लाह ताला अन्हु की शहादत

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कोरा-काग़ज़-जश्न_ए_इश्क़ ************************* सातवीं रचना- जज़्बातों का तिरंगा, ***************************** सरहद ए जमीं पर जब फौजी दु

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जज़्बातों का तिरंगा
जब देकर शिकस्त वो दुश्मनों को तिरंगा
वो उस जमीं पर फहराता है,चूम कर 
तिरंगा वो फौजी खुद को गौरवान्वित 

महसूस करके जज़्बात अपने प्रकट 
करता है,जिसके लहू के कतरे-कतरे
में देशप्रेम है बहता,

जिसको सोते जागते हर लम्हा अपने
वतन का नाम जपना उसका दीन-ईमान 
है बन जाता है,फक्र महसूस करता है 
जब वो अपनी जान खतरे में डालने से 

पीछे नहीं हटता,यही जज़्बात एक सच्चा 
फौजी ही महसूस कर सकता है,
और जुबां पर उसकी एक ही नारा है
होता "धरती माँ तुझे सलाम" 
— % & कोरा-काग़ज़-जश्न_ए_इश्क़
*************************
सातवीं रचना- जज़्बातों का तिरंगा,
*****************************
सरहद ए जमीं पर जब फौजी दु

V.k.Viraz

indira vks Siyag nensi gangele Priya dubey Neetu Sharma यह पिरामिड विधा है इसमे केवल 7 पाँक्तियाँ होती हैं और हर पंक्ति उतने ही शब्द की ह

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विधा-पिरामिड

©V.k.Viraz indira vks Siyag nensi gangele Priya dubey Neetu Sharma  

यह पिरामिड विधा है इसमे केवल 7 पाँक्तियाँ होती हैं और हर पंक्ति उतने ही शब्द की ह

Lalit Shihir

मेरा उसे देखने का मन था, सोचा आरज़ू पूरी कर लूं। पहली बार गया वो नहीं दिखी दूसरी बार में भी नहीं मिली, तीसरी बार में जरा दिखी, चौथी बार में

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मेरा उसे देखने का मन था,
सोचा आरज़ू पूरी कर लूं।

पहली बार गया वो नहीं दिखी
दूसरी बार में भी नहीं मिली,
तीसरी बार में जरा दिखी,
चौथी बार में कोई साथ
पांचवीं बार में वो दिखी

पहली बार में हेलो बोला
दूसरी बार में कैसे हो,
तीसरी बार में और बताओ,
चौथी बार में टौफी थी
पांचवीं बार में खामोशी,
छठवीं बार में क्या चल रहा है
 सातवीं बार में बहस हुई,
 आठवीं बार में झड़क,
 नौवीं बार में बात खत्म

©Neerav Nishani मेरा उसे देखने का मन था,
सोचा आरज़ू पूरी कर लूं।

पहली बार गया वो नहीं दिखी
दूसरी बार में भी नहीं मिली,
तीसरी बार में जरा दिखी,
चौथी बार में

yogesh atmaram ambawale

नवीन काही लिहिण्याचा प्रयत्न.. पहिले चार ओळी,मग पाच ओळी,मग सहा ओळी,आणि मग शेवटी सात ओळी. #पहिले_प्रेम #शाळेतलंप्रेम #शाळेतले_दिवस #yqtaai y

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आठवत आहे मला आज ही,
इयत्ता पहिली ते दहावी,
शिकवायला नेहमीच सर होते,
मॅडम कधी आल्याच नाही.

आठवते आहे आज ही,
इयत्ता सातवीत असताना,
एक दिवस का होईना,
मॅडम शिकवायला आल्या होत्या.
त्या पुन्हा दिसल्याच नाही.

आठवतो आहे आज ही,
मॅडम चा तो चेहरा,
अजून ही मी विसरलो नाही,
पाहत होतो फक्त त्यांनाच
त्यांनी काय शिकवले होते,
ते लक्षातच राहिले नाही.

ते पहिले प्रेम होते माझे,
की फक्त सौंदर्याचे आकर्षण,
हे कोडे अजून ही उलगडलेले नाही,
जेव्हा केव्हा विषय निघतो,
आपल्या पहिल्या प्रेमाचा,
शाळेतल्या ह्या मॅडम शिवाय,
दुसरं कुणीच मला आठवत नाही. नवीन काही लिहिण्याचा प्रयत्न..
पहिले चार ओळी,मग पाच ओळी,मग सहा ओळी,आणि मग शेवटी सात ओळी.
#पहिले_प्रेम #शाळेतलंप्रेम #शाळेतले_दिवस #yqtaai #y

Raveena

# "आदमी की किस्मत- किसके हाथ# * एक शहर में एक मामूली कर्मचारी रहता था। वह अपने जीवन से हमेशा निराश रहता था। पर इस काम के सिवा उसे कुछ और आता

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एक कहानी....





किस्मत की... # "आदमी की किस्मत- किसके हाथ#
* एक शहर में एक मामूली कर्मचारी रहता था। वह अपने जीवन से हमेशा निराश रहता था। पर इस काम के सिवा उसे कुछ और आता
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