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Kavita jayesh Panot
एक सीख (कोरोना और प्राकृतिक आपदाएं) सुबह के 7 बज रहे थे। आँख खुली ही थी , और हॉस्पिटल से फोन आया , डॉक्टर जल्दी आ जाइये , आई सी यू का ऑक्सीजन सप्लाई कम हो रहा है। सारे मरीज ऑक्सीजन कम होने की वजह से , स्वांस लेने में तकलीफ महसूस कर रहे है। और 4 मरीज तो भगवान को प्यारे हो गए। सुनकर जल्दी तैयार हो डॉक्टर हॉस्पिटल को भागे। पिछले दिन रात को मध्यरात्री 3 बजे सुबह घर आने पर पत्नी ने पूछा क्यो आज इतना देरी से, जरा खाना तो वक्त पर खा लिया करो। तभी मुस्कुराते हुए बोले , खाना ही देरी से खा रहा हूँ ना। कई लोग तो ऐसे है जिन्हें अब स्वांस लेने के लिए हवा ही नही नसीब होती। तभी सारी बात बताते कहा , आज दिन भर से मेहनत के बाद 50 ऑक्सीजन सिलेंडरो की व्यवस्था हो पाई। नये आई सी यू के लिए . जहाँ 50 मरीज भर्ती किये थे। आजकल ऑक्सीजन भी सप्लाई में नही है । ऐसे दिन आ गए ....... बस इतना बोल कर वो सो गए लेकिन में घंटो विचार करती रही। औरआँख खुली तो सुबह हो गई ,और सुबह सुबह ये खयाल आया , की ये सब क्या है सिर्फ एक महामारी नही अपितु प्रकृति का प्रकोप भी है। इंसानों ने अपने स्वार्थ के लिए वृक्ष काटे और इमारते बनाई। और निरंतर अपने स्वार्थ के लिए वृक्षों का हनन कर रहे है। न सिर्फ " वृक्ष " पशु , पक्षियों को भी अपनी मनसा का शिकार किया है। शायद इसीलिये इंसान आज घरों में कैद है, और स्वांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नही। अगर ऐसा निरन्तर चलता रहा तो , वह दिन दूर नही जब हमें अपनी प्राथमिक जरूरते, खाना, पानी, हवा, अग्नि, और घर सभी के लिए मोहताज होना पड़ेगा। बात छोटी सी है, हम आये दिन समाचार पत्रों में पढ़ते है, सुनते है। लेकिन इस पर गहनता से विचार नही किया होगा। और यदि किया होगा तो कभी इसके लिए कोई प्रयास नही किया होगा। यह घटना हमारे लिए एक चेतावनी है। हर एक व्यक्ति का यह कर्तव्य है , जो इस बात की गहराई को समझे । इस बात को सभी लेखकों के समक्ष यथावत लेकर आने का मकसद सिर्फ यही है, अपनी अपनी कलम की धार से जनसाधारण के दिल में इस विषय को लेकर संवेदना जगाये। अगर ये कोई कविता होती तो , आप सभी इसे पढ़ कर अपना प्यार दे देते इसीलिए ----- मैने अपनी संवेदनाओं को कोई आकार और विधा का रूप नही दिया। आप सभी जितना इस पर विचार कर सकते है, जितना लोगो के दिलों तक यह बात जिस भी माध्यम से पहुँचा सकते है। यह विषय सभी के लिए एक चुनोती है। और एक प्रकृति का हम सभी के लिए संदेश । तो उठिए ....... अपने अंदर के लेखक को जगाइए. लोगो तक ये घटना की गहराई पहुँचाइए ताकी सभी समझ सके, अस्पतालों में भी मरीज सुरक्षित नही है। और उसका कारण मानव द्वारा प्रकृति में छेड़ छाड़ से है। अपना जीवन अपने हाथों में है। बिना हवा डॉक्टर भी कुछ नही कर सकते। कविता जयेश पनोत ©Kavita jayesh Panot प्राकृतिक आपदाएं#कोरोना
प्राकृतिक आपदाएंकोरोना
read moreVivek prajapati
देश के नाम एक संदेश.. आज हमारे देश में जो भी कुछ हो रहा है, यह 2020 हमारे जिंदगी को जीवन को तहस-नहस कर गया है। क्या कुछ नहीं हुआ, यह 2020 में, शुरुआत होते ही कोरोना जैसी महामारी ने दस्तक दे दिया, फिर उसके बाद भूकंप के झटके, ओले का गिरना, तूफान का आना, अब तो एक और मुसीबत टिड्डी दल का आना, हम सब की मुसीबत 2020 में बढ़ा दिया है। क्या हम सब इन मुसीबतों का सामना कर पाएंगे क्या हम सब निकल पाएंगे इन मुसीबतों से। कहते हैं, ना जब प्राकृतिक आपदा आती है, ना तो सबको तबाह करके चली जाती है। वही हुआ है, अब इंसानों ने जितना बर्बाद किया, इस प्रकृति को आज वह सारा हिसाब इंसानों से ले रही है। अब भी संभल जाइए, नहीं तो प्रकृति का इतना बड़ा प्रकोप होगा, जो सब कुछ खोना पड़ेगा और खत्म करके चला जाएगा, इस पूरी पृथ्वी को। बस यही कहना चाहता हूं कि प्रकृति से खिलवाड़ ना करो। उसको अच्छा बनाने की कोशिश करो। #WorldEnvironmentDay प्राकृतिक आपदा
#WorldEnvironmentDay प्राकृतिक आपदा
read moreLaxmi Narayan Monga
saint Dr MSG के अनमोल वचन प्राकृतिक आपदाओं को लेकरAnshu writer gudiya Lucky Dhart
read moreRitik Verma the Swan
आप का अपना RVTS ©Ritik Verma the Swan पृथ्वी हमारी नहीं हम पृथ्वी के हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा निवारण दिवस’ की शुभकामनाएं. Anshu writer Pinku sharma Arman khan Lalit p
पृथ्वी हमारी नहीं हम पृथ्वी के हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा निवारण दिवस’ की शुभकामनाएं. Anshu writer Pinku sharma Arman khan Lalit p
read moreअवधेश कुमार
कुदरत के कहर के आगे सब लाचार बैठे हैं। कहीं गर्मी की धूप में तो कहीं पानी के बाढ़ में बैठे हैं। मनुष्य कितना भी तरक्की कर ले अपनी सुविधाओं के खातिर, प्रकृति के प्रकोप में सब फेल है यह धर्म के सारे सार कहते हैं। बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, इसे रोक तो नहीं सकते परंतु बचाव के लिए तैयारियां पहले से जरूर कर सकते हैं।
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, इसे रोक तो नहीं सकते परंतु बचाव के लिए तैयारियां पहले से जरूर कर सकते हैं।
read moreRitik Verma the Swan
RITIK VERMA THE SWAN ©Ritik Verma the Swan भविष्य या तो हरा होगा या तो नहीं होगा अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा निवारण दिवस’ की शुभकामनाएं. #good_night Anshu writer Rakesh Sarkar B
भविष्य या तो हरा होगा या तो नहीं होगा अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा निवारण दिवस’ की शुभकामनाएं. #good_night Anshu writer Rakesh Sarkar B
read moreRitik Verma the Swan
आप का अपना RVTS ©Ritik Verma the Swan जब तक इंसान प्रकृति से छेड़छाड़ करेगा, तबतक प्रकृति भी मानव जीवन से खिलवाड़ करेगा. अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा निवारण दिवस’ की शुभकामनाएं.
जब तक इंसान प्रकृति से छेड़छाड़ करेगा, तबतक प्रकृति भी मानव जीवन से खिलवाड़ करेगा. अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा निवारण दिवस’ की शुभकामनाएं.
read moreom sinsinwar
26 दिसंबर 2004 को जो मानवीय त्रासदी हुई थी प्राकृतिक आपदा जिसमें लाखों लोग मारे गए थे इसी को ध्यान में रखते हुए एक कविता लिखी गई है जिसका शी
read moreMadhu Jain
बस परमात्मा से यही मंगल कामना। बंगाल की खाड़ी में आए तूफ़ान अम्फान से बंगाल, उड़ीसा और बांग्लादेश में भारी नुक़्सान हुआ है और होने की संभावना है। ऐसी प्राकृतिक आपदाओं पर मानव
बंगाल की खाड़ी में आए तूफ़ान अम्फान से बंगाल, उड़ीसा और बांग्लादेश में भारी नुक़्सान हुआ है और होने की संभावना है। ऐसी प्राकृतिक आपदाओं पर मानव
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