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बेजुबान शायर shivkumar
White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar #मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
#मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
read moreMiMi Flix
"बदले की योजना – सियार गिरिश की चालाकी, रिंकू खरगोश की सच्चाई, और गोपाल हाथी की खतरनाक यात्रा" - जंगल में शांति और सौहार्द के बीच एक चालाक स
read moreBanarasi..
बनारसी ...... ©Banarasi.. 💭 क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि जीवन की कठिनाइयों से डरकर हमने कई मौके खो दिए हों? 💭 क्या प्रेम के भावों को समझना हमेशा इतना सरल होता है
💭 क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि जीवन की कठिनाइयों से डरकर हमने कई मौके खो दिए हों? 💭 क्या प्रेम के भावों को समझना हमेशा इतना सरल होता है
read morekatha Darshan
शुभ जन्माष्टमी Happy Jjanmashtami नटखट कान्हा, माखन चोर बाल गोपाल की लीला अनमोल नटखट कन्हैया, तू दिल का चोर तेरी हंसी में बसी है सबकी डोर
read moreSKgujjarchauhan
#लिखने #वाले #तू #दिल #का #हाल लिख दे #मेरी #चुनरी पे मदन गोपाल लिख दे🙏🕉️ #एसकेहरियाणा शायरीदिलसेनिकलीहुई #skgujjarchauhan राधा कृष्ण के भज
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।। आओ खेलो संग , हमारा निर्मल नाता । समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
read moreSEJU
Banarasi..