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Deepak Kumar

उलझन #उलझन #Life #poem #Nojoto

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क्या चाहता हूं अपने जीवन से
ये अभी तक द्वंद है?
खुशियां,सफलता या समेट लूं वर्तमान को
जिसके लम्हे बस चंद हैं!
क्या सभी मनुष्य घिरा है इसी उपापोह में
या बस मेरी ही बुद्धि मंद है?
अनगिनत विचार उठते हैं मष्तिष्क में
ये शैतान है या कोई संत है?
क्यों संतुष्ट नहीं हु  जीवन से
क्या मैं लालची हूँ?
या फिर भाग्य में है कुछ और लिखा
जिसके प्रति मैं आलसी हूँ!
जीवन नें यहां रुकना भी नही है,
आगे बढ़ने के लिए कुछ करना भी नही है।।
मेहनत तो हो रही है परंतु पता नही किस ओर
क्या सदैव रात रहेगी या होगी कभी भोर?
कभी सोचता हूं भीड़ में ही रहूं,
कभी लगता है अकेले आगे बढ़हुँ 
जीवन की उलझनें मस्तिष्क की तंत्रिकाओं से भी ज़्यादा हैं।
पर सुलझा लूंगा इसे ये मेरा स्वयं से वादा है।।
 #NojotoQuote उलझन
#उलझन #life #poem #nojoto

Kirtesh Menaria

उलझन मे उलझते 
देखा है मैंने कइयों को 
सुलझन को समक्ष पाकर भी 
अनदेखा कर जाते उसको 
पर उलझन से ऐसा क्या नाता उनका 
मजबूती से पकड़ जाते उसको 
उलझन को सुलझते देख 
मन उनका कही घबरा जाता 
आवरण को उलझन के 
सुलझन से कोसो दूर रखना वो चाहते 
निकटता बढ़ते देख इन दोनों की 
घना जाल वो बिछाने लग जाते 
©kirtesh #उलझन #सुलझन #nojoto #poem

Ajay jagat

DelhiElections2020 उलझनअजेयpoemajayjagat

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Tausif Kazi

उलझन #उलझन

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उलझनों में उलझा हूँ इस तरहा के सुलझाते हुए फिर उलझ जाता हूँ। उलझन
#उलझन

RC...✍️

उलझन ही उलझन है।

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मुझे तू खुद में उलझा रहने दे, कि सुलझ कर भी
मैंने क्या पाया है।
शायद उलझनों से ही
रास्ते बने तुझ तक। उलझन ही उलझन है।

Andy Mann

#उलझन

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ANIL KUMAR

उलझन

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अर्पिता

#उलझन

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कुछ समय पहले बहुत उलझन में थी कि,
दोस्त, गुरु और अभिभावक में से किसे चुना जाए
अब समझ आ रहा है कि
अभिभावक ही श्रेष्ठ है।
क्योंकि दोस्तों को हम अपने मन की बता सकते हैं
और गुरु उनके मन की हमे बता सकते हैं
लेकिन माता पिता तो बिना बताए ही हमारे मन की भावना समझ जाते हैं।

©अर्पिता #उलझन

Rajshi Raj

#उलझन

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Prashant Mishra

"उलझन"

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दिल में जज़्बात लाखों छुपे हैं मग़र,मैं किसी को दिखाना नहीं चाहता

दिल से रिश्ता जुड़ा है मेरा आपसे, पर मैं खुलकर निभाना नहीं चाहता

कुछ जमाने का डर,कुछ घराने का डर,रोक लेता है मुझको दीवाने का डर

हाँ मुझे भी है तुमसे मोहब्बत मग़र, फिर भी तुमको बताना नहीं चाहता

जिन खयालातों पर सिर्फ़ हक है मेरा,उनको मुद्दा बनाना नहीं चाहता

मेरे जिस गीत में 'अक्स' ना हो तेरा, मैं उसे गुनगुनाना  नहीं चाहता

दिल में जज़्बात लाखों छुपे हैं मग़र, मैं किसी को दिखाना नहीं चाहता...

---डॉ प्रशान्त मिश्रा
 "उलझन"
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