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Mahesh Patel
White सहेली...... हम अपने आप से बात कर रहे थे.. की वो अचानक आ गए.. क्या सोचा था हमने.. क्या हो गया जिंदगी में.. कि वो हमारे दीवाने हो गए.. लाला...... ©Mahesh Patel सहेली.. अचानक.. लाला...
सहेली.. अचानक.. लाला...
read moreParasram Arora
White प्राणो मे ज़ब तक साँसों की ज्योति जलती रहेगी. तुम तो रोशन होओगे ही ये जगत भी तुम्हारी रौशनी से चमकता रहेगा जिस दिन तुम्हारा ख्वाहिशो से मोह भंग हो जाएगा तुम्हारे जीवन की किश्ती भी उस पार तुम्हे पंहुचा देगी ©Parasram Arora उस पार
उस पार
read moreshami reaction
White 🌎💔🌎 कभी किसी को धोखा देकर ये मत सोचना कि वो कितना बेवकूफ है ये सोचना कि वो तुम पर कितना भरोसा करता था ©shami reaction देशों के उस
देशों के उस
read moreU shivan rajauria
White याद उस इंसान की आती है जो दिल के करीब होता है की, याद उस इंसान की आती है जो दिल के करीब होता है वरना महफिल में कमी है चाहने वालों की ये दिल रोजाना किसी न किसी महफ़िल में जा शरीक होता है याद उस इंसान की आती है जो दिल के करीब होता है ©U shivan rajauria #Sad_Statusयाद उस इंसान.... शायरी लव
#Sad_Statusयाद उस इंसान.... शायरी लव
read morePagal Sba
White रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए, अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए ©Pagal Sba रोज रोज #shayari #nojoto
रोज रोज #Shayari nojoto
read moreबदनाम
White रात की गहराइयों में अक्सर हम मिले, दोस्ती के नाम पर ख़्वाबों में गुम हुए। किसी रिश्ते का नाम कभी न लिया, बस चुपचाप उस खेल में डूबते रहे। मुद्दतों तक ये सिलसिला यूँ ही चलता रहा, लबों पे हंसी, दिलों में एक अफ़साना रहा। मोहब्बत का ज़िक्र हमने कभी किया नहीं, दोस्ती की आड़ में खेल चलता रहा कहीं। अब जब तन्हाईयों में ख़यालों का जिक्र है, दोस्ती के उस लिबास में मोहब्बत की फिक्र है। ©बदनाम दोस्ती के उस लिबास में मोहब्बत की फिक्र है।
दोस्ती के उस लिबास में मोहब्बत की फिक्र है।
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
गुमनाम शायर रोज महफिल सजती है यहां तरानों की रोज जाम हमसे पिया नही जाता हैं तेरी याद तो रोज आती है हमको पर हमसे पी कर झूठ बोला नही जाता हैं! kd motivation kd ki dayri ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #said गुमनाम शायर रोज महफिल सजती है यहां तरानों की रोज जाम हमसे पिया नही जाता हैं तेरी याद तो रोज आती है हमको पर हमसे पी कर झूठ बोला नह
#said गुमनाम शायर रोज महफिल सजती है यहां तरानों की रोज जाम हमसे पिया नही जाता हैं तेरी याद तो रोज आती है हमको पर हमसे पी कर झूठ बोला नह
read morePoet Maddy
इक रोज़ महफ़िल में उस शख़्स से, अचानक यूं हमारा हांथ मिल गया......... न जाने क्यों हमको ऐसा लगा कि, हमें ज़िंदगी भर का साथ मिल गया........ ©Poet Maddy इक रोज़ महफ़िल में उस शख़्स से, अचानक यूं हमारा हांथ मिल गया......... #Person#Gathering#Suddenly#Hand#Feel#Life........
इक रोज़ महफ़िल में उस शख़्स से, अचानक यूं हमारा हांथ मिल गया......... #Person#GATHERING#Suddenly#hand#FeelLife........
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