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एक वो थे कि मिट्टी तेल के दिए जलाकर पूरी किताबें पढ़ जाते थे और आज हम कई बल्बों की रोशनी करके भी मोबाइल बिना पढ़ ही नहीं पाते हैं.. वो भी समय था जब लोग एक ढिवरी जलाकर कम रोशनी में भी , तमाम कीड़ों, मकोड़ों के आतंक में पढ़ लेते थे । क्योंकि किताबों में ही जीवन था , और उन्
वो भी समय था जब लोग एक ढिवरी जलाकर कम रोशनी में भी , तमाम कीड़ों, मकोड़ों के आतंक में पढ़ लेते थे । क्योंकि किताबों में ही जीवन था , और उन्
read morekavi manish mann
शरारती राहुल एक गांँव में राहुल और आकाश नाम के दो लड़के थे। दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों एक ही स्कूल में जाते थे।उनके गांँव से स्कूल एक किलोमीटर की
एक गांँव में राहुल और आकाश नाम के दो लड़के थे। दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों एक ही स्कूल में जाते थे।उनके गांँव से स्कूल एक किलोमीटर की
read moreSeema Katoch
"अंतिम इच्छा" मास्टर जी को बीमार हुए आज सात दिन से उपर हो गए थे।अब तो धीरे धीरे उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी।आज सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। (Story in caption) मास्टर जी को बीमार हुए आज सात दिन से उपर हो गए थे।अब तो धीरे धीरे उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी।आज सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। "मास्टरजी
मास्टर जी को बीमार हुए आज सात दिन से उपर हो गए थे।अब तो धीरे धीरे उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी।आज सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। "मास्टरजी
read moreDivyanshu Pathak
व्यवहारिकता भूल गए सब सहनशक्ति को खो बैठे ! पर्व और अब उत्सव सारे अपने मूल रूप को खो बैठे ! होली के हुड़दंग मिटाकर गीत गोठ सब खो बैठे ! प्यार भरे दिल सूख गए सब और अपनापन खो बैठे ! भाव मनभरे भूल गए सब जीवन रस को खो बैठे ! यंत्र बने फ़िरते दिखते सब मूल चेतना खो बैठे ! 💕☕सुप्रभातम मित्रो💕🙏 : आज से 10 - 12 वर्ष पहले हमारे गाँव में जो होली खेली जाती थी आज मुझे बैसा कुछ नही दिखाई दिया । हाँ मेरी मित्र मण्डली आ
💕☕सुप्रभातम मित्रो💕🙏 : आज से 10 - 12 वर्ष पहले हमारे गाँव में जो होली खेली जाती थी आज मुझे बैसा कुछ नही दिखाई दिया । हाँ मेरी मित्र मण्डली आ
read moreAnamika Nautiyal
वो झोपड़ी... ऊँची नीची पहाड़ियाँ जो हर मौसम में अडिग रहती हैं मानो प्रकृति ने इन्हें प्रहरी के रूप में तैनात किया हो ।कोई हरी तो कोई सफेद चादर ओढ़े हु
ऊँची नीची पहाड़ियाँ जो हर मौसम में अडिग रहती हैं मानो प्रकृति ने इन्हें प्रहरी के रूप में तैनात किया हो ।कोई हरी तो कोई सफेद चादर ओढ़े हु
read moreRatan Singh Champawat
.मौसम ,बारिश,सावन फकत एक बहाना है यह आतिश है जिसमें खुद को जलाना है हर किसी को मतलब यहां अपने हासिल से मैं मिट्टी हूं जनाब ! मेरा दर्द किसने जाना है 🙏 RATAN SINGH CHAMPAWAT,🙏 दर्द मिट्टी का
दर्द मिट्टी का
read moreCK JOHNY
माटी के मोल हम सबको इक दिन बिक जाना है माटी का पुतला आखिर कितनी देर टिक पाना है। फिर भी इतनी सी बात भी समझ नहीं आती इसे इनसान चिकना घड़ा है खिन में इसे खुर जाना है। कितनी भी भाग दौड़ कर ले कुछ नहीं हासिल होना। जहाज के पंछी की निआई सतनाम ठिकाना है। इस जग की सब शय यहीं धरी रह जायेगी प्यारे कर्म तेरे साथ चलेंगे केवल नाम ने पार लगाना है। काल जाल से न कोई बच पावै अलख इसकी माया सतगुरू शरण सत्संगति बिना कोई पार न जाना है। माटी के मोल हम सबको इक दिन बिक जाना है माटी का पुतला आखिर कितनी देर टिक पाना है। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 16.07.2020 मिट्टी का पुतला
मिट्टी का पुतला
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