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Parasram Arora
White आज तुम पहली बार अदालत के पर र्कोटे मे अपना हलफिया बयान दर्ज़ कराने आये हो जो कुछ तुमने देखा और सुना था सब सच सच बया कर देना इस जिंदगी का गणित अलग हैँ इसका फलसफा भी अलग हैँ आज तक तुमने सब कुछ दिमाग़ से सोचा था आज तुम अपने दिल से सोचना ©Parasram Arora पहली बार
पहली बार
read morethe_poetic_soul.09
पहली नज़र में जब उसे देखा, न नाम पता, न कोई रेखा। वो अनजान था, मैं बेख़बर, पर दिल मेरा हो गया बेक़रार। फिर चुपके से उसकी तस्वीरें देखी, हर हंसी, हर ख़्वाब में बसी वो एक झलक। न जाने वो कौन, न जाने कहाँ, मगर दिल ने चुनी वही राह अनजानी। एक तरफ़ा था ये प्यार का सफर, न उसे पता, न उसने कभी किया ज़िक्र। मैं उसकी तस्वीरों में ढूँढती हूँ सुकून, पर वो मेरी दुनिया से अब भी बहुत दूर। ©the_poetic_soul.09 #पहली नज़र का एहसास
#पहली नज़र का एहसास
read moreDANVEER SINGH DUNIYA
White मुझसे मत पूछो मेरे अन्दर क्या है नदियों से मत पूछो समदंर क्या है दिखाने वालों ने सब देख लिया है इतनी खोज मत कर मंजर क्या है ©DANVEER SINGH DUNIYA #good_night तूं और यूं
#good_night तूं और यूं
read moremehar
White कभी तुम्हे मोहब्बत रास नहीं आई। कभी तुमने हिम्मत नहीं दिखाई। होगी। इसलिए तुमने मोहब्बत से तौबा की हर मर्तबा इसलिए तुम्हारे नसीब में मोहब्बत न आई होगी। मोहब्बत की बददुआ लगी होगी तुम्हे किसी की आह भरती , सिसकियां लगी होगी। ©mehar #मोहब्बत न मिली
#मोहब्बत न मिली
read moreCricket
Mayank Yadav को पहली बार मिली India team में जगह #mayankyadav #T20 #indiateam #BCCI
read moreJashvant
White यूँ मिरे पास से हो कर न गुज़र जाना था बोल ऐ शख़्स तुझे कौन नगर जाना था रूह और जिस्म जहन्नम की तरह जलते हैं उस से रूठे थे तो इस आग को मर जाना था राह में छाँव मिली थी कि ठहर सकते थे इस सहारे को मगर नंग-ए-सफ़र जाना था ख़्वाब टूटे थे कि आँखों में सितारे नाचे सब को दामन के अँधेरे में उतर जाना था हादसा ये है कि हम जाँ न मो'अत्तर कर पाए वो तो ख़ुश-बू था उसे यूँ भी बिखर जाना था ©Jashvant #यूं मेरे पास
#यूं मेरे पास
read moreधाकड़ है हरियाणा
Shashi Bhushan Mishra
White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #मिली अकेली तन्हाई#
#मिली अकेली तन्हाई#
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