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Nee K 07
नहीं होता हमसे अब झूठे प्यार का नाटक , हमेशा के लिए निकल जाओ मेरी जिंदगी से , अब खोल दिए हैं मैने अपने दिल के फाटक । ©N k #प्यार का नाटक
#प्यार का नाटक
read morevinod maurya
इश्क़ का मज़ा कुछ ऐसा है,जैसे होली पर पी कर नाटक करना। जब नशा उतर जाता है तो,इश्क़ का नाटक खत्म हो जाता है। सच्चा इश्क़ होता कहा है,सिर्फ इश्क़ होने का नाटक चलता है। जिसमे किसी एक की ज़िन्दगी बर्बाद होती है। विनोद मौर्य...✍️ इश्क़ का नाटक....
इश्क़ का नाटक....
read moreVickram
एक नाटक सा चल रहा था मेरी जिंदगी में हमें मालूम ही नहीं की किरदार कौन सा मिला था,, मैं फिर भी अच्छा निभा रहा था किरदार अपना,, मेरी इस कहानी का सीर्शक भी लापता था ,, ©Vickram नाटक जिंदगी का,,
नाटक जिंदगी का,,
read moreRajkumar Nagar
नए किरदार, आते जा रहे हैं, मगर नाटक, वहीं पुराना चल रहा है ©Rk Nagar ज़िंदगी का नाटक #Quote
ज़िंदगी का नाटक #Quote
read morerija shayari
की...... जीश्म हमारा पाने के लिए प्यार करने का झूठा तुम नाटक करते हो जीश्म हमारा खेरात में नहीं बिकता जो तुम लूटने को फिरते हो ।।। ©rija shayari प्यार करने का नाटक
प्यार करने का नाटक
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी शोषण की गाथा ऐसी जनता के हित मारे बैठे है लहू लुहान मुल्क की हालत संवेदना खूंटी पर टाँगे बैठे है जन गण मन गण की गाथाओ का चीरहरण नेता कर बैठे है समाजवाद की व्यवस्थायो को सूली पर चढ़ाये बैठे है खेत खलियान कमाई का जरिया धरती पुत्रो का नीलाम कर बैठे है काले कानूनो का बनता अब भारत शहीद की कुर्बानी को झूठ लाते है आजादी का नाटक है जनता के अरमान सियासी दाव पेचों से घोटे जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" आजादी का नाटक है #farmersprotest
आजादी का नाटक है #farmersprotest
read moreअज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
नाटक..
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