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Sudhir Patidar ''Sahitya Tuber''
हिंदी कहानी || Hindi Moral Story || #Hindikahani #kahani #story #Stories #Kathakaar
read moremanshi234
एक बार की बात है जब एक शेर जंगल में सो रहा था उस समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा अपने मनोरंजन के लिए. इससे शेर की नींद ख़राब हो गयी और वो उठ गया साथ में गुस्सा भी हो गया.  वहीँ फिर वो जैसे ही चूहे को खाने को हुआ तब चूहे ने उससे विनती करी की उसे वो आजाद कर दें और वो उसे कसम देता है की कभी यदि उसकी जरुरत पड़े तब वो जरुर से शेर की मदद के लिए आएगा. चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर बहुत हँसा और उसे जाने दिया. कुछ महीनों के बाद एक दिन, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने अपने जाल में शेर को फंसा लिया. वहीँ उसे उन्होंने एक पेड़ से बांध भी दिया. ऐसे में परेशान शेर खुदको छुड़ाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन कुछ कर न सका. ऐसे में वो जोर से दहाड़ने लगा. ©manshi234 sher or chuhe ki kahani //moral stories
sher or chuhe ki kahani //moral stories
read moreGautam Dave
जिंदगी तो कठिनाइयों का रास्ता है, मंजिल अपनी कुछ खास रखना, सफलता जरूर मिलेगी बस इरादें नेक ओर हौसले बेहिसाब रखना! #motivation #sayari #hindi #moral
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read moreराखी कुमारी
अगर जिंदगी में सफल होना है तो अपने आप पर भरोसा रखिए !! ©superfast445 #2023Recap Hindi moral stories
#2023Recap Hindi moral stories
read moreMeghwans Saab
मां......…..... मां की कहानी एक मां अपने बच्चों के लिए भगवान से भी लड़ सकती हैं परन्तु आपने बच्चों से नहीं लड सकती मगर बच्चे बड़े होते ही उसी मां को घर से निकाल देते हैं फिर भी वही मां अपने बच्चों को बुरा नहीं बतातीं क्योंकि मां को पता होता हैं की वह भटक गया है बस यही आशा लिए मां चुप रहती है की एक दिन वो वापिस जरूर आयेगा ! प्राथना है कि किसी के लिए भी आपने माता पिता के साथ ऐसा ना करें, ©Meghwans Saab #MothersDay #hindi kahani #hindi kahani
#MothersDay #Hindi kahani #Hindi kahani
read moreABK Delhi wala
ऐेैक लड़की कैसे सब के लिए बौझ बन जाती है ( ऐैक उदास लड़की की कहानी) मीना अपने माता पिता की बहुत लाडली थी। तीन बडे भाईयों की बहन थी। कोई भी चीज मांगने पर उसी वक्त सामने हाजिर हो जाती। पूरे घर में रौब था उसका। पूरे परिवार ओर नौकरों पर राजकुमारी की तरह हुक्म चलाती थी मीना स्कूल में भी पूरा रौब था उसका। बडे घर की लाडली जो थी वह। ऐसे ही उसने कालेज में दाखिला लिया। उसके ठाठबाट, बडी गाड़ी में आना जाना, हर दिन नया फैशन देखकर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था। थोड़े ही दिनों में उसके बहुत से दोस्त बन गए। पूरे कालेज में उसकी अपनी ही एक पहचान थी। इन दिनों उसके घर एक रिश्ता आया। खानदानी लोग थे ओर पापा की पुरानी जान-पहचान थी उनके साथ। मीना के साथ कोई जबरदस्ती नहीं थी| पर मीना ने फिर भी हां कर दी, कयोंकि वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी। वह जानती थी कि वह लोग उसका अच्छा ही सोचेंगे। लडके का नाम सूरज था। सूरज काफी पढा लिखा ओर समझदार लडका था। ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे। ससुराल में मीना की जगह वैसी ही थी जैसी कि मायके में। कोई भी काम मीना की सलाह के बिना नहीं होता था। सबकी लाडली बहू बन गयी थी वह। फिर उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ। समर मीना को जान से प्यारा था। पोता पाकर ससुराल वाले तो फूले नहीं समाते थे। मीना कभी कभी सोचती कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी है। उसका हर अपना उसे कितना प्यार करता है। चाहे जीवन में कैसा भी समय आये मेरे अपने हमेशा मेरे साथ हैं, मैं कभी अकेली नहीं हो सकती। कितनी खुशकिस्मत हूँ मैं। पर शायद मीना की खुशियों को उसकी अपनी ही नजर लग गई थी। एक दिन वह मायके जाने की जिद्द कर बैठी। सूरज को बहुत काम था।लेकिन वह फिर भी उसे ले गया। रास्ते में उनकी गाड़ी दूसरी गाड़ी से टकरा गई। मीना, सूरज ओर समर बहुत बुरी तरह से जख्मी हो गए। काफी दिनों के इलाज के बाद समर ओर सूरज तो ठीक हो गए लेकिन मीना पूरी तरह ठीक ना हो सकी। सर पर चोट लगने के कारण वह अपनी आंखों की रौशनी खो बैठी। अब मीना की किस्मत जैसे उलटे पांव चलने लगी। मायके वाले कुछ दिनों तक उसे मिलने आते रहे फिर कभी कभार फोन ही करके पुछ लेते कि अब कैसी हो। धीरे धीरे ये सिलसिला भी कम हो गया। ससुराल वालों की सहानुभूति भी कम होने लगी। घर में किसी को पास बैठने के लिए कहती तो जवाब मिलता बहुत काम है अब तुम भी हाथ नहीं बंटा सकती। सूरज भी चिडचिडा हो गया था। बस समर ही था उसके साथ जिसके साथ हंसते खेलते उसका वक्त गुजरता। एक दिन मीना के हाथ से कुछ सामान गिर गया जिसकी वजह से समर को हलकी सी चोट लग गई। मीना के सास ससुर ने सूरज को उससे अलग कर दिया कि कहीं उसके ना देखने की वजह से बच्चे का कोई नुकसान ना हो जाये। मीना अंदर से टूट चुकी थी। एक दिन उसने सबके सामने मायके जाने की इच्छा रखी तो सूरज उसे तुरंत मायके छोड़ आया। जैसे कि वह भी यही चाहता था। लेकिन समर को उसके साथ नहीं भेजा गया। मीना कभी समर से दूर नहीं रही थी, पर अपनी कमी के कारण उसने ज्यादा बहस नहीं की। मीना को लगा कि वह तीन चार दिन वहां रहेगी तो थोड़ा हवा पानी बदल जायेगा कयोंकि वह कितने दिनों से कहीं भी बाहर नहीं गयी थी। घर वाले भी इतने दिनों बाद उसे देखकर कितने खुश होंगे। मीना के घर पहुंचने पर सब लोग बहुत खुश हुए। खाने में सब कुछ मीना की पसंद का ही बना था। उसने अपने मम्मी पापा ओर भाई भाभियों से दिल खोल कर बातें की। उनके छोटे छोटे बच्चे भी बूआ के साथ घुलमिल गए थे। रात को सोने के वक्त जब वह कपडे बदलने लगी तो उसे पता चला कि उसका बैग तो बहुत भरा हुआ था। वह सब समझ गई। वह बहुत उदास हो गई। कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा, फिर जैसे सब बदलने लगा। सबका व्यवहार बदल रहा था। वह लोग जैसे थक चूके थे उससे। सब लोग घूमा फिरा कर पुछने लगे कि सूरज कब आ रहा है उसे ले जाने। वह बहाना बना देती। जबकि वह जानती थी कि उस घर मे अब उसके लिए कोई जगह नहीं। मीना से चलते वक्त कुछ ना कुछ नुक्सान हो जाता। थोड़ी बहुत टोकाटाकी उसे सूनाई देती। वह टाल देती। एक दिन उसके हाथ से लगकर एक कीमती फूलदान टूट गया। छोटी भाभी ने बहुत हंगामा मचाया। मीना के माता पिता रोज रोज के झमेलों से तंग आ गए थे। उन्होंने सूरज को खुद से फोन कर दिया। सूरज मीना को अपने घर ले गया। मीना को अपने परिवार वालों से ये उम्मीद ना थी जिस मीना के कहे बिना घर मे एक पत्ता भी नहीं हिलता था, उस घर के लिए वह अब बोझ बन चुकी थी। सूरज के साथ ससुराल आते वक्त वह बहुत खुश थी। क्योंकि वह अपने घर जा रही थी अपने जिगर के टूकडे अपने बेटे समर के पास। पर यह खुशी भी कुछ पल की ही थी। सारा बन्दोबस्त पहले ही किया हुआ था। मीना को सीधे ऊपर वाले कमरे में पहुंचा दिया गया। समर से दूर रहने की सख्त चेतावनी दी गई। एक कामवाली हैमा को उसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। जो उसके खाने पहनने जैसी जरूरतों का ध्यान रखती। मीना ज्यादातर चुप ही रहती। कभी-कभी कामवाली हैमा से थोडि बात चीत कर लेती। उसके जरिये समर का पता चल जाता। सबकी लाडली बेटी ओर बहू सबके लिए लाडली से बोझ बन चुकी थी। ©ABK Delhi wala Kahani # Hindi kahani
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read moreBiplab Patra
জলে না নামলে যেমন সাঁতার শেখা যায় না; তেমনি খারাপ সময় না এলে; মানুষ চেনা যায় না... ©Biplab Patra moral lesson #moral
moral lesson #moral
read moreJunu
यह प्रेम कहानी (love story in hindi) एक ऐसे लड़के की है जो प्रेम शब्द के बारे में कुछ नहीं जानता था। उसने कभी भी प्रेम के बारे में नहीं जाना था। चलिए हम उस लड़के के प्रेम कहानी (love story ) को जानते थे। एक लड़का था, वह काफी खुश रहता था। उसके जीवन में कोई गम नहीं था। अभी उसकी पढ़ाई ख़त्म नहीं हुए थी। हम आपको बता दें कि वह लड़का पढ़ने में बहुत तेज था। ©Junu Hindi kahani
Hindi kahani
read moreSanjay
कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का । हँसी खुशी सब काम हुआ था, सारी रस्म अदाई का || बेटी के उस कातर स्वर ने, बाबुल को झकझोर दिया। पूछ रही थी पापा तुमने, क्या सचमुच में छोड़ दिया। अपने आँगन की फुलवारी, मुझको सदा कहा तुमने । मेरे रोने को पलभर भी, बिल्कुल नहीं सहा तुमने || क्या इस आँगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं । अब मेरे रोने का पापा, तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ॥ नहीं रोकते चाचा ताऊ, भैया से भी आस नहीं । ऐसी भी क्या उदासी है, कोई आता पास नहीं ॥ बेटी की बातों को सुन के, पिता नहीं रह सका खड़ा । उमड़ पड़े आँखों से आँसू, बदहवास सा दौड़ पड़ा ।। माँ को लगा गोद से कोई, मानों सब कुछ छीन चला। फूल सभी घर की फुलवारी से, कोई ज्यों बीन चला। बेटी के जाने पर घर ने, जाने क्या-क्या खोया है। कभी न रोने वाला पिता भी आज, फूट-फूटकर रोया है ।। ©Sanjay # Hindi kahani
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