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Ajay Chaurasiya
White विरानियों में खो जाने को दिल चाहता है, पहाड़ों में घूमने को दिल चाहता है, दिल चाहता है बहुत कुछ मगर, लेकिन सिर्फ दिल के चाहने से क्या हो जाता है ? ©Ajay Chaurasiya #चाहने से
#चाहने से
read moreहिमांशु Kulshreshtha
मेरी कविता के दर्पण में, जो कुछ है, महज़ तेरी परछाई है एक कोने में नाम मेरा, लफ्ज़ लफ्ज़ में तू छाई है तू पढ़ती है मेरी कविता, मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूँ… देख झील सी आँखे तेरी मैं अल्फाजों से तुझ को गढ़ता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha अल्फाजों से..
अल्फाजों से..
read moreRjSunitkumar
पसीना उम्र भर उसकी गोद में सूख जायेगा सही मायने में आपने जो हमसफर जो पसंद किया हे वो बुढ़ापे में ही समझ आ जायेगा। ©RjSunitkumar दिल से
दिल से
read moreParasram Arora
White पहले मैं हर वक़्त रौशनी और उजालों का तलबगार रहता था लेकिन अब मैं अंधेरों से इतना प्यार करने लगा हू कि घर की खिड़कियों पर भी काले कांच लगवाने की बात. सोच रहा हू ©Parasram Arora #good_नाईटअंधेरों से प्यार
#good_नाईटअंधेरों से प्यार
read moreJEETENDRA Sharma
जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम ©JEETENDRA Sharma साये से
साये से
read moreShilpa Yadav
#डायरी के पन्ने से वृंदावन की मनमोहक स्मृतियां खण्ड क अच्छा वृन्दावन नाम तो सबने सुना होगा कि वहां का हर कण कण राधे राधे ही पुकारता वैसे ये बात मुझे पूर्णता मिथ्या सी प्रतीत होती था अभी कुछ महज दो वर्षों पूर्व वहां के प्रेम मंदिर का अद्भुत नजारा बरसाना ,गोकुल , मथुरा एवं आगरा के भ्रमण पर जब मैं निकली तो मन में यही था कि हर वर्ष की भांति इन स्थलों पर भी घूमेंगे टहलेंगे और कुछ स्मृतियां बटोरकर अपने घर वापस आ जायेंगे कालेज से घर वापस एक बार मम्मी पापा से मिलने व कुछ खाने पीने का सामान लेकर वापस कालेज में पहुंची तो मन बड़ा अधीर था ,यहां तक मैं बस चली न थी कि मेरे अश्रु टपकने लगे खुद को बहुत बहलाया मैं वहां जाने में उत्सुक नहीं थी पर हालांकि एक कारण ये था कि मेरे साथ ऐसा कोई न था जिसके साथ मैं सहज महसूस कर पाऊं क्योंकि आजतक मैं जहां जाती थी पिकनिक हो या अन्य स्थल मेरा भाई या पापा खुद मेरे संग जाया करते थे अच्छा तो फिर रात भर का सफर हंसी ठिठोली ,अंताकक्षरी ,फिल्म का आनंद ले रहे लोगों में मैं ही ऐसी थी जो अपना सोने व तस्लीमा नसरीन के उपन्यासों में व्यस्त थी मथुरा के अपने बाबा जय गुरुदेव का आश्रम देख मन बड़ा प्रसन्नचित था और हम आगे अपने पथ की ओर अग्रसर थे वृन्दावन में ज्यों ही हम सभी प्रातःकाल की पूजा अर्चना पूर्ण कर बाहर निकलेण ल तो देखा बन्दरों का बड़ा झुण्ड था, जिनसे बचते बचाते मुख्य द्वार पर पहुंचे तो वहां पर सबके जूते गायब थे ,बहुत प्रपासो। के बाद हम नंगे पाव अपने धर्मशाला में वापस आ गए आराम करने के लिए । ©Shilpa Yadav #वृंन्दावन#आगरा#यात्रा#shilpayadpoetry#nojotohindi राधा कृष्ण के भजन# Ravi Ranjan Kumar Kausik ANOOP PANDEY Vishalkumar "Vishal" Neel V
#वृंन्दावन#आगरा#यात्रा#shilpayadpoetry#nojotohindi राधा कृष्ण के भजन# Ravi Ranjan Kumar Kausik ANOOP PANDEY Vishalkumar "Vishal" Neel V
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