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Rk yadav(veni)
जनता को जो तुने इस तरह हराया है क्या समझता है तू , अभी तो बस सूरज डुबा है सारा कोहराम तो अभी बाकी है। और जो तू जोकर पा कर इतना खुश हैं तो सोच हमारे पास तो अभी इक्का बाकी हैं। तेरी हर चाल का जवाब देगी ये जनता तू ठहर अभी हमारी चाल बाकी है। और सत्य के साथ जो सत्ता पाई थी तू रुक अभी वो सत्य कही बाकी है जनता का जवाब अभी बाकी है। #mydairy✒ #mp_politics #जनमत #राजनीति #गद्दारि
#mp_politics #जनमत #राजनीति #गद्दारि
read moreBalwant Mehta
बात न अपनी हो पाई हवा में जुमलें बने दुखदाई जनमत बरसा कुर्सी पाई नेताजी ने ना नजरें मिलाई । ©Balwant Mehta #बात #जुमला #जनमत #कुर्सी
Mohd Hamzah
एक बात बोलूं, बचप्पन में चॉकलेट,, जवानी में गोल्ड फ्लैग, बुढ़ापे में बीड़ी,, और फिर जन्नत की सीढ़ी... जनमत की सीढ़ी Jyoti Monika
जनमत की सीढ़ी Jyoti Monika
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सिल सिला थम गया भड़ास किस पे निकालूँ चलन मन की बातों का चल पड़ा है दुसरो की अहमियत सफाई से नकारी है एक तरफा चल पड़ा है कारवाँ जमीनी हकीकतों पर झूठ का साया है कहने को बहुत कुछ था जहन में बुलडोजरों और ब्यूरोक्रेसी ने धुंआ जनमत का निकाला है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" जनमत का धुआं निकाला है #baatain
जनमत का धुआं निकाला है #baatain
read moreअनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
"लोकतंत्र" में अपना - अपनी कि जगह नहीं समानान्तर, सद्भावना, सर्वाधिक, सर्वोपरि है ना रहे तन - मन - धन से जन -जन में अंतर जहाँ "कद्र" ' बे-दाग़दार रसे- बसे समानान्तर जनमानस के जनमत में कोई 'मदभेद' ना हो जहाँ किसी को कभी करना पड़े "खेद" न हो "लोकतंत्र" में अपना - अपनी कि जगह नहीं समानान्तर, सद्भावना, सर्वाधिक, सर्वोपरि है है वह "पावन मातृभूमि" "लोकतंत्र" की धरा जिसपर "विश्वास" "अडिग" हो कर रहे खड़ा जहाँ धीर नहीं बीर नहीं 'अधीर' ही बसता हो सोचो उस देश में लहू बहता कितना सस्ता हो "लोकतंत्र" में अपना - अपनी कि जगह नहीं समानान्तर, सद्भावना, सर्वाधिक, सर्वोपरि है ©अनुषी का पिटारा.. #इशारा #अनुषी_का_पिटारा #लोकहित #देशहित #लोकतंत्र #जनमत #जनहित
tcp
White दस महीने कोख में रख कर जन्म देने वाली माँ । शिशु का पहला आहार देने वाली माँ । शिशु के मुँह से निकलने वाला पहला शब्द माँ । चोट लगने पर पुकारे माँ । जिन्दगी का आखरी शब्द माँ । जिन्दगी भर का साथ है माँ । दूनिया ब साने वाली माँ । देना है तो माँ को सहारा दो। आश्रय दो , धक्का न दो। माँ को दादी माँ ,नानी माँ बनाओ। आय्याम्मा नहीं । माँ माँ माँ सिर्फ माँ हैं जननी है माँ । ©tcp कविता संग्रह
कविता संग्रह
read moreParasram Arora
किस काम का वो ज्ञान जो अपने ज्ञान संग्रह प्र इतराता हो जो कभी हँसे नही गंभीर रहता हो और इतना स्वार्थी हो जाय कि वो अपने सिवाय किसी और का अनुसरण करने से कतराता हो ©Parasram Arora ज्ञान संग्रह
ज्ञान संग्रह
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