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Stories related to जेन्ट्स ब्रेसलेट

A NEW DAWN

लाजपत नगर पुलिस स्टेशन के मुर्दा घर में मैं आमिर के साथ खड़ा था । मि. अवस्थी भी अपनी बेटी के साथ वहां आए थे। चेहरा ऐसा था जैसे किसी ने उनके

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दंश
(In Caption)
Part - I Ch - 14 लाजपत नगर पुलिस स्टेशन के मुर्दा  घर में मैं आमिर के साथ खड़ा था । मि. अवस्थी भी अपनी बेटी के साथ वहां आए थे। चेहरा ऐसा था जैसे किसी ने उनके

Rabiya Nizam

लाजपत नगर पुलिस स्टेशन के मुर्दा घर में मैं आमिर के साथ खड़ा था । मि. अवस्थी भी अपनी बेटी के साथ वहां आए थे। चेहरा ऐसा था जैसे किसी ने उनके

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दंश
(In Caption)
Part - I Ch - 14 लाजपत नगर पुलिस स्टेशन के मुर्दा  घर में मैं आमिर के साथ खड़ा था । मि. अवस्थी भी अपनी बेटी के साथ वहां आए थे। चेहरा ऐसा था जैसे किसी ने उनके

Divya Joshi

"माँ कैसी है दीदी?" माँ की इतनी चिंता होती तो ऐसा कदम उठाती तुम? मैने फटकारा। "फौरन घर आजाओ। सब तुम्हारी बात मान गए हैं।" "ये किसने कहा आप

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मेरा क्या कसूर 
एक झलक

©Divya Joshi "माँ कैसी है दीदी?"
माँ की इतनी चिंता होती तो ऐसा कदम उठाती तुम? मैने फटकारा।
"फौरन घर आजाओ। सब तुम्हारी बात मान गए हैं।"

"ये किसने कहा आप

Asha Giri

कुछ दिन पहले ट्रेन के सफर से मुंबई से हैदराबाद के लिए निकली। मैं और मेरे दोनों बच्चे। मन में काफी झिझक थी की ये सफर public transport में करू

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Please do wear mask🙏

कृपया मास्क लगाइए🙏 कुछ दिन पहले ट्रेन के सफर से मुंबई से हैदराबाद के लिए निकली। मैं और मेरे दोनों बच्चे। मन में काफी झिझक थी की ये सफर public transport में करू

saumya

क्या ब्लैक राज का फेवरेट कलर है तुझे कैसे पता मैने आनन्या से पूछा राज ने मुझे बताया था बातो बातो में , चल हम गाऊन लेते है आनन्या बोली मैने

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teri meri kahani 
part 5
👇
read in caption क्या ब्लैक राज का फेवरेट कलर है
तुझे कैसे पता मैने आनन्या से पूछा 
राज ने मुझे बताया था बातो बातो में ,
चल हम गाऊन लेते है आनन्या बोली
मैने

JALAJ KUMAR RATHOUR

आज जब शक्तिमान को टीवी पर फिर से आते देखा तो जहन में बचपन कीकुछ पुरानी यादें ताजा हो गयी, ‌शायद उस वक्त मैं चौथी क्लास में था उस वक्त बिजली

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आज जब शक्तिमान को टीवी पर फिर से आते देखा तो जहन में बचपन कीकुछ पुरानी यादें ताजा हो गयी, 
‌शायद उस वक्त मैं चौथी क्लास में था उस वक्त बिजली ऐसे जाया करती थी जैसे आज कल  जिंदगी से लड़की, तो मै शक्तिमान के पिछ्ले एपीसोड के बारे में अपने दोस्तो को बता रहा था कि हमने कल टैक्टर से टीवी चलायी थी तो उसमें शक्तिमान ने गीता को बचाने के लिए कैसे बिल्डिंग से घूम कर उसको बचाया और मैं भी गोल गोल घूमने लगा अचानक मैं किसी से टकरा कर गिर पड़ा मेरे दोस्त हँसने लगे मै  उठा तो मैंने देखा मुझसे एक लड़की टकराई है जो मेरे पास ही गिर पडी थी उसके हल्की चोट लग गयी थी और इस वजह से वो गुस्से में थी शायद उसका नाम. बाती ठाकुर हाँ वो  ही थी क्लास की टॉपर  और मेरे पूरे क्लास की पसंद, उस वक्त तो मैंने उससे कुछ नही कहा मेरे सभी दोस्त भाग निकले थे मै  भी भाग आया । प्रार्थना के बाद मैं डर रहा था कहीं वो मैडम से मेरी शिकायत ना कर दे और साथ मे मेरे दोस्त भी मेरे मजे ले रहे थे पर ये क्या उसने लंच तक किसी भी टीचर से मेरी शिकायत नही की लंच की बेल बजी सभी लोग बाहर लंच करने गए थे मेरे दोस्तों ने कहा पर मैं नही गया था मैंने देखा वो खामोश सी बैठी है मैंने बहुत हिम्मत जुटाई और उसके पास जाकर सोरी बोला वो बोली कोई नही गलती मेरी भी थी मुझे भी देखकर चलना चाहिए था, फिर मैने उससे बोला "हाय मैं दीपक प्रताप " और मैंने अपना टिफिन उसकी और बढ़ाया , इलायची वाली टॉफी और गजर का हलवा हाँ यही तो था उस दिन हमारे बीच जिसने हमारे बीच दोस्ती करवाई, उस दिन मैंने उससे कहा मुझे गणित के स्थानीय मान और अंग्रेजी को पढने मे दिक्कत होती है तो उसने मुझे कहा तुम मेरे साथ बैठा करो मैं तुम्हे सब सिखा दूँगी, फिर क्या था अगली सुबह मैं जो कभी सबसे पीछे से एक सीट पहली की शान हुआ करता था अब आँगे बैठता था, एक दिन वो मुझे हिंदी की क्लास में गणित का होमवर्क करवा रही थी तभी मैम ने हमे देखा और एक दूसरे के कान पकड़वा कर क्लास के बाहर खड़ा कर दिया शायद वो पहला दिन था जब मैंने उसको करीब से देखा था  मुझे नही पता था तब ,प्यार क्या होता है पर हाँ था कुछ जो मुझे उसकी याद दिलाता था, मैं उसे रोज बताता था की आज, अलिफ लैला में क्या हुआ, सोंन परी ने अल्तु को कैसे बचाया, शा का ला क बुम बूम  में क्या हुआ, वो मुझे गौर से सुनती थी और हंसती थी, उस ये सब देखना अच्छा नही लगता था पर मुझे सुनती जरूर थी, उसने आगे सीट पर बैठने का मेरा खौफ निकाल दिया था , वो मुझे बहुत चीजे सिखाती थी इंग्लिश मे अपना नाम  कैसे बोलते है और भी बहुत ,वो वक्त पता नही चला कैसे बीता , हमारे चौथी क्लास के पेपर आ गए थे मैं रोज पेपर से पहले उसे मिलता था और उस इलायची वाली टोफी देकर जो उसने मुझे सिखाया था बेस्ट ऑफ लक बोल देता था। मुझे  नही पता क्या था पर हाँ अच्छा लगता था उससे बात करना । जब हमारे क्लास चार के पेपर खत्म हुए तो हम सबकी छुटियाँ हो गयी थी मैं अपने मामा के घर छुटियाँ बिताने गया था मैंने मामा के यहाँ मेले से उसके नाम के पहले अक्षर की ब्रेसलेट ली थी जब मै घर लौटकर आया  तो बहुत खुश था क्युकी कल से स्कूल जाना था और उससे मिलने वाला था आज जब शक्तिमान को टीवी पर फिर से आते देखा तो जहन में बचपन कीकुछ पुरानी यादें ताजा हो गयी, 
‌शायद उस वक्त मैं चौथी क्लास में था उस वक्त बिजली

Divyanshi Bairwa....

अयांश ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा वह देखते ही दंग रह गया, उसके सामने कुछ ऐसा था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसकी आंखों में आंसू थे

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"जिंदगी का हिस्सा हो या ख़ुद जिंदगी हो तुम।
आज तुम ही बता दो मेरे लिए क्या हो तुम?"

"अनुरागी"
एक प्रेम कथा।

 Full story in caption. 👇 अयांश ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा वह देखते ही दंग रह गया,
उसके सामने कुछ ऐसा था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसकी आंखों में आंसू थे

A NEW DAWN

"मैं ने उसको नहीं उठाया साहेब... हां मैं तीन दिन तक उसका पीछा किया था... और चौथे दिन जब मैं उधर उसको उठाने के वास्ते गया तो मेरे को सुनने मे

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दंश
(In Caption)
Part - I
Ch - 11&12 "मैं ने उसको नहीं उठाया साहेब... हां मैं तीन दिन तक उसका पीछा किया था... और चौथे दिन जब मैं उधर उसको उठाने के वास्ते गया तो मेरे को सुनने मे

Rabiya Nizam

"मैं ने उसको नहीं उठाया साहेब... हां मैं तीन दिन तक उसका पीछा किया था... और चौथे दिन जब मैं उधर उसको उठाने के वास्ते गया तो मेरे को सुनने मे

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दंश
(In Caption)
Part - I
Ch - 11&12 "मैं ने उसको नहीं उठाया साहेब... हां मैं तीन दिन तक उसका पीछा किया था... और चौथे दिन जब मैं उधर उसको उठाने के वास्ते गया तो मेरे को सुनने मे
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