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Prem Prajapat
White खाने के लिए लोग बालि का नाम देते हैं, अच्छे किस्म के लोग भी आज बदनाम रहते हे। विजयादशमी पर सिद्ध पुरुष भी नशे में हैं, जीव हत्या कर के लोग स्वयं को श्रेष्ठ मानते हैं।। ©Prem Prajapat #Dussehra #कटाक्ष #sayri शायरी हिंदी
अभिषेक सिंह
आतंकवाद आतंकवाद क्या है से ज्यादा महत्वपूर्ण आतंकवाद क्यों है ??? #कटाक्ष
Rit Pandey
कभी कभी मैं सोचती हू कि मुझे लोग झेलते कैसे है? लेकिन फिर में शान्त हो जाती हूँ, ये सोच के की झेलती तो मैं भी हू उन लोगों को कटाक्ष
कटाक्ष
read moreDeepak kumar Nimesh
क्या कहूं मैं आज के दौर में लोग जो बेवजह अश्लील लिखते है फेसबुक,इंस्टा और टिक-टोक पर कुछ लाईक्स के लिये लोग नंगे जिस्म दिखते है। कहते हैं नजरिया है अपना अपना कुछ शौकियां तो कुछ फैशन के नाम पर चलते है समझा दें अगर कोई तो दिन रात बिचलते है जुबां पर गाली और मन में मैल आज कल के लोग संस्कार ऐसे ही कुचलते है कटाक्ष
कटाक्ष
read moreAshish Kumar Satyarthi
टूटी हुई खटिया को सिंघासन कौन कहेगा? लूट-कूट कर खाने वाले को प्रशासन कौन कहेगा? जिस शासन में फैला हो अंधियारा, वैसे शासन को सुशासन कौन कहेगा? टूटी हुई खटिया को सिंघासन कौन कहेगा? * आशीष कुमार सत्यार्थी #कटाक्ष
Manish Upreti
जिस्म की चाहत रखने वालों को देखता हूँ जिस्म बदलते हुए सच्चे प्यार की चाहत रखता हूँ और पाता हूँ खुद को ज़द्दोज़हद करते हुए ये सब खुदा की ही मर्ज़ी होगी मना लेता हूँ मन को यही सहते हुए इश्क़ होते हुए भी लोग दूसरा दरवाज़ा ढूंढते हैं क्या कभी खुलेंगी मेरी खिड़कियां मेरे जीते जी,मेरे रहते हुए जिनसे इश्क़ करते हैं, टूटने के बाद उनकी शक्ल नहीं देखना चाहते क्या इन्हें शर्म नहीं आती थी पहले देखते हुए समंदर पी जाने के बाद पानी खारा था डूब क्यों नहीं मरते ऐसा कहते हुए खुदा से एक ही दुआ मांगता हूं सच्चा प्यार कभी ना तड़पे आंखों से आंसू बहते हुए कटाक्ष
कटाक्ष
read moresomnath gawade
ते डोळ्यांचे अष्टोप्रहर पहारे नकोत आता प्रेमाचा एक कटाक्ष पुरेसा आहे. #कटाक्ष
SHUNYA
Aajkl Wo Namard Bhi Mard Kehlaate Hain Jinka Jor Aksar Sirf Aurton Pe Chlta Hai. ~SHUNYA~ #कटाक्ष।
कटाक्ष।
read moreअभिषेक सिंह
टूटता तारा माँगना ही जब लिखा हो तकदीर में, तो टूटे तारो से चराग जलाना महज एक हसीन ख्वाब है, #कटाक्ष ,
#कटाक्ष ,
read moreअभिषेक सिंह
अफ़सोस वो मुख से कुछ न बोला, अश्क ने दर्द बयाँ किया, अफसोस बस इतना कि मिट्टी की सौगंध लिए,मिट्टी से जूदा हुआ, मिट्टी:- भारत माँ, कटाक्ष ,
कटाक्ष ,
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