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Stories related to निचला जबड़ा

Kunal Thakur

जलाकर उस मासूम का जबड़ा तुमने फिर से एक बार अपना धर्म दिखाया है

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kgf star roky bhai

kya aapko pata he ki sher ka जबड़ा कितना मजबूत होता है #danic #you#Youtube #tenbeng

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~anshul

मुझसे कोई गुनाह करवाएगा,,, ये तेरा निचला होंठ मरवाएगा........ saheli shayer 🙂 indu singh Shipra Verma Ishita Singh Kaju Gautam

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मुझसे कोई गुनाह करवाएगा,,,

ये तेरा निचला होंठ मरवाएगा....

@nshul मुझसे कोई गुनाह करवाएगा,,,

ये तेरा निचला होंठ मरवाएगा........ saheli shayer 🙂 indu singh Shipra Verma Ishita Singh  Kaju Gautam

Aquib Zamir

वफ़ा के तीर से नफ़रत का सीना चीर देते हैं बने टीपू तो हम शेरों का जबड़ा चीर देते हैं आकिब ज़मीर #aquibzamir

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।। अधरा हनुः पूर्वरूपम्‌।उत्तरा हनुरुत्तररूपम्‌। वाक् सन्धिः। जिह्वा सन्धानम्‌। इत्यध्यात्मम्।  अधर हनु (ऊपरी जबड़ा) पूर्व-रूप है

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।। ओ३म् ।।

अधरा हनुः पूर्वरूपम्‌।उत्तरा हनुरुत्तररूपम्‌। वाक् सन्धिः। जिह्वा सन्धानम्‌।
इत्यध्यात्मम्। 

अधर हनु (ऊपरी जबड़ा) पूर्व-रूप है; उत्तर हनु (नीचे का जबड़ा) उत्तर-रूप है; वाक् है सन्धि; जिह्वा है संयोजक (सन्धान)। इतना ही है अध्यात्मम्।

The upper jaw is the first form; the lower jaw is the latter form; speech is the linking; the tongue is the joint of the linking. Thus far concerning Self. 

तैत्तिरीयोपनिषद् शिक्षावली प्रथम अनुवाक #।। ओ३म् ।।

अधरा हनुः पूर्वरूपम्‌।उत्तरा हनुरुत्तररूपम्‌। वाक् सन्धिः। जिह्वा सन्धानम्‌।
इत्यध्यात्मम्। 

अधर हनु (ऊपरी जबड़ा) पूर्व-रूप है

OMG INDIA WORLD

ज़ुल्फ़े खोलकर उसने निचला होंठ दांतों में दबाए रखा है, हम ही जानते है हमने कैसे खुदको बहकने से बचाए रखा हम तो मुद्दतों से गए नहीं मयख़ाने फ

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ज़ुल्फ़े खोलकर उसने निचला होंठ दांतों में दबाए रखा है, हम ही जानते है हमने कैसे खुदको बहकने से बचाए रखा

हम तो मुद्दतों से गए नहीं मयख़ाने फिर ये मदहोशी कैसी, अच्छा! तो आपने आँखो से हमें ज़ाम पिलाए रखा है।

©OMG INDIA WORLD ज़ुल्फ़े खोलकर उसने निचला होंठ दांतों में दबाए रखा है, हम ही जानते है हमने कैसे खुदको बहकने से बचाए रखा

हम तो मुद्दतों से गए नहीं मयख़ाने फ

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गगरी हाथों में लिए , पनघट रही निहार । प्यासे होगें घर पिया , करती रही विचार ।। करती रही विचार , नीर है मैला कुचला । दूजा नही उपाय , जल का स्

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गगरी हाथों में लिए , पनघट रही निहार ।
प्यासे होगें घर पिया , करती रही विचार ।।
करती रही विचार , नीर है मैला कुचला ।
दूजा नही उपाय , जल का स्तर है निचला ।।
यही आज है व्याधि , शहर हो या हो नगरी ।
लिए हाथ में नार , देख लो खाली गगरी ।।

पायल झुमका औ कड़ा , पहने दिखती नार ।
अलकें कुछ लटकी हुई , लगता करे विचार ।।
लगता करे विचार , नीर बिन खाली गगरी ।
जाए वह किस घाट , घाट तो इक ही नगरी ।।
सूख-सूख कर आज , गला है पिय का घायल ।
कैसे करूँ निहाल , बजाकर मैं अब पायल ।।

११/०८/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गगरी हाथों में लिए , पनघट रही निहार ।
प्यासे होगें घर पिया , करती रही विचार ।।
करती रही विचार , नीर है मैला कुचला ।
दूजा नही उपाय , जल का स्

Shree

---------मन--------- सबकी चाहतें ही उभरीं तो राहतें कौन देगा, जो उड़ने लगेंगे सब घोंसलें बुनेगा कहो कौन? मकान को जो ना रंग सके कितना मजबू

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सबकी चाहतें ही उभरीं 
तो राहतें कौन देगा,
जो उड़ने लगेंगे सब 
घोंसलें बुनेगा कहो कौन?

अनुशीर्षक ---------मन---------
सबकी चाहतें ही उभरीं 
तो राहतें कौन देगा,
जो उड़ने लगेंगे सब 
घोंसलें बुनेगा कहो कौन?

मकान को जो ना रंग सके
कितना मजबू

Abhishek 'रैबारि' Gairola

लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान

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संगीत कुमार

हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया दानव बन तूने एक माँ का प्राण लिया पेट में नन्हा पल रहा था माँ बाहर खाना खोजने निकल पड़ी दानव ने फल में ब

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हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया 
दानव बन तूने एक माँ का प्राण लिया
पेट में  नन्हा पल रहा था
माँ बाहर खाना खोजने निकल पड़ी
दानव ने फल में बारूद मिला दिया
उस नासमझ हथिनी ने भूख से उसे खा लिया 
मुँह में विस्फोट हो गया जबड़ा भी उसका टूट गया
एक सप्ताह बाद तरप -तरप कर वो मर गई 
पेट में पल रहा नन्हा बच्चा भी न जी सका
हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया 

कहने को तो सबसे साक्षर राज्य  है  केरल
पर कैसे लोग जो निकृष्टतापूर्ण कार्य किया
इससे तो निरक्षर ही भला जो जीवन को समझ रहा
गर्भवती माँ के साथ- साथ गर्भ का भी जान लिया
एक दिन नरक तू जायेगा जैसा  कुकृत किया
कैसा हैवानियत तेरे सिर पे छा गया 
एक जानवर के साथ तूने घिनौना काम किया 
मानव होके भी तू जानवर से भी बदतर हुआ
कलंकित मानवता को तो तूने कर दिया 
तू भटक-भटक कर मर जायेगा कोई न तुझे अपनायेगा
हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया 

  (संगीत कुमार /जबलपुर )
   ✍ स्वरचि 🙏🙏🌹 हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया 
दानव बन तूने एक माँ का प्राण लिया
पेट में  नन्हा पल रहा था
माँ बाहर खाना खोजने निकल पड़ी
दानव ने फल में ब
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