Nojoto: Largest Storytelling Platform

New निकट Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about निकट from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, निकट.

काव्यात्मक अंकुर

#निकट #निर्मळ #नाते #संबंध #अंकुर काव्यात्मकअंकुर🌱 #मराठीचारोळी Love #marathi #Relationship छोटी कविता मराठी मराठी कविता प्रेम मराठी कव

read more
निकट 
निर्मळ झाले मन
मोकळे झाले बंध
गुंतागुंतीचे नाते तोडून
निकट झाले संबंध

©काव्यात्मक अंकुर #निकट #निर्मळ #नाते 
#संबंध #अंकुर #काव्यात्मकअंकुर🌱 
#मराठीचारोळी #Love #marathi #Relationship  छोटी कविता मराठी मराठी कविता प्रेम मराठी कव

IG @kavi_neetesh

पवित्र शरद पूर्णिमा के अवसर पर :::::::::::::::::::: जो कोजागर होकर रहता ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

read more

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध

read more
विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।।
भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा ।
कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।।

राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप ।
मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।।
जीवन के संताप , हरे सब राधा माई ।
यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।।
सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा ।
उसके ही दुख दूर  , करे माँ मेरी राधा ।।

राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ ।
सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।।
खेलें उनके साथ ,  निकट यमुना के तट पर ।
आया जो आनंद ,  सुनायें सखियां कहकर ।।
उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा ।
सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याध

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे

read more
White दोहा :-
बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान ।
मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।।

हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण ।
आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।।

बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह ।
ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।।

हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान ।
इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।।

मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद ।
छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।।

हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान ।
निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।।

 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान ।
मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।।

हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण ।
आज उसे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो

read more
White लावणी छन्द
इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया ।
भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।।
सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो चूर हुआ ।
तब जाकर माँ की गोदी में , सोने को मजबूर हुआ ।।

मत कहो काल के चंगुल में , लाल हमारा रपट गया ।
जाने कितने दुश्मन को वह , पल भर में ही गटक गया ।।
सब देख रहे थे खड़े-खड़े , अब उस वीर बहादुर को ।
जिसके आने की आहट भी , कभी न होती दादुर को ।।

पोछ लिए उस माँ ने आँसूँ, जिसका सुंदर लाल गया ।
कहे देवकी से मिलने अब , देख नन्द का लाल गया ।।
तीन रंग से बने तिरंगे , का जिसको परिधान मिले ।
वह कैसे फिर चुप बैठेगा , जिसको यह सम्मान मिले ।।

सुबक रही थी बैठी पत्नी , अपना तो अधिकार गया ।
किससे आस लगाऊँ अब मैं , जीने का आधार गया ।।
और बिलखते रोते बच्चे , का अब बचपन उजड़ गया ।
कैसे खुद को मैं समझाऊँ , पेड़ जमीं से उखड़ गया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लावणी छन्द
इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया ।
भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।।
सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile