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वंदना ....
घुंघट हिजाब ©वंदना .... #इस पुरुष प्रधान समाज में ..स्त्री , स्त्री के बारे में कब सोचेगी... ? ..हम तो पर्दे के अंदर सुरक्षित हैं ..! पर जो लड़कियां और स्त्रियां ,र
#इस पुरुष प्रधान समाज में ..स्त्री , स्त्री के बारे में कब सोचेगी... ? ..हम तो पर्दे के अंदर सुरक्षित हैं ..! पर जो लड़कियां और स्त्रियां ,र
read moreShilpa (SiYa)
Do read caption 🙏🏻 दुश्मनों के लिए जो काली स्वरूपा काल बनती है । हां हां वह काली बुराई ही तो है । तो फिर अच्छाई क्या है खोखले पुरुष प्रधा
read moreAnil Ray
झूठ कहूं तो लफ्जों का दम घुटता है सच कहूं तो अपने रूठ जाते है... किरदार बदलते बदलते देखो अनिल कितने क़ाबिल पात्र छूट जाते है... ©Anil Ray 💞 जीवनसाथी 🤝🏻 पुनः प्रकाशित 💞 अक्सर देखता हूँ मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निजधरा पर मेरी मानव जाति म
💞 जीवनसाथी 🤝🏻 पुनः प्रकाशित 💞 अक्सर देखता हूँ मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निजधरा पर मेरी मानव जाति म
read moreAnil Ray
भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये... अजर-अमर शाश्वत अनंत है आत्मतत्व वेदों ने गाया ब्रह्म सत्य भौतिक जगत मिथ्या ऋषि-मुनियों ने दोहराया एक ही तो आत्मा है जो परमात्मा अंश कहलाये पुरुष प्रधान समाज के उपासक लड़का-लड़की में भेद करायें भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये। मातृशक्ति के ही है 'द्वंद्व' यह दोनों ही स्वरूप आधुनिक युग में भी, क्यों समझे इन्हें कुरूप सर्वजगत है उस मातृशक्ति का ही सुंदर रूप फिर भी सितम है कैसा इन पर हम ज़ुल्म ढाये भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये। एक तत्व से निर्मित लड़का-लड़की है एक समान महिला अत्याचारों के खिलाफ धारण करें हम कमान जो आया है वह जायेगा यही सृष्टि का है विधान मौत सनातन इस जग में फिर हम क्यों घबराये भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये। लड़की के बिना जीवन क्या सकल जगत अधुरा जननी बन बस यही तो है इस जीवन का आधारा समानता हो जीवन में तभी होगा नवनिर्माण पूरा ईश्वर की रचना में सभी समान है सभी में प्रेम समाये भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये। मौलिक रूप में सब समान है समझा गये भारतरत्न अम्बेडकर संविधान में शामिल की है समानता समस्याओं को झेलकर समतामूलक समाज स्थापित करे इन अत्याचारों को भेदकर आओं मिलकर इस असमानता शासन को जड़ से मिटायें भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये। यहाँ अपनी एक ही धरती एक ही है अपना गगन सफ़रे-जिंदगी में चले दिलों में लेकर एक ही लगन मातृत्व के असीम प्रेम में मानवता रहे सदा मगन आह्वान करता 'अनिल राय' मिलकर हम ज्ञान का दीप जलायें भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये। मानव सृष्टि की सृजनहार और पालनहार मातृशक्ति की चरण-वंदना के साथ आप सभी को "महिला समानता दिवस" की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं💐💐💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ©Anil Ray #womanequality भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये...✍🏻 अजर-अमर शाश्वत अनंत है आत्मतत्व वेदों ने गाया ब्रह्म सत्य भौतिक जगत मिथ्
#womanequality भरा अंधविश्वास जगत में आओं भ्रम को दूर भगाये...✍🏻 अजर-अमर शाश्वत अनंत है आत्मतत्व वेदों ने गाया ब्रह्म सत्य भौतिक जगत मिथ्
read moreMili Saha
// अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वाधिक उचित ही होगा, क्योंकि नारी शक्ति में ही संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। एक पुरुष जो नारी को कमज़ोर कहता है, उसे सम्मान नहीं देता, उसका तिरस्कार करता है। उसे इस बात का ज्ञान क्यों नहीं कि औरत के बिना आखिर उसका अस्तित्व ही क्या है? औरत उस वृक्ष के समान है जो विषम से विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ खड़ी रहकर राहगीरों को छाया प्रदान करता है। किंतु उसकी इस सहनशीलता और कोमलता को पुरुष प्रधान समाज उसकी कमज़ोरी समझ लेता है। ये समाज क्यों नहीं समझता कि नारी की सहनशीलता और कोमलता के बिना मानव जीवन का अस्तित्व संभव ही नहीं। इस बात में किंचित मात्र भी संदेह नहीं है कि औरत ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक का कार्य करती है। संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय औरत को ही जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति में औरतों के सम्मान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है किंतु वर्तमान में औरतों के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। एक नारी का अपमान अर्थात संसार का, समाज का नैतिक पतन है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का सम्मान दिया गया है। एक समय था जब औरत को उसके पति के देहांत के बाद उसे उसके साथ जिंदा जलकर सती हो जाना पड़ता था। ऐसी ही समाज की अनगिनत कुप्रथाओं के कारण औरत को हर युग में रीति-रिवाजों की बेडियो में बांँधकर समाजिक सुख सुविधा, गतिविधियों और शिक्षा से दूर रखा जाता था। किंतु इन सभी बंँधनों के बावजूद भी कितनी ही ऐसी महिलाएंँ हैं जिन्होंने अपने हिम्मत और हौसले से अपनी उपस्थिति को हर क्षेत्र में दर्ज़ करवाया है, इतिहास रचाया है, अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाया है। पूर्व काल से ही नारी अपने हक के लिए लड़ती आई है और आज भी लड़ रही है। इस हक की लड़ाई का ही परिणाम है कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर देश और समाज की प्रगति में अपनी भूमिका अदा कर रही है। उन्होंने अपनी शक्ति और कौशल से कर दिखाया है कि वो किसी भी मायने में कमजोर नहीं, एक शक्ति है जो अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है। ©Mili Saha // अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वा
// अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वा
read moremausam
ये समाज कितना दोगला हैं पुरुष को उसका पुरुषत्व दिखा कर उसके आंसू छीन लेता है और उसे पाषाण कर देता है और स्त्री को उसका स्त्रीत्व समझाकर उसे पिघलता मोम कर देता है। ©Ritu mishra pandey mausam #समाज #doglapan #पुरुष #स्त्री
Prashant Shakun "कातिब"
ये बादल भी तो पुरुष वर्ग के ही होते हैं, लेकिन कितनी सहजता से ये रोते हैं..। काश...॥ मैं भी उसी जहाँ का होता, जहाँ के ये बादल होते हैं। ©Prashant Shakun "कातिब" #बादल #पुरुष #रोना #काश #समाज #रूढ़िवादिता #प्रशांत_शकुन_कातिब
#बादल #पुरुष #रोना #काश #समाज #रूढ़िवादिता #प्रशांत_शकुन_कातिब
read moreअदनासा-
ज़रूरी है जो असहाय एवं निर्बल जन के लिए सबल बने, बिना भेदभाव के हर नारी सम्मान की रक्षा करे, नर में व्याप्त यही पौरुष गुण पुरुष कहलाता है, केवल पुरुष संबोधन होना ही पर्याप्त नही होता। ©अदनासा- #हिंदी #पुरुष #पौरुष #PoetInYou #मर्द #Instagram #Pinterest #Facebook #समाज #अदनासा
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