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कृतांत अनन्त नीरज...
White आत्मा बहुत सीधी और सरल है हमारी औऱ ह्रदय से भी अब कतई "निष्पाप" है कोई हमसे तब भी भाव खाए तो खाए वैसे भी हम तो Attitude के "बाप" है... ©कृतांत अनन्त नीरज... #Free
1Tab fam
ranu bhai said.. जिंदगी के सफर में एक दोस्त होना जरूरी है साहेब रात को सिक्रेट पीने के लिए महबूबा साथ नहीं जाती ©1Tab fam #smoking sad shayri
#smoking sad shayri
read morePagal shayer
White मुझको मेरी मोहब्बत से ऐसा इनाम मिला!! इतना चाहने के बाद भी धोखेबाज नाम मिला!! ©Pagal shayer #Free
Fit Shayar
White क्या है ऐसा पहाड़ों के पार? पहाड़ों के पार एक दुनिया है जहां सुकून है, इंतजार नहीं जहां सब मुकम्मल, कोई डर नहीं मेरी हस्ती को मायने है वहां जहां तुम हो मेरे साथ और कोई नहीं ©Fit Shayar #Free
Tarique Usmani
White घर क्यों नेमत है? उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में कोई महफूज़ ठिकाना न मिला घर क्यों आबाद हैं? उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं घर क्यों ज़रूरत हैं ? उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। जिन के लब पे कोई सवाल नहीं घर क्यों जन्नत हैं? बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ। ©Tarique Usmani #Free
Santosh Thakur
White अर्ज़ किया है की. होठों से लगा कर सांसों में उतार लेता हूँ, ये कोई और नही सिगरेट है जनाब दो चार कश मैं भी मार लेता हूं।😂😄🚫🚬 ©Santosh Thakur #smoking is bad
#smoking is bad
read moreJairam Dhongade
White पाहतो पिरपिरी तर कधी ढगफुटी पाहतो... चिंब ओली उभी मी कुटी पाहतो! राजकारण तशी रोज धोकाधडी... माणसांचीच फाटाफुटी पाहतो! संकटाला कुणी सोबतीला नसे... नेहमी माणसे पळपुटी पाहतो! ना करत जो भले कोणते काम तो.. त्यास मी मारतांना खुटी पाहतो! रोग फैलावला कोणता हा नवा... एक बटव्यात नामी बुटी पाहतो! जयराम धोंगडे, नांदेड ©Jairam Dhongade #Free
Pankaj Pahwa
White लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले, की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले, कभी मिल जाओ भर इनसे, और देखो सामने से तुम, चमकते चेहरे रखते हैं, सुरख गहरे हैं दिल काले, ये सारे वो ही रिश्ते हैं, ये सारे वो ही नाते हैं, जरा भर काम करने के, ये बदले कुछ तो चाहते हैं, अगर चाहोगे कुछ ऐसा, इन्हें महफूज रखोगे, ये अपने आप का ही तुम, कदम मनहूस रखोगे, सलाह मानो अभी है वक्त, बना लो इनसे तुम दूरी, बुरे जो वक्त ना थे साथ, थी इनकी क्या वो मजबूरी, लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले, की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले, ©Pankaj Pahwa #Free