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Yakshita Jain
क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है स्वार्थ मे डूबकर सच्ची ख़ुशी खोते जा रहे है माया मे फसकर अपनों को खोते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है .... छोटी- छोटी खुशियों को कुचलते जा रहे है लड़ाई - झगड़े का स्वागत करते जा रहे है मशीन रूपी जीवन जीते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है ..… मन की शांति खोकर , तनाव बढ़ाते' जा रहे है बड़ो के सानिध्य से वंचित होते जा रहे है मोबाइल को ही अपना मानते जा रहे है क्या होती है ख़ुशी सब भुलते जा रहे है ....... पहचानो असली खुशी को वक़्त निकलने से पहले ये वक़्त तो है रेत का ढेर अभी नहीं सम्ब्ले तो हो जाएगी देर रहो हमेशा कूल -कूल जैसे खिलते बगिया मे फूल-फूल yakshita Jain research scholar History # my poem when I was in 9 th class
# my poem when I was in 9 th class
read moreYakshita Jain
बढ़ रही है दहेज़ की प्रथा रूढ़िवादी सोच की है ये कथा जलाया जा रहा है लड़कियों को ऐसे लोगो को ज़रा पकड़िये तो कंगाल हो गए लड़की के माँ -बाप फिर भी खत्म नहीं हुई दहेज़ की आग रुपये ,गहने ,गाड़ियां देकर क्या पाये लड़की के माँ-बाप उन्होंने भेज दी लड़की की लाश जीवन से हो गए हताश बढ़ता जा रहा है दहेज़ का लोभ एक से नहीं मिला ,तो दूसरे से ले रहे भोग डालो ऐसे लोगो को जेल मे जो रहे दहेज़ के महल मे तभी कहलायेगा भारत सोने की चिड़ियाँ जिसमे बसती थी खुशिया ही खुशिया my 8 class poem on dowry
my 8 class poem on dowry
read moreNojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
Father Poem in Hindi at CGC| Emotional Poem on Papa in Hindi- Heart Touching Hindi Poem #nojotovideo #Nojoto #nojotohindi
read moreKirti Pandey
वो शाम का यूं ढल जाना , नई दुल्हन के शर्माने सा लगता है, कभी इठलाती है, कभी लहरों संग बलखाती है, प्रकृति कितनी खूबसूरत अल्हड़ सी मुस्काती है, उस चत्रकार के जादू का कोई हिसाब कहां, सागर अंबर मिल रहे , ऐसे मधुर मिलन का जवाब कहां। प्रेम ऐसे ही अवसर पर एक दूजे की आंखों में बस जाता है।। नए नए नगमे बनते हैं, हर दिल कवि बन जाता है, कुछ यूं ही बैठे बैठे शाम भी ढल जाती है, नए सुबह की आस लिए, रात हमें सुलाती है, प्रकृति , एक पहेली है, प्रेमचक्षु से स्पर्श करो तो , यही पक्की सहेली है।। जीने की आस जगती है, खुद को खोके,नई खुशी दे जाती है प्रकृति की कीर्ति ज़र्रे ज़र्रे में अपनी छवि दिखाती है, हां ये सुंदर श्रृष्टि हमें हर पल अपना दीवाना बनाती है।। ©Kirti Pandey #kinaara #ShamBhiKoi #Sundar #prakriti #Nature #Original #poem #Hindi #Trending #New