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Sahdeep Kumar
हे भारत के राम जागो मैं आप दुनिया में आया हूँ, और सौ धर्मो का धर्म एक बलिदान प्रकट किया हूँ ! हिरण हिमालय ने रिकॉर्ड किया है दुश्मनों की जंजीरों में, आज बताएं कि कितना पानी है भारत के वीरों में | खरोचने के निशाने पर आज आपका ललकार रही सोए सिंह जागो भारत के, माता-पिता शिकायत कर रही है रण की भरी बज रही, उठो मोह निंद्रा त्यागो! पहला शीष चढाने वाले माँ के बेटे वीर जागो! बलिदानों के वज्रदंड पर देशभक्तों के ध्वजा जागे रण के कंकर पाने हैं, वे राष्ट्रहित की ध्वजा जागे अग्निपथ के पंथी जागो शीश आवास पर रखते हैं, और जागो रक्त के भक्त लाडलों, जागो प्रमुख के सौदागर | खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बरबंदा! रक्त बीज का रक्त चाटने वाली जागे चामुंडा नर मुण्डो की मातृभूमि जगे कपाली कैलाशी रण की चंदी घर नाचे मौत कहेगी पाईसी प्यासी... 'रावण का वध स्वयं करोगे!' कहने वाला राम जागे और कौरव शेष न बोलने वाला श्याम जागे! परशुराम का परशा जागे, रघुनन्दन का बाण जागे, यजुनंदन का चक्र जागे, अर्जुन का धनेश्वर महान जागे| चोटी वाला चाणक जागे, पौरुष परुष महान जागे, सेल्युकस को कैसेने वाला चंद्रगुप्त बलवान जागे| हठी हम जागे जो, झुकना कभी न जाना, जागे पद्मिनी का जौहर, जागे केसरिया बाना| देशभक्त का जीवित झंडा, आज़ादी का दीवाना रण प्रताप का सिंह जागे और हल्दी घटी का राणा दक्षिण वाला जागे शिवाजी, रक्त शाह जी का ताजा, मरने का हठ ठाना करते हैं विकट मराठों के राजा| छत्रसाल बुंदेला जागे, पंजाबी कृपाण जागे दो दिन जिया शेर की माफ़ी, वो टीपू सुल्तान जागे| कलवोहे का जगे मोर्चा जागे झांसी की रानी, अहमदशाह जागे लखनऊ का जगे कुंवर सिंह बलिदानी| कलवोहे का जगे मोर्चा और पानीपत का मैदान जागे, भगत सिंह के मंच जागे, राजगुरु के प्राण जागे| जिसकी छोटी सी लुकटी से संगीन भी हार गई…बापू ! हिटलर को जीता, वो दोषे सात समुंदर पार| मानवता का प्राण जागे और भारत का अभिमान जागे, उस लकुटी और लंगोटी वाले बापू का बलिदान जागे| आज़ादी की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गई, स्वयं कफन की गुलशन कर सातों भांवर घूम गई! उस सुभाष की एक जागे और उस सुभाष की शान जागे, ये भारत देश महान जागे, ये भारत की स्वच्छता जागे | झोली ले मांग रहा हूँ कोई शीश दान दे दो! भारत का भैरव भूख है, कोई प्राण दान दे दो! दुल्हन की मौत की कुंवारी कोई ब्याह रचा लो, कोई मर्द अपना नाम की चूड़ी पहन लो! कौन वीर निज-ह्रदय रक्त से इसकी मांग भरेगा? कौन कफ़न का पलंग बना रहता है उस पर शयन करेगा? ओ कश्मीर हड़पने वालों, कान खोलकर जाना जाना, भारत के केसर की कीमत तो केवल सिर है, और कोहिनूर की कीमत जूते पांच अजर अमर है ! रैन के खेतों में छाएंगे जब अमर मौत का सन्नाटा, लाशों की जब रोटी होगी और डायनामाइट का आटा, सन-सन करते चलेंगे जिन बामी से फ़नेर| जो हमसे टकराएगा वो चूर चूर हो जाएगा, इस मिट्टी को छूने वाला मिट्टी में मिल जाएगा| मैं घर इंकलाब की आग से जल उठा हूँ ! हे भारत के राम जागो मैं दुनिया में आया हूँ | ©Sahdeep Kumar हे भारत के राम जागो मैं आप दुनिया में आया हूँ, और सौ धर्मो का धर्म एक बलिदान प्रकट किया हूँ ! हिरण हिमालय ने रिकॉर्ड किया है दुश्मनों की जं
हे भारत के राम जागो मैं आप दुनिया में आया हूँ, और सौ धर्मो का धर्म एक बलिदान प्रकट किया हूँ ! हिरण हिमालय ने रिकॉर्ड किया है दुश्मनों की जं
read moreDOLAT SUTHAR MOTYAR
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ, सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ । सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में आज
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ, सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ । सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में आज
read moreJangid Damodar
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। #NojotoQuote झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी
झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी
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