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Rakesh frnds4ever
White मेरे घर आंगन की शोभा तुम,,,,,,,,,,,,,,,, हंसती गाती मस्ती करती कार्तिक माह के पूर्णिमा सी शीतल तुम दिल में सकून ,,,,,,,,,,,,,,,,मन में चांदनी भरती ,,,,,,,चित्त को प्रकाशित करती,,,,,, अमावस्या सी शांत और ख़ोमोश तुम ,, जीवन में स्थिरता लाती मनमोहक और निशा सी काली,, साथ सादगी गहराई लाती,,, तुम हो मेरी ऋतु सारी तुम मेरी होली दीवाली मेरे तन मन जीवन को जगमग करती,, आनंदित,,, करती ,, आकर्षित करती,, हर्षो- उल्लास ताजगी भरती,, रंग बिरंगी फुलझड़ियों सी तुम मन को मोहती खुशियां देती काश!!! दुनिया संसार ब्रह्मांड में कहीं कभी किसी समय किसी जीवन में ,,,,,,,,,,,जो तुम मेरी होती,,..... ©Rakesh frnds4ever मेरे #घर_आंगन की शोभा तुम,, हंसती गाती मस्ती करती,, कार्तिक माह के #पूर्णिमा सी शीतल तुम,, दिल में सकून भरती,,, मन में चांदनी भरती,,,
अdiति
हां मैं खूब हंसती हूं🙂🥀अdiति✍️ କିଶାନ୍ Writer Prashant Shakun "कातिब" కిషన్ poet-Akash kumar wsad shayari wstatus for sad wsad shayari in h
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।। भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा । कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।। राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप । मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।। जीवन के संताप , हरे सब राधा माई । यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।। सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा । उसके ही दुख दूर , करे माँ मेरी राधा ।। राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ । सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।। खेलें उनके साथ , निकट यमुना के तट पर । आया जो आनंद , सुनायें सखियां कहकर ।। उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा । सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध
विधा कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध
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