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Deepanshu
White मुझे शाम के शौकीनों का शौक़ है अब, मुझे दिन वालों से क्या, रात वालों से क्या; मुझे "हमउम्रों" की फ़िक्र से फर्क पड़ता है, मेरे पहले वालों से क्या, बाद वालों से क्या। ©Deepanshu #Sad_Status #alone #life #lifequotes #lifelessons #love #lovelife #poem #poetry #Heart
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White ना मृगनयनी मैं नैन लिखूंगा, ना स्व प्रभात उसको रैन लिखूंगा। ना हिरनी जैसी चाल लिखूंगा, ना काली घटाओं सा बाल लिखूंगा। ना गोरे गोरे गाल लिखूंगा, ना उसका "ची" सुर ताल लिखूंगा। ना पुष्पम उसके हाथ लिखूंगा, ना मनभावन उसकी बात लिखूंगा। ना आलौकिक मैं मुस्कान लिखूंगा, ना सज्जन उसके प्राण लिखूंगा। वो साधारण कन्या मुझसे मिलने वाली, मैं उसको लड़की "आम" लिखूंगा। ©Deepanshu #Sad_Status #alone #life #lifequotes #lifelessons #love #lovelife #poem #poetry #Heart
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read morePoet Kabiir
White क्या वो बिन तिरे मुझ सा बे-क़रार होता है देख तुझ को क्या वो भी अश्क-बार होता है झूठ को हक़ीक़त तेरे मैं मान लेता था क्या उसे भी तुझ पे यूॅं ए'तिबार होता है ©Poet Kabiir #Sad_Status shayari on life alone shayari sad shayari zindagi sad shayari #poetkabiir #Shayari #poem
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read moreShahdab khan
White मुखतीफ हो तो इश्क की दास्तान सुनाऊं क्या, जहन में है गालिब कोई और खजाना लाऊं क्या, वो कहते हैं ,मेरे लव्स उन्हें बहुत चुभते हैं, चीर देगी मेरी खामोशि उन्हें चुप हो जाऊं क्या, ©Shahdab khan Alone #love_shayari #alone
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read moreDeepanshu
White पहली बार नजरें मिली थीं हमारी, मैं काँप रहा था। लेकिन मैंने अपने शरीर को वश में रखा। तुम मुस्कुराई, मेरे हृदय की कपकपी बढ़ती गई, तभी, तुमने नाम पूछ लिया। ऐसा लगा, जैसे अब मेरा हृदय मेरी छाती को चीर देना चाहता है। मैंने धीरे से नाम कहा। तब मैंने देखा तुम्हारे माथे की ओर, और बस देखता रहा, तुम्हारी उस बिंदिया को। वो घास के ढेर में उस सुई के समान था जिसने मेरे हृदय को घायल कर दिया। शायद ये घायल होना चाहता था। न जाने क्या, लेकिन कुछ तो था तुम्हारी उस काली बिंदी में, जो मुझे तुम्हारी ओर खींच रहा था। वो बिंदिया बता रही थी, कि तुम्हे किसी श्रृंगार की ज़रूरत नहीं। उस बिंदिया से झलकती थी, तुम्हारी "सादगी"। और तब, मैंने तुम्हारे माथे को चूमा, कल्पना में। मेरे होठों ने तुम्हारी बिंदी का स्पर्श महसूस किया। ऐसा लगा, जैसे, मेरे शरीर में प्रेम बह रहा हो। मैं सुन्न। ख़ामोश। पीछे से किसी ने टोका, मालूम हुआ तुम जा चुकी हो, और तुम्हारे साथ चला गया मेरे हृदय का चहकना। रह गई तो तुम्हारे चेहरे की प्रतिमा, मेरी आँखों में, और उसमे झलकती, तुम्हारी "बिंदिया"। ©Deepanshu #GoodNight #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry
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read moreKavita Varesha 1432
जिसकी नुमाइश की जाए वो इश्क ही क्या जो आसानी से मिल जाए वो मंजिल ही क्या और जो जरा सी बात पर डगमगा जाए वो विश्वास ही क्या ✍️✍️ ©Kavita Varesha 1432 #Ishq❤ #love❤ #love_status #quotes_on_love #writer #poe#kavi #nojoto❤
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read moreDeepanshu
White बरसात का मौसम था, मैं छत पर भागा और देखा कि वो अपने घोसले से बाहर उस लोहे की छड़ी पर बैठी है जो दीवार से बाहर की ओर झुकती है, और वो बारिश में भीगती हुई, धीमी आवाज़ में चहकती है। सोचा पास जा के देखूँ लेकिन, वो उड़ गई। उसका वो गाढ़ा रंग बहुत ख़ास नहीं था, फिर भी उस छोटे से पक्षी में उत्सुकता थी, उसकी नहीं, मेरी। लेकिन न जाने कैसे, ये उत्सुकता खत्म होती रही। कुछ सालों में। उस दिन मैंने आकाश में पतंग उड़ते देखा, मेरे मन की उस उत्सुकता को अब इस पतंग ने अपनी ओर मोहित कर लिया था। मैं भूल गया, उस गहरे प्राणी को। मेरे हृदय में अब उन रंग बिरंगे निर्जीवों का वास था। एक शाम, अपने पतंग की डोर बाँधते हुए मैंने देखा कि वो जीवित वस्तु उसी लोहे कि छड़ पर बैठी है, मैं उसे देखता, और वो मुझे। ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती है, मैं आगे बढ़ा, वो पीछे हटी, मानो पूछ रही हो, "मुझे अपनी कहानियों में तो रखोगे न?" मेरी आँखों ने इशारा किया, " हाँ"। और फिर, वो उड़ गई। मैंने उसे ताकता रहा, लेकिन, वो खो गई, आकाश में उड़ते उन पतंगों के बीच। मैं दौड़कर उसके घोसले की ओर गया, उसी डोर में लिपटा उसका घर तिनका हो चुका था। शायद वो जा चुकी थी, हमेशा के लिए। ©Deepanshu ✍️🍁...... #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry
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read moreShahdab khan
सब पड़े हैं, मुझे तराजू में तोलने को, मेरे अपने हि पड़े हैं मुझे झूटा तोलने को, इन्हें बताओ यह बंदा किस रब का, जो एक रास्ता बंद करता है, हजार खोलने को l ©Shahdab khan Alone #alone#sadak
Deepanshu
White उफ़! वो भीगी पलकें उसकी, जिन्हे मैं आँखें बुझाए देखता हूँ; मैं देखता हूँ उसके भीगे केश भी, सब; लोगों से छिपाए देखता हूँ। मेरी निगाहें उसके होठों पर जाती हैं, मैं उनमें जीवन का सौन्दर्य देखता हूँ; मैं निहारता हूँ उसके मटमैले चेहरे को भी, मैं उसमे मिट्टी सा धैर्य देखता हूँ। मैंने बंद किए सभी खिड़की - दरवाज़े, उसकी वो धीमी गुफ्तगू सुनने के लिए; आधे अँधेरे में, सभी पंखे तक बुझाए, उसके श्वास की खुशबू सूँघने के लिए। मैं कान बढ़ाता हूँ उसके हृदय की ओर, मुझे लगा, ये मेरी जुस्तजू का अंत है; फिर पर्दा उठता है, और अँधेरा अदृश्य, कल्पित ये मेरी गुफ्तगू का अंत है। ©Deepanshu #love_shayari #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #Love
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