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Stories related to अश्रु का विलोम शब्द

Purnima Kaushik

विचारों का अनुलोम अनुलोम विलोम कीजिए

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जीtendra

मर्मस्पर्शी!!😔

शब्दों का दर्द बनना,
दर्द का अश्रु में परिवर्तित हो जाना...

पराकाष्ठा अंतर्मन के द्वंद की... #मर्मस्पर्शी #शब्द #दर्द #अश्रु #पराकाष्ठा #अंतर्मन #द्वंद

Sneh Prem Chand

अनुलोम विलोम #Hope

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काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा
अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस
लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं,
और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष,
अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।।

दिल की कलम से

©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम

#Hope

kishori jha

हिन्दी #gone विलोम sabad

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Kavi Himanshu Pandey

अश्रु अश्रु स्याही हो जाये....

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jyoti gurjar

दिखावे के रिश्ते देखते देखते थक गई,
मुझे लगता है में इन झुटे रिश्तों से पक गई।

कोई दर्द में सहता है,
तभी तो उसके नेनों से अश्रु धार बन कर कहता है।

सच को हमेशा चुप कराया जाता है,
झूटो को आज कल हर घर में बुलाया जाता है।

कोई ये नहीं सुनता कि  वो मुसाफिर वक़्त कि मार का मारा हैं,सब को यही लगता कि ये अंदर तक हारा हैं।

दूसरो को बदनाम करने के इरादे ना करो बेवकूफों,
 कभी तो अपनी गिरेबान में देखो।

वक़्त बदल जाएगा,
हर उंगली उठाने वाला इक दिन मुंह कि खाएगा।
                                _ज्योति गुर्जर #अश्रु

The blankdotts

#अश्रु....

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DANVEER SINGH DUNIYA

अश्रु

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अगर आपका प्यार सच्चा ही नही है, तो
आपकी आंख  के  एक आशु की बूंद भी
नदियों के पानी को खारा बना सकती है

लेकिन आपका प्यार सच में अमर है, तो
आपकी आंख के एक आशु की बूंद भी
समुद्र के पानी को मीठा बना सकता है

©DANVEER SINGH DUNIYA अश्रु

rajeshwari Thakur

अश्रु

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अपनों और पराए को दुख में देख आंसू जो तुम बहती हो
बिना कुछ किए हृदयस्पर्शी कमाल कर जाती हो
किसी की व्यथा से किसी और कि व्यथा को जोड़ लेती हो।

छलक जाती हो प्रभु की आनंदमयी भक्ति में 
दीन दुखियों असहाय पीड़ितों की परेशानियों में 
तब सार्थक,बेहद कीमती होते ये नयन,अश्रुजल से भरे।

दिन,मास, सालों बीते, जो रिश्ते होते हैं भूले भटके 
आहट सुन उनकी फिर से, हो ही नहीं सकता के
किसी के आँखों से सुखद चक्षुजल ना बरसे।

सुना है गमों से तुम्हारी दोस्ती यारी खूब जमती है
पर खुशी की आने से तू और भी निखरी लगती है
दोनों ही फलसफों में रंग जमाना तो तुम्हें बखूबी आता है।

कैसे कर जाती हो यह करामात 
जो महसूसे धड़क की बन जाती हो जज्बात 
जो शब्द नहीं नयननीर बन कर होती है बरसात।

अलग-अलग भाषाओं में अभिव्यक्ति होती तुम्हारी 
अपना हाल ऐ दिल सबको बंया कर समझा हो जाती 
और अश्रु की धार बनकर बेहिसाब निकल हो पड़ती।

तेरी आने और ना आने का सबको रहता है ध्यान 
जो व्याकुल बेसुध मन की पीड़ा को करती हो उजागर 
अंखियन के कोर से कहकर मेरे हमदर्द और सच्चे यार।

समय के साथ तू भी कितनी निष्ठुर सी, निर्मोही हो गई है 
जहां जरूरत है वहां बहती नहीं जहां नहीं वहां लुढ़कती है 
अक्सर, आजकल दिखावा भी कुछ ज्यादा ही कर देती हैं।

©rajeshwari Thakur अश्रु

Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"(sunshine)

रो - रो कर आँखों से अश्रु बहाओगे ,
अश्रु  बहा -बहा कर  क्या ?
फ़ुलो की सेज सजाओगे ?
अरे......! जीवन मे अश्रु बहाकर 
क्या  मिला ?
खुद को साबित कर कब दिखाओगे।
बड़ी- बड़ी ढिंगे  तो सब हाँकते है ,
खुद से खुद की तक़दीर कुछ ही लिख पाते  हैं । #अश्रु
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