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Shailendra Anand
White रचना दिनांक,,,29,,,10,,,2024 वार,,,मंगल वार समय सुबह। ,,4..30 ,,््बजे ््््निजविचार ््् ्््भावचित्र ्् ्््शीर्षक ्् ््््धनवंतरी पूजन ््् ््््छाया चित्र में दिखाया गया है धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा जीवन में , एक आयुर्वेद में रोग उपचारधन संपत्ति का संवरक्षण में अनर्थकारी अपव्यय को रोकने वाले , सत्कर्मों का स्वरूप हीमानव जीवन की सेवा की औषधी है ््् ्््् कार्तिक कृष्ण पक्ष तिथि त्रयोदशी मंगल वासरे मंगलकारज में , कूबेर और धनकारकं धनलक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी कर्म भाव में स्थित है।। मां लक्ष्मी धनदायी धनाध्यक्षं महादेवी पाद प्रक्षालन में, देही नमोस्तुते नमस्ते देवी धनाक्षी धनाध्क्षं धनक्षंरी अखरी नक्षत्री नवकार महालक्ष्मी पूजण मां माहेश्वरी दशा दिशा कर्म से नवीन भाव में ,, समय घड़ी विलक्षण प्रयोग विधि करहु विविध संस्कार जग में,, जगदीश्वरी मां दैवीय शक्ति महाकाली महालक्ष्मी दैवीभ्यौ नमो नमः।।, भाग्यांक में कर्म रेखा में कर्म भूमि वर्चस्व यजमान भाग्य भाव विधाता , कर्म भाव में स्थित सोच योग साधना तपस्या कर्मियों का स्वरूप ही जिंदगी का आनंद स्वरूपा भगवती चरण में आस्था निज भाव से पुजा अर्चना कर रहे हैं।। रुप में स्वरुप में विराज रही हैं मनोभाव अदभुत झलक झकाव स्वपन आत्मप्रेम ,, आत्मसाक्षात्कार भेज मंगल कारकं दिव्य दर्शन कर रहे , आपकी कृपालु दया करो महाराणी यश तेजोमय दिव्य समृद्धि संस्कार, परिवार में, वृद्धि सम्रद्धि सामुद्रिक लच्छिन लक्ष्मी जी प्रसन्न हो ,, पातालकोट पाताल निवासिनि धनधान्य प्रदायिनी।। आनंद करणी इन्द्र देव अर्चनंमाधवं गोविंदं श्रीकृष्णं नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते अस्तु कर्मणा में, लक्ष्मी नारायण व्दार पाल श्रृषी मुनि संन्यासी का स्वरूप दर्शन मात्र से , कल्याण नमोस्तुते नमोस्तुते मां सरस्वती दैवीय शक्ति पूंज नमो नमः अस्ति ।। जलशायिने जलमध्ये में नयन अश्रुजल बह निकले ध्वनि स्वर पुकार नाद ऐं, क्लीं श्रीं क्लीं श्रीं चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली लाती है।। जगत जननी महालक्ष्मी पूजन नमोनारायण दैवीय शक्ति भक्ति भाव सहित,, नायकं आनंद दे यही मेरी कामना उत्साह उमंग हर्षोल्लास है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 29,,,10,,,2024 ©Shailendra Anand #Dhanteras भक्ति वीडियो कवि शैलेंद्र आनंद
#Dhanteras भक्ति वीडियो कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShailendra Anand
White रचना दिनांक ््24,,10,,,2024 वार। गुरुवार समय,,, सुबह ्््पांच बजे ््््निज विचार ््््् ्््भावचित्र ््् ्््शीर्षक ््् ्््छाया चित्र में दिखाया गया चित्र में देख रहा है ,ब़ीज से अपनी दिशा में आगे पीछे कर देख रहा है, गगन निहारते पल भर में खो गई तस्वीर है आज के दौर में ,,बच्चों बढे जवान सभी जीवों में मनुष्य शरीर में ,, प्राण वायु और पंचतत्व की काया माया से सजाया है््््््् सच में आंखें खोल कर देख रहा मेरे पास आ रही है, प्रेम और उदारता की प्रतिमूर्ति मानवीय मूल्यों पर आधारित, श्रम जीवन और समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही, चिंता की लकीरें खींच गई तस्वीर में दिख रहा है नवयुवक निहार रहा है,, रुठ में तमाम भ्रष्ट तंत्र हावी हो जाता है।। अपना भविष्य खुद जाने अंजाने में स्वयं से खिलवाड़ कर रहा है, उच्च शिक्षा प्राप्त सड़कों पर धक्के खा रहे हैं ।। उन्हें उचित स्थान पर योग्यता की कसौटी पर रोजगार उपलब्ध नहीं है ,, सरकारियातंत्र लचार पंगु बना हुआ है, जो सिर्फ सिर्फ स्वरोजगार प्रशिक्षण शिविर योजनाएं चलाई जा रही है ,।। और रहा सहा तात्कालिक रूप सरकार का प्रमुख ठैला,फैरी लगाने का सुझाव देते नजर आते हैं।। केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति बद से बद्तर हो चुकी है,, विश्व बैंक से दो हजार चौदह से दो हजार चौवीस तक करोड़ों रुपए का कर्ज से डुबी हुई,, अर्थ व्यवस्था का सुधार हो ऐसी स्थिति अभी ऐसे आसार दिखाई दे नहीं रहें हैं।। इस कारण बताओ मैं जिंदगी में मानसिक सम्प्रेषण दबाव में, युवा पीढ़ी बेरोजगार युवाओं की फौज तैयार है,, मंहगाई खात जात है।। और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन व्यतीत करते में आयी कठिनाई के दौर में, बच्चों जवान में बढ़ते अपराध हिंसा से तनाव बना रहता है।। राजनैतिक दल विचारधारा वाले जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्णाश्रम , व्यवस्था, छल प्रपंच धूर्रता से चुनावी सभा में झूठी घोषणाओं का पूलिन्दा लेकर,, देश में प्रदेश में नर नारी में अंतर्कलह स्थापित करने वाली चूनावी रंग रुठ से , अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले दूराचार से अपनी दिशा लेकर चलते हैं।। ऐसे असंख्य लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून से ऊपर उठकर चल रहे ,, तंत्र से लोकतंत्र लाचार है।। जो खुद न्याय पाओ मर्यादा की पंक्ति में लाचार हो कर खड़े होते देख सकते हो,, यह कथन सच्चाई है जिसे हम तुम्हारे साथ में मानसिक रूप से रूबरू होकर चर्चा आम कर रहे हैं।। क्या यही मेरे देश की दशा और दिशा में आमूलचूल परिवर्तन क्या आ है,, क्या हम दिलों से ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 24,,,10,,,2024 ©Shailendra Anand #Sad_Status अच्छे विचारों ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
#Sad_Status अच्छे विचारों ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShailendra Anand
White रचना दिनांक ्19््10््2024्् वार ््शनिवार ् समय सुबह ्््पांच बजे ्् ्््निजविचार ्् ्््भावचित्र ्््् ्््शीर्षक ््् ्््भारतीय संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में गुंथी हुई घटनाओं और परम्पराओं में ,, चंद्रमा से अपनी रूह में पति पत्नि परमेश्वर से दर्शन करने वाले , करवा पूजन चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी है ््् झिलमिलाते वस्त्र धारण करना और अपने आप में कुछ सपने बुनते हैं , जो खून से लथपथ हो प्यारा सा जीवन में एक दर्शन करने वाले चंन्द् माहौल में मस्त रहते हैं ।। महिलाएं ही जिंदगी में पतिवृता वृत करने वाली करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर , चंद्र दर्शन करने वाले दर्शन में पति का स्वरूप में आंखें खोल कर देखें रही ,, मनोकामनी दृश्य दृष्टि दृष्टिकोण से सजाया गया जिसे हम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी व्रत , चन्द्रोदय व्यापिनी से अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में , सिर्फ त्वमेव त्वमेव विद्या से पति और पत्नी दोनों के प्रेम शब्द से जन्मा विचार ही सुन्दर छबि , मनोमय प्यारी सी मुस्कान होंठ रख कर मधुर मुस्कान मन्द अधर में लटकी हुई , चन्द्रोदय में जीवन यापन कर रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा गई है।। प्रेम की अन्तिम समर्पित करिष्यामि,, नमन वन्दंनीय ््् भावचित्र छबि ही सुन्दर और सार्थक और सारगर्भित आलेख में जीवन जरूरी है।। जो धरती पर साकार लोक में दर्शन भारतीय जनजीवन में कलासाहित्य में, मानसिक रूप से धार्मिक तर्क कथन, कथा साहित्य कोश किंवदंतियां प्रचलित है।। हमारे समाज सभ्यता संस्कृति में, समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।। यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई तस्वीर छपी ,, मेरे दिल के दरवाजे मन दर्पण दर्शन प्रेम में अटूट आस्था रिश्ते में, प्यार हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। चित्र मानस में शास्त्र में प्रकाशवान में एक जीवंत प्रयास कला संस्कृति में गुंथी हुई धुन में, मगन मस्त प्यारा सा जीवन है।। अमृत बरसाता है प्रेम शब्द ही जिन्दगी में पहली से आखिरी सांस तक चलायमान है ,, जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 19,,,10,,2024्् ©Shailendra Anand #karwachouth Extraterrestrial life ््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद
#karwachouth Extraterrestrial life ््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद
read moreseema patidar
बहुत मित्र कभी नहीं होते मित्र जीवन में कम ही हो सकते है पहचान बहुतों से हो सकती है सहजता बहुतों से हो सकती है पहचान दुनिया से हो सकती है उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता । ©seema patidar आनंद पथ
आनंद पथ
read moreShailendra Anand
White विधि करहु विविध संस्कार जग में,, मैं लेखक कवि शैलेंद्र आनंद हूं।। स्वतंत्र आवाज़ में दबाव रहित ना ग़ुप ना समुह ना किसी संगठन का मैं गुलाम हूं।। मैं तो भारत प्रजातांत्रिक देश का कूलदीपक हूं।। ना कोई मेरा तेरा मन करे वो लफ्जो से भावना से कर्म से भाग्य विधाता सर्वग्य है।। जिसका आनंद करण जौहर में जलना रणकौशल वीरों की शान है।। अगर मगर ख्याल रखना झण्डाबदार सरकार का दायित्व नहीं है,, कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र विचित्र बात है।। मां भगवती चरण शरण में, मैं शैलेंद्र आनंद तुम्हारा अपना मित्र सहोदर भ्राता हूं तुम्हारी आन बान शान में कसीदे पढ़े लिखे लोग पार्टी नहीं देश बडा है महान है।। मैं गांधी,सुभाष, भगतसिंह, अब्दुल हमीद,, और ,नेहरु इंदिरा गांधी की आवाज का कायल हूं।। जय हिन्द जय भारत मां भारती को सदैव तत्पर प्रमाण पत्र प्रणाम,, मेरा नाम शैलेंद्र आनंद, जवान वन्देमातरम कहना है और ,, भारत मां शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा जाना है।। ्््भावचित्र निज विचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद https://www.facebook.com/share/p/hRnvXghQhuZCa9Y2/?mibextid=oFDknk ©Shailendra Anand #Dussehra देश भक्ति ्् कवि शैलेंद्र आनंद
#Dussehra देश भक्ति ्् कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShashi Bhushan Mishra
जज़्बातों की खाई में, फिसल गए चिकनाई में, उऋण नहीं हो पायेंगे, उम्र कटी भरपाई में, अपनापन का अंदेशा, फिसलन है इस काई में, प्रेम प्यार सब भूल गए, झूठी मान बड़ाई में, फैशन के युग में यारों, फर्क़ न चाचा ताई में, लालच लोभ बढ़े इतने, प्रेम न भाई भाई में, 'गुंजन' ये महसूस हुआ, सुख आनंद भलाई में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #सुख आनंद भलाई में#
#सुख आनंद भलाई में#
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक26,,,,4,,,10,,,,2024 वार,,,,,,,,, शुक्रवार समय,,,, दोपहर तीन बजे ््््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् ््भाव चित्र ््मैं छाया चित्र है शारदीय नवरात्र में मां के व्दितीय स्वरूप में मां का ब़म्ह चारिणी यानी आचरण में विचरण में,, देवत्व कलाओं में पारंगत विदूषीयो के सतत प्रवाह, मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन करते हैं।। प्रमाणितं ब़म्हकर्मसाक्ष्य श्रीविश्वामित्र अतुलतेजस्वी, चतुर्थ भाव भंगिमा इच्छा शक्ति से अर्जित किया गया,, मां गायत्री का स्वरूप और संरचना प्रयोग आराध्य देवी में , सम्पूर्ण जीवन में, बीजशक्ति मंत्र शक्ति अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचना निर्राकारंओकारं आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में , महान् कार्य मां गायत्री मंत्र शक्ति सजृन धरा पर अवतरित मंत्र शक्ति से अर्जित किया गया ।। ईश्वरीय वरदान से जन्मा विचार सच में अखिल विश्व में , गायत्री मंत्र जाप करने वाली शक्ति पात में , अनंत परिपूर्ण शब्दयोग ही सुन्दर छबि मनोमय प्यारी सी , मुस्कान होंठ पर रख दिया अमिट प्रेम शब्द से , जन्मा विचार ही मां शब्द का स्वरूप सौंदर्य ही आनंद है ।। जो धरती पर साकार लोक में भ़मण करते हुए जीवन में मां का ब़म्हचारिणींतृतीयं स्कंद षष्ठी तिथि पर जिंदगी को बेहतर समझना जरूरी है ,, क्योंकि धड़कनों में गुंथी हुई धुन पर जनमानस में , एकात्मकता समरुपता से सजाया गया है ।। मां चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में, खुशहाली और उसके भाव भंगिमा दीप प्रज्जवलित, आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद से सजाया गया है ।। तुलजा भवानीविराजितं से जन्मा आत्म मंथन चिन्तन में, साधक साधना तपस्या में लीन रहते भक्ति से सजाया गया है।। मां महाकाली देवीय चमत्कारों से भरा हुआ, क्षैत्रपाल भैरव और बटुकभैरव क्षैत्रपाल, हनुमंत कपीसा क्षैत्रपालाय नमः ।। यही सच्चाई देखकर सहसा जगत में , बिन ज्ञान सब कुछ अधुरा है ।। जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि को, परखना सदगुरू बिना सब अधुरा है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 4,,,,,10,,,,2024,,,, ©Shailendra Anand #navratri भक्ति में लीन हैं ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
#navratri भक्ति में लीन हैं ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
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