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Stories related to the comet and the moon poem summary

Paa-gal

#Moon

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Prerana"Yukta"

#Moon

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White हृदय चन्द्रमा ! एक नया बहाना ढूंढता है,
हवाओ मे बहता हुआ बातों की बाते करता है,
मुस्कुराता मोह मोहि के मोह में,
फिर एक नया बहाना ढूंढ़ता है ।

काली अंधेरी चादर में चुपके से,
चंचल चित तकता है,
बातों ही बातों में न जाने कितनी बाते बुनता है,
फिर एक नया बहाना ढूंढता है।

छू कर रजनी सी रश्मी,
कुछ कौतुक सी बाते करता है,
 न जाने कैसी सी बाते करता है,
न जाने  कौन सी बाते सुनता है ।

एकांत अनवरत  सी चित गंगा में,
कोलाहल और ध्वनि संगीत  सुनता है,
प्रसंग प्रीत सब रीत यही है,
हृदय चन्द्रमा ! एक नया बहाना ढूंढता है....   
                                           प्रेरणा "युक्ता"

©Prerana"Yukta" #moon

Deven(बदनसीब सुख़नवर)

#Moon

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White सोच रहा हूँ, कह ही दूँ मैं अपने दिल की बात को,

अपने चाँद के सामने इस पूनम की रात को...

©Deven(बदनसीब सुख़नवर) #Moon

Nitin Kuvade

#Moon

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White हर्षित  मन, शीतल  गगन,
शीतलता से भरी  ये पवन,
राग  नया  गुनगुना  रही है,,

खुशियों का समा, मन रमा,
तपन से मुक्ति, शीत  थमा,
शरद ऋतू  केसी आ रही है,,,

अमृत बरसे, मन हर्ष हरषै,
सब नैन मिलाये अम्बर से,
शरद ऋतू ऐसी भा रही है,,,

कृष्ण का  रास, आज़ रात,
गोपिया जोहे आज़ की बाट,
गोपिया कृष्ण को पा रही है,,,

सोलह कला, शशि ले चला,
इठला जग निहारे चन्द्रकला,,
सोलह कला जग पे छा रही है,,,

चहके चकोर, मन में उठा शोर,
चांदनी बरसे आज रात घनघोर,
चांदनी चकोर को लुभा रही है,,,

सौंदर्य  प्रतीक,  प्रेम पथिक,
आभा  है  ऐसी  अलौकिक,
कलम  मेरी  रचना  रचा  रही है,,,

शीतमय  जग, शीतलता रग रग,
श्रृद्धा शीश झुके, खुशि पग पग,
शरद पूर्णिमा महत्व बता रही है,,,

✍️नितिन कुवादे..

©Nitin Kuvade #Moon

Prabhat Kumar

#Moon

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White मुझे मुझसा कोई दीवाना ना मिला ।

दिल तोड़ा गया मेरा पर हरजाना ना मिला ।।

यूं तो ठिकाने शराब के बहुत है मगर ।

उसकी आंखों से बढ़कर कोई मयखाना ना मिला ।।

मैंने मोहब्बत में सब कुछ गवा दिया अपना ।

पर उसकी यादों के सिवा कोई खजाना ना मिला।।

हाल पूछने पर अक्सर मुस्कुरा देता हूॅं ।

दर्द छुपाने का दूसरा कोई बहाना ना मिला ।।

मैंने बहुत ढूंढा ठिकाने मोहब्बत के मगर ।

सारे जहाॅं में वफा-ए आशियाना ना मिला ।।

वर्षों से लिख रहा हूॅं मैं मोहब्बत की दास्तां ।

मगर अब तक किसी से मुझको नजराना ना मिला।।

©Prabhat Kumar #Moon

Deepak Kumar 'Deep'

#Moon

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White                                                     अक्सर रात को आसमाँ देखकर 
                                                    तुम्हें निहारा करता हूँ।
                                                     छुप जाते हो जब बीच बादलों में 
                                                     तुम्हें पुकारा करता हूँ।
                                                     अक्सर  रात को आसमाँ देखकर..

खुदा जाने दिल की आवाज़ 
तुम तक पहुँचती है या नहीं
फिर हाथ उठाकर 
तुम्हें इशारा करता हूँ!
अक्सर  रात को आसमाँ  देखकर..

                                                      जब भी देखता हूँ शबाब में 
                                                     चले   आते हो ख्वाब में,
                                                     तब खुद को आइने में सवाराँ करता हूँ।
                                                     अक्सर रात को  आसमाँ देखकर...

ये जानते हुए भी 
तुम तक पहुँचना है नामुमकिन,
फिर पानी में तुम्हारे अक्स को 
उतारा करता हूँ।
अक्सर रात  को आसमाँ  देखकर...

                                                    सोचता हूँ नज़र न लग जाए
                                                    तुम्हें ज़माने की कहीं,
                                                    नज़रों से बचाकर 
                                                    पानी में हलचल पैदा करता हूँ।
                                                    अक्सर  रात को  आसमाँ देखकर...

जानता हूँ तुम्हें ज़मीं पर लाना
यूँ सितारों से दामन छुड़ाना 
नामुमकिन है, पर ये वो गुनाह है
जिसे मैं बार बार करता हूँ।

                                                   अक्सर रात को आसमाँ देखकर 
                                                    तुम्हें निहारा करता हूँ,
                                                    छुप जाते हो जब बीच बादलों में 
                                                    तुम्हें पुकारा करता हूँ।

©Deepak Kumar 'Deep' #Moon

Schizology

November 9th Moon #Moon poem✍🧡🧡💛

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November 9th Moon


Early in the morning, about half past four
The moon shines brightly
Early in the morning, I'm at the back door
The moon shines vividly

Early in the morning, half way to five o'clock 
The geese splash mightily
Early in the morning, the lake is where they flock
The geese splash vigorously

Early in the morning, I'm awake and writing
The cars travel quickly
Early in the morning, a doobie I am lighting
The cars travel swiftly

Early in the morning, only streetlights are on
The moon shines quietly
Early in the morning, leaves scatter the lawn
The moon shines infinitely

©Schizology November 9th Moon

#Moon #poem✍🧡🧡💛

Shilpa priya Dash

#Moon

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sammy

#Sad_shayri #Moon#Moon love shayari

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ANKIT

#Moon

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