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Stories related to इमारत के मसाइल

sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

मसाइल

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तमाम मसाइल की जड़ तो ज़िंदगी थी...
और ख़्वाह-म-ख़ाह मौत से डरते रहॆ..।

                                - ख़ब्तुल
                           संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 मसाइल

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मसाइल

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कुछ और नहीं बस सादगी मसाइल है...
इक बदन फूल है आँखें इज़राइल है..।

                                  - ख़ब्तुल
                              संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 मसाइल

sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

मसाइल

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यार तेरे पास कितने मसाइल है...
और हम तो बेसबब ही जी रहॆ हैं..।

               - ख़ब्तुल
            संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 मसाइल

Naveen Mahajan

मौजूदा मसाइल

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Indrajit Ashok Patil

PuRuShOtAm PaReEk

हमारे बचपन की यादो की आखिरी इमारत ढह गयी
इमारत के हर पत्थर के साथ वो खुशिया बह गयी
वो खुशियों का महल ढह गया बस यादें जहन में रह गयी
जिस इमारत ने कई जीवन संजोए थे खुशियो से भरे वो  अपने आखिरी पलों में देखो कितने दर्द सह गयी। #इमारत

Unknown

गिरती दीवारों पर अंकित है
एक अबूझ लिपि

कौन पढ़ेगा ढहती हुईं इमारत
की भाषा

©Ashish Samriya #इमारत

Dilipkashyap

भारत की जनसंख्या इतनी तेज़ गति से बढ़ रही है कि एक दिन ऐसा आएगा की चारों ओर सिर्फ इमारत ही इमारत दिखाई देगा। #इमारत

Ajay Pratap Singh

इमारत

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कुछ रईसी इमारतों सी मुहब्बत हो गई है आजकल
ग़रीब आशिकों के ख्यालों की पहुंच से भी कोसों दूर है #NojotoQuote इमारत

Naveen Mahajan

मौजूदा मसाइल #shadesoflife

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'मौजूदा मसाइल'

मौजूदा मसाइल पे, लिखने की हिदायत थी
हमने बग़ैर देर किए, तुझ पे ग़ज़ल कही।

काफ़ूर हो चले जब, सब सब्र के परिन्दे
तेरी तरफ़ से हमने, ख़ुद पे ग़ज़ल कही।

मौसम के बदलने के, वाकिफ़ थे मिजाज़ों से
मात उनको देते तेरे, रुख़ पे ग़ज़ल कही।

संगों पे पड़ी धारी, हिम्मत पे रही भारी
बेकार हमने अब तक, बुत पे ग़ज़ल कही।

यारों ही की महफ़िल थी, यारी ही के किस्से थे
ग़म के अज़ीज़ हम थे, उस पे ग़ज़ल कही।

सावन के महीने में, सब गा रहे थे झूले
हमने भी पतझड़ों की, रुत पे ग़ज़ल कही।

दुनिया के शोरगुल पे, कहने को कुछ नहीं था
मजबूर थे आदत से, चुप पे ग़ज़ल कही।

ग़ज़लों में ढूंढते हैं, सब सुख जहान के 
दीगर ये बात है के, दुख पे ग़ज़ल कही। 

#NaveenMahajan मौजूदा मसाइल 

#shadesoflife
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