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अज्ञात
छुप छुप के वो मेरे हालात देखता है कभी कभी नहीं दिन रात देखता है डरता बहुत है मिरे बिखरने से भी और मिरे बिखरे बिखरे जज्बात देखता है क्या क्या दलीलें पेश होंगी मनाने में रूठकर मुझसे मिरे ख़यालात देखता है किसके हाथ है मिलना बिछड़ना ये सब मुकद्दर पे मोहब्बत की विसात देखता है ये कलम तो उसकी दिवानी है और वो कलम की कशिश के करामात देखता है ©अज्ञात #कलम
Ghumnam Gautam
White कलम प्यारी है मुझको, आपको शमशीर प्यारी है कि जिसकी जैसी है उसको वही जागीर प्यारी है मिली 'ऊले' पे इतनी वाह, मैं "सानी" न कह पाया वो ऊला था फ़कत इतना कि ये तस्वीर प्यारी है ©Ghumnam Gautam #good_night #कलम #शमशीर #ghumnamgautam
#good_night #कलम #शमशीर #ghumnamgautam
read moreamar gupta
White मेरी कलम , मेरा कागज ... तुझे क्या लगा वफादार लिखूंगा तुझे । ©amar gupta #Meri कलम.... मेरा कागज...
#Meri कलम.... मेरा कागज...
read morePradyumn awsthi
White मैं कोई लेखक नहीं ...मगर फिर भी मुझे अच्छा लगता है लिखना जीवन के किस्से, आप बीती बातें और अपनों और गैरों से मिले अनुभव को शब्दों के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करते रहना ये मुझे अच्छा लगता है । ©Pradyumn awsthi #जीवन की कलम
#जीवन की कलम
read moreskb
Nature Quotes आज बहुत दिनो बाद कलम उठाई मैंने, कंबख्त बोल पड़ी मुझसे। क्यो आज याद आई ? तुम्हे मेरी। अब क्या बताऊं मैं इसे,की मै किन गलियों से गुजरा हूं l भूल कर भी नही भूल पाया तेरी स्याही को, जो रंग भर रही थी मेरी कलमो को। ........…. ©skb मेरी कलम से... #NatureQuotes
मेरी कलम से... #NatureQuotes
read moreVic@tory
White कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ, गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ, रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आँसू, मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ। ©Vic@tory कलम चलती है तो ........
कलम चलती है तो ........
read moreVic@tory
White कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ, गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ, रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आँसू, मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ। ©Vic@tory #कलम चलती है तो......
#कलम चलती है तो......
read moretripti agnihotri
White तृप्ति की कलम से ************************************†****** जाने वाला चला गया,क्यों बहते आँसू आँखों से यादों में सब सिमट गया,क्यों झरते पत्ते शाखों से। जाने क्या-क्या संग ले गया, जाने वाला क्या जाने कभी हँसाये, कभी रुलाये , अपनी मीठी बातों से। तेरी यादें, तेरी बातें, पल -पल याद दिलाती हैं बोझ बढ़ा इन यादों का तो,दफनाया इन हाथों से। जो होता अच्छा होता,बस मन को दिलासा देते हैं मन ही जाने मन की पीड़ा, ना बिसराया यादों से। स्वरचित तृप्ति अग्निहोत्री लखीमपुर खीरी ©tripti agnihotri तृप्ति की कलम से
तृप्ति की कलम से
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