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Devang shukla
इतना ना ढूंढो होटल में room. कि अगले महीने hospital में कम पड़ जाएं room. भूल गए हम शायद पिछले महीने की जलती चिताए।
भूल गए हम शायद पिछले महीने की जलती चिताए।
read moreLatika Chawda "लाली"
वो गुजरात का सफ़र पिछले महीने न जाने क्यों लगा था अकेला-सा.. #nojoto #travel #safar #saath #ahsaas
zindagi ko aawaz
यह पंक्तियां लिखी थी मैंने पिछले महीने जब मेरा एक खास दोस्त परीक्षा के परिणाम से घबराया हुआ था जबकि उसके परिश्रम में ही कोई कमी नहीं थी । हा
read moreAuthor kunal
#Sadmusic इकलौता शग़ल है काफ़िया पैमाई हमारी वाह क्या कहने अहहा यही कमाई हमारी उन लोग से कैसे उम्मीद करें अच्छे दिन भी जिनके लिए बस चुनावी म
read moreSatyam Kumar
LETTER TO BAPU ( अनुषीर्शक में पढ़े ) आदरणीय बापू नमस्कार , पिछले महीने ही आपसे चौरंगी मोड़ पे भेंट हुई थी। आपकी प्रतिमा को देख कर बहुत आनंद और गर्व हुआ था । वहाँ ,मैं आप से एक
आदरणीय बापू नमस्कार , पिछले महीने ही आपसे चौरंगी मोड़ पे भेंट हुई थी। आपकी प्रतिमा को देख कर बहुत आनंद और गर्व हुआ था । वहाँ ,मैं आप से एक
read moreJALAJ KUMAR RATHOUR
पार्ट -2 1 जुलाई का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि बाती क्यों नही आई तो उसने बताया की उसके पापा के साथ चली गयी वो अब ,पहले यहाँ पर अपनी नानी के यहाँ रहती थी । जिनका देहांत हो गया पिछले महीने, मैं उस दिन उदास था और कई दिन तक रहा जब क्लास चार का रिजल्ट मिला तो मै क्लास मे प्रथम आया था और वो सेकंड, किसी को विश्वास नही हो रहा था और मेरे दोस्त मुझे ताने दे रहे थे हाँ उस दिन एक चीज का पता चला की वो थी ही ऐसी जो दुसरों के लिए जीती थी उस दिन के बाद मै कभी पीछे सीट पर नही बैठा, क्युकी मैं चाहता था कि उसकी मेहनत जाया ना जाए तभी उसकी दुसरी सहेली ने उसकी एक चिट्ठी दी उसमे लिखा था.दीपक. तुम बहुत अच्छे हो तुमने मुझे एक अच्छा दोस्त दिया जिसने मुझे हंसना सिखाया, मुझे हिंदी के गाने और चुटकले सिखाये, तुम्हारा शुक्रिया.दीपक पता नही अब मै कब मिलूँ तुमसे पर यार एक चीज याद रखना की.दीपक और बाती का साथ सिर्फ इतना ही होता है.बाती जमाने के सामने दीपक को रोशन कर देती है उसके बाद स्वयं जल जाती है दादी अक्सर ये बात बताती हैं तुम्हारी दोस्त "बाती ठाकुर" उस दिन मेरे पास सिर्फ तीन चीजे थी एक अंग्रेजी वाले पन्ने पर जेल पेन से लिखी और उसके आँसू के बूंदो से भीगी उसकी चिट्ठी , दूसरा मेरी और उसकी वजीफा वाली फोटो से बनी फोटो फ्रेम और उसके साथ बीती यादें..... ......... #जलज राठौर पार्ट -2 1 जुलाई का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि
पार्ट -2 1 जुलाई का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि
read morePankaj Singh Chawla
पर्किंग वाला प्यार भाग - 17 (Read in Caption) पार्किंग वाला प्यार 17 सुनो...! कुछ दिन बाद हुआ ऐसे की... 'मन' की मम्मी का चश्मा टूट गया... वो ठीक करवाने के लिए दुकान पर आई... पहले तो कु
पार्किंग वाला प्यार 17 सुनो...! कुछ दिन बाद हुआ ऐसे की... 'मन' की मम्मी का चश्मा टूट गया... वो ठीक करवाने के लिए दुकान पर आई... पहले तो कु
read moreKP STORY HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the same ©KP NEWS HD वहीं एनएमसी ने जून में जारी अपने नेक्स्ट विनियमन 2023 में कहा था कि परीक्षा 12 महीनों के भीतर दो चरणों में आयोजित की जाएगी. इसका पहला चरण अग
वहीं एनएमसी ने जून में जारी अपने नेक्स्ट विनियमन 2023 में कहा था कि परीक्षा 12 महीनों के भीतर दो चरणों में आयोजित की जाएगी. इसका पहला चरण अग
read moreशशांक गौतम
किस्सागोई (पूरा किस्सा नीचे कैप्शन में दिया है) #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqdada #yqhindi #yqdiary #yq #yqlife 'साहब'-अगर इस महीने की पगार मिल जाती तो मैं गांव चला जाता,मेरी पत्नी की तबि
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 आरती अपने पति की फैक्ट्री के निकट बने एक कैफे में बैठी हुई थी। उसकी निगाहें बार-बार फैक्ट्री के मेन गेट की ओर उठ जातीं थीं । उसे अपने पति के फैक्ट्री से बाहर निकलने का इन्तजार था..., कल उसे उसकी घनिष्ठ सहेली रेनू ने बताया था कि तुम्हारे पति हर महीने की पहली तारीख को किसी के घर रुपये देने जाते हैं। रेनू ने पहले भी कई बार इस बारे में आरती से बात करनी चाही थी मगर आरती को अपने पति देवेश पर इतना अधिक विश्वास था कि उसने रेनू की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया था। मगर कल जब रेनू ने आरती को बताया कि उसने पिछले महीने की पहली तारीख को देवेश को एक महिला के घर जाते स्वयं अपनी आँखों से देखा था तो यह सुनकर आरती बहुत परेशान हो उठी थी..., आज महीने की पहली तारीख थी। रेनू के अनुसार आज देवेश उस स्त्री के घर जाएगा। आरती के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे। देवेश उस स्त्री के यहां क्यों जाता है ? उसका उस स्त्री से क्या सम्बन्ध है? देवेश ने उसे इस राज के बारे में पहले बताया क्यों नहीं ? वह जितना सोच रही थी उसकी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी। मानव मन की स्थित बड़ी विचित्र होती है । यदि किसी के बारे में मन में एक बार शंका उत्पन्न हो जाए तो फिर हमें उस ब्यक्ति की हर गतिविधि संदिग्ध लगने लगती है । यही हाल इस समय आरती के मन का था ।इस समय उसे अपने पति की बीती कई बातें बड़ी विचित्र लग रही थीं..., तभी फैक्ट्री का साइरन बज उठा था। फैक्ट्री की छुट्टी हो गई थी। अब कुछ ही देर में देवेश फैक्ट्री से बाहर निकलने वाला ही था इसलिए आरती कैफे से निकलकर टैक्सी में आकर बैठ गई। कुछ ही देर बाद उसके पति देवेश की कार फैक्ट्री के गेट से बाहर निकली। कार देवेश खुद ड्राइव कर रहा था। आरती ने टैक्सी ड्राइवर से कार का पीछा करने को कहा। आज वह इस रहस्य से पर्दा उठा देना चाहती थी।दो-तीन किलोमीटर तक कई गलियों से गुजरने के बाद देवेश की कार एक मकान के सामने जाकर रुक गई।यह एक पुराना मोहल्ला लग रहा था । यहां मध्यम बर्गीय लोग रहते थे । आरती को बड़ी हैरानी हो रही थी कि देवेश यहां क्यों आता है । तभी देवेश ने डोर बेल बजाई । एक युवा स्त्री ने आकर दरवाजा खोला। देवेश सूटकेश लेकर उसके पीछे-पीछे चल दिया। इससे पहले कि दरवाजा बन्द हो आरती भी अन्दर आ गई। उस स्त्री ने आरती को प्रश्नवाचक निगाहों से देखा। तभी देवेश की नजर आरती पर पड़ी। आरती को वहां देख देवेश को बड़ी हैरानी हुई। उसने पूछा आरती तुम और यहां ?"हाँ मैं जानना चाहती थी कि आप हर महीने इस स्त्री को रूपए देने क्यों आते हैं। आखिर आपका इससे क्या सम्बन्ध है ?“ आरती देवेश की ओर देखते हुए बोली.. , देवेश ने आरती की ओर क्रोध भरी नजरों से देखा। वह बोला-‘तुम लोगों की नजरों में स्त्री और पुरुष के बीच बस एक ही सम्बन्ध होता है प्यार का। आरती तुम्हारी सोच इतनी घटिया होगी मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।’ फिर वह आरती की बांह पकड़कर उसे अन्दर की ओर घसीटते हुए बोला-’तुम जनाना चाहती हो कि मेरे और इस स्त्री के बीच क्या सम्बन्ध हैं तो अन्दर आओ और खुद अपनी आँखों से देख लो..., वह घसीटता हुआ आरती को अन्दर ले गया। अन्दर एक आदमी बेड पर तकिया लगाए लेटा था। आरती यह देखकर हैरान रह गई कि उसके दोनों पैर कटे हुए थे।बरामदे में बिछी दरी पर कुछ बच्चे बैठे थे । उनके हाथों में कापी किताबें थीं..., देवेश आरती की ओर देखकर ऊँचे स्वर में बोला-‘यह दिलीप है मेरी फैक्ट्री का सबसे होनहार टैक्निशियन ।आज हमारी फैक्ट्री जिस ऊँचाई पर पहुँची है उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ दिलीप का है। दिलीप की योग्यता से प्रभावित होकर कई फैक्ट्री के मालिकों ने उसे यहां से दोगुने वेतन का लालच दिया मगर दिलीप मेरा बहुत बफादार था इसलिए वह मेरी फैक्ट्री को छोड़कर कहीं नहीं गया..., आज से सात साल पहले दिलीप एक मशीन की चपेट में आ गया। उसके दोनों पैर मशीन में फंसकर घायल हो गये थे। बड़ी मुश्किल से दिलीप को मशीन से बाहर निकाला जा सका। मैंने दिलीप को तत्काल एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। डाक्टरों ने हर सम्भव कोशिश की थी मगर टांगों में सेप्टिक हो जाने के कारण उन्हें दिलीप की दोनों टांगें काटनी पड़ीं थीं। मजदूर यूनियन के नेताओं ने दिलीप और उसकी पत्नी को फैक्ट्री मालिक के खिलाफ केस दर्ज करने और उनसे हरजाने की भारी भरकम धनराशि मांगने के लिए खूब उकसाया था। मगर दिलीप इसके लिए तैयार नहीं हुआ था। उसने कहा कि दुर्घटना मेरी लापरवाही से हुई थी मालिक का इसमें कोई दोष नहीं है ..., तब से दिलीप बिस्तर पर है। वह कुछ कर नहीं सकता। उसकी पत्नी सविता ग्रेजुएट है वह घर पर बच्चों को पढ़ाती है मगर इससे घर का खर्च थोड़े ही चल सकता है। इसलिए मैं हर महीने की पहली तारीख को दिलीप का वेतन देने आता हूँ।“और कुछ जानना है तुम्हें ?“ उसने आरती की ओर घूरते हुए पूछा..., आरती का सिर शर्म से नीचे झुक गया था। उसे अहसास हो रहा था कि उसने अपने पति पर अविश्वास करके अक्षम्य अपराध कर दिया है ।अब वह अपने पति का सामना कैसे कर पाएगी यह सवाल बार-बार उसके जेहन में कौंध रहा था। उसे अपने ऊपर बड़ी ग्लानि महसूस हो रही थी..., तब तक सविता चाय बना लाई थी। उसने देवेश और दिलीप को चाय देने के बाद एक कप आरती की ओर बढ़ाया..., आरती ने उससे चाय का कप लेकर मेज पर रख दिया और सविता की ओर दोनों हाथ जोड़कर कहा-‘मैं तुम्हारे साहब की पत्नी हूँ। मैंने अचानक इस प्रकार यहां आकर बहुत बड़ी गलती कर दी। यदि हो सके तो मुझे माफ कर देना...," “यह आप क्या कह रही हैं मालकिन ? मैं एक स्त्री हूँ आपके मन की स्थिति को समझ सकती हूँ। मैं और दिलीप तो हर बार मालिक से कहते हैं कि अब किसी तरह कोचिंग से घर का खर्चा चल निकला है इसलिए अब आप वेतन लेकर नहीं आया करें। मगर मालिक इतने दयालु हैं कि वे मानते ही नहीं हैं...," ऐसा मत कहो सविता बहिन। अगर तुम और दिलीप भइया वेतन लेने से मना करोगे तो मैं समझूंगी कि आप लोगों ने मुझे दिल से माफ नहीं किया। आरती बहुत ही भावुक स्वर में बोली..., आरती की बातों से देवेश के दिल को बड़ी राहत मिली थी। अब माहौल काफी हद तक सामान्य हो गया था। और सब लोग साथ मिलकर चाय पीने लगे थे। अब आरती भी अपने को तनाव रहित अनुभव कर रही थी।उसने याचना भरी नजरों से अपने पति की ओर देखा था।उसकी आंखों में पश्चाताप की भावना साफ झलक रही थी ! *बच्चों की पढाई में मन लगाने का* *उपाय* 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 *बच्चे का पढाई मे मन न लगता हो बार बार फेल हो जाता हो तो यह सरल टोटका करें- शुक्ल पक्ष के गुरुवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घण्टा पहले बड के पत्ते पर पांच अलग अलग प्रकार की मिठाइयाँ दो छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धा भाव से रखें और अपनी शिक्षा के प्रति कामना करें। यदि उपाय माता पिता करें तो बच्चे के लिए मन से प्रार्थना करें। पीछे मुड़कर न देखें, सीधे घर आ जाएँ। इस प्रकार लगातार तीन गुरुवार करें। बच्चे का पढाई मे मन लगने लगेगा और अच्छे अंक भी आने लगेंगे।* अपनी दुआओं में हमें याद रखें बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" "सर्वधर्म समाधान" ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 आरती अपने पति की फैक्ट्री के निकट बने एक कैफे में बैठी हुई थी।
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 आरती अपने पति की फैक्ट्री के निकट बने एक कैफे में बैठी हुई थी।
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