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Stories related to दशो दिशाओं का समूह

Vandana

"शब्दों का समूह,,, #शब्दों का समूह #शब्दों_की_माला

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शब्दों का समूह बन जाता है 
एक सुरीला गीत,,,,
पंछियों के स्वरों में भर देता है संगीत,,,,
भावनाओं की बांसुरी बन,,,
हो जाता मन का मीत,,,
किसी कवि के शब्द बन,,,
रचना में भर देता प्राण,,,,
चित्रकार के रंगों में भिगोयी तस्वीर,,,
बन जाता प्रशंसा का स्वर,,,
कलाकार की रंगमंच में फूंक देता जान,,,
दो प्रेमियों के प्रेम का माध्यम बन जाता,,,
ममतामयी शब्दों का आंचल बन जाता,,,
शब्दों का समूह जीने की वजह बन जाता,,,
भाषा का गूढ़ विज्ञान कहलाता,,,,
आदि मानव से सुसंस्कृत मानव बन जाता, "शब्दों का समूह,,,


#शब्दों का समूह
#शब्दों_की_माला

Ashish Patel (Kurmi)

चारों दिशाओं में राम ही राम

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Asha Bharti

दिशाओं को मत बदल लेना #HeartfeltMessage

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Gumnam Shayar Mahboob

सहरा में है दरियाओं में है 
हर कण में है फजाओं में है 
हम मंदिर-मस्जिद में उलझे हैं
पर वो तो हर दिशाओं में है — % & #सहरा #दरियाओं #फजाओं #मंदिर_मस्जिद #उलझे 
#दिशाओं #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob

tanuja mishra

होली _ कई रंगों का समूह #colours

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रिश्तों में मिठास हो 
फिर उनमे विश्वास हो 
होली तो फिर मन का पर्व है 
जब ऐसे रिश्ते पास हो
होली की हार्दिक शुभकामनाएं

©tanuja mishra होली _ कई  रंगों का  समूह 

#colours

Vishal Vaid

अशजार ***पेड़ो का समूह कश्कोल***भिक्षा पात्र सुखनवर*** शायर, कवि

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 तेरे कूचे में जो बीमार नज़र आते है 
मुझ को सारे ही ये फनकार नज़र आते हैं

मैं तेरी सोच में निकलूं जो कभी सहरा में
साथ में चलते सौ अश्ज़ार नज़र आते हैं 

तूने जो चूमा है इन आंखो के कशकोलों को
खोटे सिक्के मुझे दीनार नज़र आते हैं

वो फलक जिसमे सितारें ही जड़े रहते थे
हिज्र में देखूं तो बस खार नज़र आते हैं

नींद से जगने का दिल करता नही है मेरा
ख्वाब तेरे जो लगातार नज़र आते हैं

जब ये जिंदा थे,दर-ओ-बाम न थे हासिल, पर
दफ़न कब्रो में जमींदार नजर आते हैं

इश्क से पहले सुख़न-वर लगे, सब को नीरस 
फिर यही लोग मज़ेदार नजर आते हैं अशजार ***पेड़ो का समूह 
कश्कोल***भिक्षा पात्र
सुखनवर*** शायर, कवि

Vishal Vaid

अशजार ***पेड़ो का समूह कश्कोल***भिक्षा पात्र सुखनवर*** शायर, कवि

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 तेरे कूचे में जो बीमार नज़र आते है 
मुझ को सारे ही ये फनकार नज़र आते हैं

मैं तेरी सोच में निकलूं जो कभी सहरा में
साथ में चलते सौ अश्ज़ार नज़र आते हैं 

तूने जो चूमा है इन आंखो के कशकोलों को
खोटे सिक्के मुझे दीनार नज़र आते हैं

वो फलक जिसमे सितारें ही जड़े रहते थे
हिज्र में देखूं तो बस खार नज़र आते हैं

नींद से जगने का दिल करता नही है मेरा
ख्वाब तेरे जो लगातार नज़र आते हैं

जब ये जिंदा थे,दर-ओ-बाम न थे हासिल, पर
दफ़न कब्रो में जमींदार नजर आते हैं

इश्क से पहले सुख़न-वर लगे, सब को नीरस 
फिर यही लोग मज़ेदार नजर आते हैं अशजार ***पेड़ो का समूह 
कश्कोल***भिक्षा पात्र
सुखनवर*** शायर, कवि

Lokesh Mishra

शुभ प्रभात।। ऊर्जा सही दिशा में लगाओ, गलत दिशाओं में ना इसको गंवाओ,✍️✍️

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ऊर्जा सही दिशा में लगाओ,
गलत दिशाओं में ना इसको गंवाओ,
गुमराह करने के होंगे कई रास्ते,
नियंत्रित कर के खुद को,
खुद के बनने में आजमाओ,©

 शुभ प्रभात।।
ऊर्जा सही दिशा में लगाओ,
गलत दिशाओं में ना इसको गंवाओ,✍️✍️

shubh Mohan suman

"नवजवां समूह में एक अधेड़, जैसे घर आंगन में नीम का पेड़" - शुभ मोहन सुमन.

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"नवजवां समूह में एक अधेड़,
जैसे घर आंगन में नीम का पेड़"

 - शुभ मोहन सुमन.

©shubh Mohan suman "नवजवां समूह में एक अधेड़,
जैसे घर आंगन में नीम का पेड़"

 - शुभ मोहन सुमन.

Himmat Singh

writing# thinking# Punjabi poetry Hindi poetry# Urdu poetry# तेरे हुस्न का चारों दिशाओं में बवाल हैं तेरी मदहोशी में ही गुजर गया वक्त मेरा,

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तेरे हुस्न का चारों दिशाओं में बवाल हैं
तेरी मदहोशी में ही गुजर गया वक्त मेरा, तेरा ही कमाल हैं।

हिम्मत सिंह writing# thinking#  Punjabi poetry Hindi poetry# Urdu poetry#
तेरे हुस्न का चारों दिशाओं में बवाल हैं
तेरी मदहोशी में ही गुजर गया वक्त मेरा,
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