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कुलदीप
मुरली मोहन को तरसे मोहन राधा को तरसे लगी आस कब रास आये लगी प्रीत बन प्रेम बरसे ©कृष्ण प्रेमी कुलदीप मुरली मोहन को तरसे मोहन राधा को तरसे लगी आस कब रास आये लगी प्रीत बन प्रेम बरसे
मुरली मोहन को तरसे मोहन राधा को तरसे लगी आस कब रास आये लगी प्रीत बन प्रेम बरसे
read moreकवि रोशनलाल "हंस"
रात भर मै गजल लिखता रहा ना जाने कब सहर होने लगी✍ रात भर गजल मै लिखता रहा ना जाने कब सहर होने लगी..
रात भर गजल मै लिखता रहा ना जाने कब सहर होने लगी..
read moreAtul Parashari
मुझे नहीं मालूम वो पहली बार कब अच्छा लगी मगर उसके बाद कभी बुरी भी नहीं लगी ©Atul Parashari मुझे नहीं मालूम वो पहली बार कब अच्छा लगी मगर उसके बाद कभी बुरी भी नहीं लगी #Dussehra SingerRahulOfficial Shobhit Parashari Neeraj Mishra K
मुझे नहीं मालूम वो पहली बार कब अच्छा लगी मगर उसके बाद कभी बुरी भी नहीं लगी #Dussehra SingerRahulOfficial Shobhit Parashari Neeraj Mishra K
read morevikas agrawal
पिज्जा हो या बर्गर, तुरंत करो आर्डर, भूख लगी है भूख लगी है। छोड़ो तुम ले आओ जाकर। ©vikash Agarwal भूख लगी है भूख लगी #still
भूख लगी है भूख लगी #still
read moreSaudagar Mastud
Happy Holi 💗 होली कब है, कब है होली, कब... "😅🔥🤔 ©Saudagar Mastud #Holi होली कब है, कब है होली, कब...
#Holi होली कब है, कब है होली, कब...
read moreAnupama Jha
बहुत जल्दी रहती थी ,मुझे तुम्हे बढ़ते देखने की कब चलोगे, कब बोलोगे, कब खेलोगे, कब पढोगे, इन सबकी बहुत जल्दी रहती थी। वक़्त का पता न चला कब ये "जल्दी" इतना जल्द आ गया कब तुम इतनी जल्दी बड़े हो गए कब पढ़ाई खत्म कर मुझसे दूर हो गए। अब फिर मुझे "जल्दी" लगी रहती है तुम्हे जल्दी देखने की तुम्हारे जल्दी घर आने की तुम्हें बाँहो में भरने की तुम्हारे सपनों को पूरा होते देखने की फिर जल्दी लगी रहती है फिर जल्दी लगी रहती है.... #जल्दी#YoPoWriMo #YQdidi#YQbaba बहुत जल्दी रहती थी ,मुझे तुम्हे बढ़ते देखने की कब चलोगे, कब बोलोगे, कब खेलोगे,
#जल्दी#yopowrimo #yqdidi#yqbaba बहुत जल्दी रहती थी ,मुझे तुम्हे बढ़ते देखने की कब चलोगे, कब बोलोगे, कब खेलोगे,
read morePriyanshu Mishra
अब मैं बैठ नही सकता। खुद को सीसे में देख नही सकता। समाज यही हैं अपना, जहां बेटियों को आज़ादी नही, क्या ये देश की बर्बादी नही। बैचैन कब तक रहू, मैं अपनी गुहार किससे कहु, माँ है, बेटी है, बेहेन है वो अपनी मैं इन दरिंदों को देख अब देख नही सकता। फाँसी की बात, कम हैं अब यहां सजाएं मौत कम हैं अब इनका हस्सल ये कर जाओ कि कोई देख न सके। फिर इन जैसा कोई अपनी माँ बेटी बहनो पट बुरी क्या अच्छी नज़रो भी फेक न सके। बस हो गया अब तुम संकल्प लो तुम प्रण लो तुम अपने देश की इज़्ज़त बचाओ।। कब कब देश को लूटोगे।।
कब कब देश को लूटोगे।।
read moreशिवम ओझा रिनिया
मेरे पीछे लगी हैं उदासियाँ कब से किसी पड़ाव पर रुक कर इन्हें शिकार करना है ©शिवम ओझा रिनिया #WallTexture मेरे पीछे लगी हैं उदासियाँ कब से किसी पड़ाव पर रुक कर इन्हें शिकार करना है
#WallTexture मेरे पीछे लगी हैं उदासियाँ कब से किसी पड़ाव पर रुक कर इन्हें शिकार करना है
read morepunam Agarwal
दिल -लगी की थी हमने तुमसे, दिल का टुटना था लाजमी, दिल की राह पे, पयार के साये में- गमों का मिलना था लाजमी, पयार की भाषा समझनी थी- लवजो का गुम होना था लाजमी.... दिल-लगी @@हाय ये दिल की लगी....
दिल-लगी @@हाय ये दिल की लगी....
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