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Stories related to चिखलात फसले ट्रॅक्टर

राजकारण

असेही फसले जाल! एटीएममध्ये अडकलेल्या कार्डचा वापर करून ७६ हजार लाटले

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Talib etha thakur

#omicronvirus #फसले गुल है # Ehsaas"(Roasting)"Radio Udass Afzal khan ❣️Dard ki jaan ISHQ परस्त عشق✓✓Peace Mr Ismail Khan Anamika Sharma

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Ravendra

बहराइच जनपद के नेपाल सीमावर्ती नानपारा तहसील के रुपईडीहा,बाबागंज इलाके में धान की खेती कर रहे किसानों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है बारिश

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :-बूँद बूँद-बूँद को तरस रहा है , जग में हर इंसान । सूखी फसले देख-देखकर , रोता आज किसान । जीव-जन्तु की कौन करे फिर , बतलाओ परवाह-

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मुक्तक :-बूँद

बूँद-बूँद को तरस रहा है ,
 जग में हर इंसान ।
सूखी फसले देख-देखकर ,
रोता आज किसान ।
जीव-जन्तु की कौन करे फिर , 
बतलाओ परवाह-
कुछ दौलत के आज नशे में ,
 बन बैठे शैतान ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :-बूँद

बूँद-बूँद को तरस रहा है ,
 जग में हर इंसान ।
सूखी फसले देख-देखकर ,
रोता आज किसान ।
जीव-जन्तु की कौन करे फिर , 
बतलाओ परवाह-

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

देख रही हूँ राह पिया की, रहते वह परदेश । भेज रही हूँ नेह उन्हीं को, लिखकर मैं संदेश १ ।। बिन पानी के सूखी फसले, करती बस अरदास । तुम ही बोलो

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देख रही हूँ राह पिया की,
रहते वह परदेश ।
भेज रही हूँ नेह उन्हीं को,
लिखकर मैं संदेश १ ।।

बिन पानी के सूखी फसले,
करती बस अरदास ।
तुम ही बोलों गिरधर कुछ तो
टूटी मन की आस २ ।।

मैं विपदा की मारी नारी,
क्या मेरा संसार ।
जिनसे रिश्ता जन्म जन्म का
करें प्रीत व्यापार ३ ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR देख रही हूँ राह पिया की,
रहते वह परदेश ।
भेज रही हूँ नेह उन्हीं को,
लिखकर मैं संदेश १ ।।

बिन पानी के सूखी फसले,
करती बस अरदास ।
तुम ही बोलो

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

देख रही हूँ राह पिया की, रहते वह परदेश । भेज रही हूँ नेह उन्हीं को, लिखकर मैं संदेश १ ।। बिन पानी के सूखी फसले, करती बस अरदास । तुम ही बोलो

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देख रही हूँ राह पिया की,
रहते वह परदेश ।
भेज रही हूँ नेह उन्हीं को,
लिखकर मैं संदेश १ ।।

बिन पानी के सूखी फसले,
करती बस अरदास ।
तुम ही बोलों गिरधर कुछ तो
टूटी मन की आस २ ।।

मैं विपदा की मारी नारी,
क्या मेरा संसार ।
जिनसे रिश्ता जन्म जन्म का
करें प्रीत व्यापार ३ ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR देख रही हूँ राह पिया की,
रहते वह परदेश ।
भेज रही हूँ नेह उन्हीं को,
लिखकर मैं संदेश १ ।।

बिन पानी के सूखी फसले,
करती बस अरदास ।
तुम ही बोलो

sonule vijay

तुझ्या टपोर डोळ्यात, माझं इवलंसं गाव |   तुझी झेप वादळाची, माझी तुझ्यावरी धाव ||     तुझ्या मिठीत आकाश, तुझ्या मुठीत आकाश   माझ हवेत आकाश, त

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 तुझ्या टपोर डोळ्यात, माझं इवलंसं गाव |
  तुझी झेप वादळाची, माझी तुझ्यावरी धाव ||
 
  तुझ्या मिठीत आकाश, तुझ्या मुठीत आकाश
  माझ हवेत आकाश, त

Vandana

एक नदी को प्रेम हो गया था सूखे इन निर्जर कटीली झाड़ियों से युक्त मरुस्थल स्थान से वहाँ बहना चाहती थी,,,, वहाँ की प्यास बुझाना चाहती थी,,,, ह

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एक नदी को प्रेम हो गया था सूखे निर्जर कटीली 
झाड़ियों से युक्त मरुस्थल रेत में बड़े-बड़े टीलों से,,,, एक नदी को प्रेम हो गया था सूखे
इन निर्जर कटीली झाड़ियों से युक्त मरुस्थल स्थान से
वहाँ बहना चाहती थी,,,,
वहाँ की प्यास बुझाना चाहती थी,,,,
ह

dil se dil tak

#ChaltiHawaa तेरी हकीकत ‌मे मेरा ‌फसाना कहां है दो शब्दों ‌सी तेरी मोहब्बत है इसे शाबित कर मुझे दिखाना कहां है कल फिर हमें पतझड़ से गुजरना

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तेरी हकीकत ‌मे मेरा ‌फसाना कहां है
दो शब्दों ‌सी तेरी मोहब्बत है 
इसे शाबित कर मुझे दिखाना कहां है
कल फिर हमें पतझड़ से गुजरना है
बारिशो मे हुए प्यार का‌
 ठिकाना कहां है
खिलते हुए फूल लहलाती फसले
सावन के झूले पक्षियों की नस्लें
तुझसे पूछ रही है ,कि तू आ 
तो रहा है लेकिन ये तो बता जरा 
तेरे स्वागत में अपनी पलकों को
 बिछाना कहा है
 तेरी उम्मीदो में मैंने एक उम्र गुजार दी
मैने अपनी‌ सारी‌ बिगड़ी आदतें सुधार दी
पर तेरे‌ आने का कोई नाम न ऐ खुशी 
क्योंकि मेरी जिन्दगी से तुझे गमों
को मिटाना कहां है।। 
R.A.✍🏼

©dil se dil tak #ChaltiHawaa तेरी हकीकत ‌मे मेरा ‌फसाना कहां है
दो शब्दों ‌सी तेरी मोहब्बत है 
इसे शाबित कर मुझे दिखाना कहां है
कल फिर हमें पतझड़ से गुजरना

sandy

*भाऊबीज -------!!* *गेली पुनवेची रात* *आली भरात ग तीज* *चंद्र झोपडीत माझ्या* *ओवाळते भाऊबीज* *गोल गोल तबकात*

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 *भाऊबीज -------!!*

*गेली पुनवेची रात*
*आली भरात ग तीज*
*चंद्र झोपडीत माझ्या*
*ओवाळते भाऊबीज*

*गोल गोल तबकात*
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