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KARTAVYA IAS ACADEMY
कर्त्तव्य IAS अकादमी ©KARTAVYA IAS ACADEMY कर्त्तव्य IAS अकादमी #apjabdulkalam
कर्त्तव्य IAS अकादमी #apjabdulkalam
read moreसंतोष यादव
तेरा इंतज़ार लड़की- मै आज जितवारपुर फिल्ड की तरह महसूस कर रही हूं, लड़का- मै स्टेडियम मार्केट की तरह अब बाते शुरू.....दोनों में चुप रहो,तुम पागल हो। समस्तीपुर में सब ठीक सा है.. यहां सब मस्ती में रहते, यहां के हर गलियों में घूमा हूं,मोहब्बत सब जगह तो नहीं लेकिन काशीपुर में देखा है सब की आंखो में प्यार चाहे लड़की के लिए या पढ़ाई के लिए,सही कहा तुमने।।। लड़की-जब से मिले बस शहर की बाते किए हो, तुम मुझसे प्यार करते हो या शहर से, लड़का-शहर से ;क्यों की मेरा शहर तुम हो। इस मेला में कहा ले चलोगे...कहीं नहीं बस तुम्हारे दिल में ,क्यों की तेरा दिल मेरे लिए मेला जैसा है,पागल बोलो न.... सॉरी.. मेरा एग्जाम है रेलवे का नहीं तो तुम्हे पूरा शहर घुमाता... तुम अपने फैमिली साथ घूम लेना पहले फैमिली तब मै समझी..चलो अब शाम हुई तुम कचहरी होके चले जाना और मै तेरे दिल होके।।पागल हाहाहाहाहा समस्तीपुर मेरा शहर और प्यार।।।।please support me ....
समस्तीपुर मेरा शहर और प्यार।।।।please support me ....
read moreCuteboy Abhishek
encourage.to_live
बिहार के समस्तीपुर के हिमांशु को सुनिए …इनकी सुरीली, टैलेंट की कमी नहीं हैं बिहार में ।
read moreREETA LAKRA
A fiction writer : Krishna Sobti माता पिता की गोद अवतरित हुई एक कन्या, नामकरण हुआ कृष्णा। लाहौर, शिमला और फिर दिल्ली, ग्रहण की उन्होंने शिक्षा। पाक विभाजन की शिकार और बनी गवाह, फतेहचंद कॉलेज की वह छात्रा, विभाजनोपरांत दिल्ली बसा परिवार, पढ़ाई छूटी, की नौकरी और साहित्य सेवा का श्रीगणेश । रचनात्मकता इनकी विलक्षण, परिचय की नहीं मोहताज़। घना इनका भाषा संस्कार, लंबी कहानियों में औपन्यासिक प्रभाव। उनकी स्त्री पात्र नई नई पहेली, हर रूप धारती , समर्पिता, गर्विता, आज्ञाकारी, प्रेम निमग्न, गृहस्थी में खटती, रखैल, सेविका या फिर स्वामिनी, सभी अपनी शर्तों पर जीती। कृष्णा की रचनाओं पर पाठक हो जाते हैं फ़िदा, देख पढ़कर लड़कियों के चरित्र एक दूजे से इतने जुदा। दर्शनीय बनावट, संदेश निहित, चरित्रों में बसा प्रेम ख़ुदा , 'ज़िंदगीनामा' है गुंजाइशों को ढूंढते इंसानों की बिखरी गाथा। अभिव्यक्ति उनकी बेलाग-लपेट , कृतियाँ करतीं महिला समस्याओं- अत्याचारों को उजागर, होती सौष्ठवपूर्ण रचना, होती जिनमें जीवन प्रांजलता। ऐसे ही नहीं वो बनीं हकदार, पाया साहित्य अकादमी पुरस्कार, श्री नामवर सिंह की अध्यक्षता में सम्मानित सर्वोच्च साहित्यिक ५३वां ज्ञानपीठ पुरस्कार।। ५४/३६५@२०२१ कृष्णा सोबती मुख्यतः हिन्दी की आख्यायिका लेखिका थे। उन्हें १९८० में साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९६ में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति से सम्
कृष्णा सोबती मुख्यतः हिन्दी की आख्यायिका लेखिका थे। उन्हें १९८० में साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९६ में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति से सम्
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