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ARVIND KUMAR KASHYAP
सुदर्शन चक्र के वावजूद मुरली हो, द्वारिका का वैभव और मित्र सुदामा, इतना सामर्थ्यवान फिर भी सारथी बने तो वह कृष्ण है।
read moreHrg Facts
श्री कृष्ण जी ने कैसे तोड़ा सुदर्शन चक्र का घमंड #hrgfacts #Krishna #hanumanji #ramji #Shorts
read morebhim ka लाडला official
नहीं सुदर्शन चक्र मगर, मैं चकरी जैसा चलता | सिर के ऊपर उल्टा लटका. फर्श पर नहीं उतरता |
read moreEhssas Speaker
महावीर स्वामी के समय में चंपा नगरी में ऋषभदास शेठ और उनकी पत्नी अर्हंदासी को सुदर्शन नामक पुत्र था। वह सुंदर और गुणों से भरपूर था। युवावस्था में उसकी सुंदरता और बढ़ गई, अनेक युवती उस पर मोहासक्त हो जाती। लेकिन सुदर्शन एक चारित्रवान् व्यक्ति था कभी मर्यादा से बहार नहीं जाता। सुदर्शन का एक कपिल नामक ब्राह्मण मित्र था दोनों घनिष्ठ मित्र थे। कपिल का विवाह कपिला नामक कन्या से हुआ और सुदर्शन का विवाह मनोरमा नामक कन्या से हुआ। दोनों मित्र एक दूसरे के घर आते जाते रहते। एक दिन सुदर्शन कपिल के घर गया। कपिल घर में नहीं था तब उसकी पत्नी कपिला सुदर्शन के रूप को देखकर आसक्त हो गई। उसने अपनी इच्छापूर्ति करने सुदर्शन से कहा लेकिन सुदर्शन ऐसी स्थिति से बचने के लिए अपने आपको नपुंसक बता के वहा से भाग गया। कुछ दिन बात वसंत ऋतु में उत्सव मनाने राजा दधिवाहन अपनी रानी अभया और प्रजाजन के साथ उपवन गए। वहा रानी ने सुदर्शन की पत्नी और उसके पांच पुत्रो को देखकर खूब प्रशंसा की तब कपिला ने कहा की सुदर्शन के पुत्र नहीं हे क्योकि वह तो नपुंसक हे। तब रानी ने कहा तुम भोली हो, अब देखना में कैसे सुदर्शन को अपने जाल में फंसाती हु। रानी ने योजना बनाई और अपने दुति को कहा तुम किसी भी तरह मना के सुदर्शन को यहाँ ले आओ, दुति ने अनेक प्रयत्न किये लेकिन सुदर्शन को अपने चारित्र से हिला ना सकती। एक दिन सुदर्शन शेठ पौषध में ध्यान में लीन बैठे थे उस समय दुति उन्हें उठाकर राजमहल में ले आई। वहा रानी ने अपनी मनोकामना पूर्ण करने अनेको प्रयत्न किये लेकिन सुदर्शन को कोई असर नहीं हुई बल्कि सुदर्शन ने रानी को शील व्रत समझाया लेकिन रानी पर उसका असर ना हुआ। रानी ने अपने शरीर पर अपने नाखुनो से निशान कर दिया, वस्त्रो को अस्त व्यस्त कर राजा को सूचना पहुंचाई की सुदर्शन ने रानीवास में प्रवेश कर के रानी के शील का भंग करने का प्रयत्न किया। राजा ने कुछ सोचे समझे बिना सुदर्शन को प्राण दंड देने का आदेश दे दिया। नगर में हाहाकार मच गया। सुदर्शन शेठ को प्राण दंड के लिए शूली पर ले जाया जा रहा था। सुदर्शन ने तब श्री नवकार महामंत्र का जाप किया। और कुछ ही समय में शूली का सिंहासन बन गया, सब लोग देखते ही रह गए। सुदर्शन शेठ की निर्दोषता प्रगट हो गई। राजा वहाँ आये पूरी बात जान ली, उन्होंने सुदर्शन से क्षमा याचना की। उन्हें नगर शेठ के पद से विभूषित किया। जब रानी अभया और कपिला को दंड देने लगे तब सुदर्शन शेठ ने क्षमा प्रदान करवाई। वीर गुरुदेव की और से आज की कथा का सार – इस प्रकार नवकार मंत्र के प्रभाव से शूली सिंहासन बन गई और घर घर में नवकार मंत्र की महिमा फ़ैल गई। इस लिए हमेशा इस महामंत्र का रटन करना चाहिए। ©Ehssas Speaker #नवकार_की_कथा सुदर्शन सेठ:-
#नवकार_की_कथा सुदर्शन सेठ:-
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