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keshav singh rajput
मुझे अपना गांव का मंदिर ही अच्छा लगता है क्योंकि यहां VIP टिकट नहीं होता है।। ©keshav singh rajput #DharmAurAastha #mandir गांव का मंदिर
#DharmAurAastha #mandir गांव का मंदिर
read moreRita Giri
मेरे घर के पास खडा़ वो "नीम " पिता सा लगता था, एक सदी की पीडा़ सहते , कुछ कड़वा सा लगता था । ---- रीता # नीम का पेड़
# नीम का पेड़
read moremaher singaniya
गांव में नीम का पेड़ कम हो रहे हैं घरों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है जुबान में मिठास कम हो रही है शरीर में शुगर बढ़ती जा रही है किसी महापुरुष ने सच ही कहा है कि जब किताबें सड़क किनारे बिकेंगी और जूते कांच के शोरूम में तब समझना के लोगों को ज्ञान की नहीं जूते की जरूरत हैं... ©maher singaniya नीम का पेड़... #citysunset
नीम का पेड़... #citysunset
read moreRita Giri
अल्हड़ सी वो इक लड़की उस चाँद में बस खो जाती थी पलकों पे सुरमयी ख्वाब लिए कुछ मीठे गीत भी गाती थी नीम का पेड़ --3
नीम का पेड़ --3
read moreRita Giri
नटखट चाँद बडा़ प्यारा था, यूक्लिप्टस पे चढ़ता था, नीम की सीढी चढता था, और छत पर मेरे उतरता था । नीम का पेड़ ---2
नीम का पेड़ ---2
read moreAkash kushwaha
कसूर नीम का नहीं कि वह कड़वा है यह खुदगर्ज जवान ही ऐसी है जिसे मीठा पसंद है ©Akash Kushwaha कसूर नीम का नहीं #dilkibaat
कसूर नीम का नहीं #dilkibaat
read moreRakesh
करनपुर नाम का एक बड़ा सा गांव हुआ करता था जहां अधिकतर खेतीबाड़ी करने वाले किसान रहा करते थे। वहीं, गांव के पास ही खेतो के बीच नीम के पेड़ में एक भूत रहा करता था। भूत दिनभर तो गायब रहता, लेकिन रात होते ही वह गांव वालों को खूब परेशान किया करता था।रात होते ही भूत पूरे गांव के चक्कर काटने लगता और कभी किसी किसान को नुकसान पहुंचाता तो किसी किसान को इतना डराता कि वो बेहोश हो जाता। भूत के डर से शाम होते ही गांव में सन्नाटा फैल जाता और रात को कोई भी घर से बाहर नहीं निकला करता था।एक बार भूत से परेशान गांव के लोगों ने एक बहुत बड़े तांत्रिकको गांव में बुलाया और उनसे अपनी समस्या का निदान करने के लिए विनती की। गांव वाले तांत्रिक को उस पेड़ के पास ले जाते हैं, जहां भूत का वास होता है। तांत्रिक अपने तंत्र और मंत्र से भूत को काबू करने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन वह उसे वश मे नही कर पाता अंत में तांत्रिक भूत पर काबू पाने की युक्ति निकाल लेता है और सब गांव वालों से कहता है कि ये भूत केवल रात के अंधेरे में निकलता है, जिसका मतलब है कि इसे दिन के उजाले से डर लगता है और उजाले के सहारे ही भूत से छुटकारा पाया जा सकता है। तांत्रिक की बात सुनकर सभी गांव वाले मिलकर एक योजना बनाते हैं।रात को जब भूत पेड़ से निकलकर गांव में प्रवेश करता है तो किसान लाइट सेउजाला कर देते हैं। उजाले को देखकर भूत डर जाता है और वापस पेड की ओर भाग जाता है। वहीं, गांव वाले भी उसके पीछे-पीछे पेड़ के पास पहुंच जाते हैं। उजाले में तांत्रिक भूत को पेड़ से बांध देता है और फिर गांव वाले भूत को उस पेड़ के साथ ही जला देते हैं। इस तरह से गांव वालों को भूत की समस्या से निजात मिल जाता है।एक दिन बच्चों ने उस गांव में जाने की बात कही। यह सुनते ही संजय की रूह कांप गई, क्योंकि उसे एक पुराना किस्सा याद आ गया। ये बात तब कि है जब संजय7वीं क्लास में पढ़ रहा था एक दिन दोस्तो ने उस गांव में जाने का प्लान बनाया था। अपने सभी दोस्तों के साथ संजय ने भी जाने के लिए हां कर दी। उस गांव में जाना था करनपुर। सारे दोस्त , करीब 1बस सभी बच्चों को ले जाने के लिए तैयार थी।संजय अपने दोस्तों के साथ सबसे बीच वाली सीट में बैठ गया। सभी मोज मस्ती करते हुए बस से जा रहे थे। तभी कुछ दूर गांव के पास पहुंचकर उसी बस से तेज आवाज आई। ये वक्त रात के करीब डेढ़ बजे का था। ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला, तो उसे पता चला कि टायर फट गया है।ड्राइवर ने सबसे कहा कि बस का टायर बदलने में करीब तीन घंटे लगेंगे आप सब नीचे उतर जाइए। मैं इसे बदल देता हूं। आप लोग पास के चाय के होटल में जा सकते हैं। वहां गर्म-गर्म चाय पी लीजिए और मैं इस टायर को फटाफट बदलने की कोशिश करता हूं। ड्राइवर की बात सुनकर सभी बस से उतर गए और पैदल चलते हुए पास के चाय के होटल में पहुंचे। वहां एक लड़का चाय बना रहा था। इतनी रात को होटल खुला हुआ और किसी लड़के को चाय बनाते देख सबको हैरानी हुई।उस लड़के ने कहा, “आप सब चाय पी लीजिए। यहां अक्सर लोगों की गाड़ी खराब हो जाती है, इसलिए मैं भी अपना होटल हरदम खुला रखता हूं। आप जैसे ग्राहकों को कुछ मदद हो जाती है।” उनकी बात सुनकर सबने चाय का ऑर्डर दे दिया। उन्होंने कुछ ही देर में सबके लिए चाय बनाकर टेबल पर रख दी। चाय पीते हुए संजय की आंखें एकदम होटलकी छत की तरफ गई। वहां संजय ने एक औरत को सफेद रंग की साड़ी में खुले बाल लहराते हुए देखा। कुछ देर बाद वो जोर-जोर से हंसने लगी। भले ही हंसने की आवाज किसी को सुनाई नहीं दे रही थी, लेकिन संजय ने उसे मुंह खोलकर हंसते हुए देखा था।ये सब देखकर संजय ने डर के मारे आंखें नीचे झुका लीं। कांपते हुए किसी तरह से संजय ने चाय दोबारा पीना शुरू ही किया था कि उसी वक्त जोर-जोर से किसी के चिल्लाने की आवाज खेतो की ओर से आई। होटल में बैठे हुए सभी दोस्त उस आवाज को सुनकर डर गए। सबको डरा हुआ देखकर उस लड़के ने कहा कि मैं देखकर आता हूं क्या हुआ है। आप लोग यहीं बैठे रहो। इतना कहकर वो आवाज की तरफ बढ़ गया।तभी एक दोस्त को खून की उल्टी लगातार होने लगी। उसको देखकर सबकी हालत और खराब हो गई। उसी समय एक दोस्त ने कहा कि तुम सब आग जलाओ और उसके बगल में बैठ जाओ। सबने मिलकर आग जलाई और गोल घेरा करके बैठ गए। संजय ने सख्त लहजे में सबसे कह दिया कि अकेले कोई कहीं नहीं जाएगा। वैसे भी सब इतना डरे हुए थे कि अकेले कहीं जाने की हिम्मत हो नहीं रही थी।आग के पास बैठे-बैठे चार बज गए। तब कहीं जाकर वो लड़का खेत से लौटकर आया। उसने सबकी तरफ देखा और कहा कि उस चीख को सब भूल जाना, नहीं तो जीना मुश्किल हो जाएगा। इतना कहकर वो होटल के अंदर चला गया गया। तभी ड्राइवर भी टायर बदलकर बस लेकर होटल के पास पहुंचा। सभी लोग भगवान का नाम लेते हुए उस बस में बैठ गए।संजय ने बस में बैठते ही सबको कहा कि कोई एक दूसरे से बात नहीं करेगा। सीधे सब सो जाओ। संजय की बात मानकर सब चुपचाप बस में ही सो गए। उसके बाद वो लोग गांव पहुंचे और करीब एक दो दिन घूमकर आ गए। गांव में किसी ने दूसरे गांव के बच्चों से उस रात के बारे में कुछ नहीं कहा, क्योंकि संजय ने मना किया। लेकिन, गांव से लौटते ही सबने अपने दोस्तों और दूसरी क्लास वालों को इस भूतिया घटना के बारे में बताया। आज गांव का नाम सुनते ही यही भूतिया होटल की कहानी संजय के मन में आ गई और दोस्तो को गांव भेजने से उसे डर लगने लगा। ©Rakesh नीम के पेड़ का भूत
नीम के पेड़ का भूत
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